दुर्ग/भिलाई: जिले के मोहलाई गांव के कुछ युवाओं ने लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण को बचाने की दिशा में काफी अच्छा काम किया. उनका ये काम आज शिवनाथ नदी के तट पर दिख रहा है. यहां 20 एकड़ में लगे हजारों पेड़ अब लहलहाने लगे है. एक दौर था जब यहां के पेड़ सूखने लगे थे. लेकिन गांव के 25 युवाओं ने पेड़ों की सुरक्षा की जंग छेड़ी. उसी का नतीजा है कि अब यहां हरियाली के साथ-साथ साफ-सफाई देखने को मिलती है. जिसे देखकर हर किसी के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान देखने को मिल रही है.
युवाओं की मेहनत लाई रंग
दरअसल मोहलाई में लॉकडाउन और कोरोना से पहले अक्सर लोग पिकनिक मनाने आते थे. पेड़ों के नीचे ही चूल्हा बनाकर खाना बनाते. चूल्हे की गर्मी से पेड़ सूखने लगे थे. इसके साथ ही वहां काफी मात्रा में गंदगी भी फैलाते थे. पूरे परिसर में प्लास्टिक की बोतल और पानी पाउच पड़े रहते थे. हालत ये हो गई थी कि 20 एकड़ में फैले जंगल के पेड़ सूखने लगे थे.
25 युवाओं की टीम ने काम शुरू किया
गांव के लगभग 25 युवाओं की टीम ने पेड़ों की संरक्षण को लेकर काम शुरू किया है. युवाओं की इस टीम में दुष्यंत कुंभकार, बलराम निषाद, भरत निषाद, मुकेश देवांगन, हरिहर देवांगन, ओम सिंह गर्ग, गोपाल निषाद, नन्हे निषाद, मुरली निषाद, किरण निषाद, पहारु निषाद, पवन कुमार, धर्मेंद्र कुमार, गौतम निषाद, रघुवर निषाद, मुकेश निषाद, कैलाश कुमार, विक्की निषाद, मनीष निषाद, दुष्यंत यादव, भरत साहू शामिल है.
जंगल संरक्षण की बनाई गई योजना
लॉकडाउन के दौरान गांव के युवाओं ने इसका फायदा उठाया. मोहलाई के युवाओं ने पहले जंगल के संरक्षण को लेकर योजना बनाई. गांव के युवा दुष्यंत कुंभकार ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि जब पूरे जंगल की सफाई की गई तो चार ट्रक कचरा निकला. जिसे कंपोस्ट किया गया. सफाई के बाद पेड़ों के नीचे रंग रोगन किया गया, ताकि पेड़ में दीमक न लगे. जंगल की सफाई शुरू करने के साथ ही पेड़ों की हरियाली भी वापस लौटाई.
पूर्वजों की देन को संजोने का उठाया बीड़ा
20 एकड़ में फैले इस इलाके में ही गांव का मुक्तिधाम भी है. ऐसे में गांव के युवा सरपंच भरत निषाद कहते हैं कि यहां लगे पेड़ उनके पूर्वजों की देन है. गांव के युवाओं के साथ मिलकर अपने पूर्वजों की देन को संजोकर रखने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए गांव वालों का भी सहयोग मिल रहा है. उन्होंने बताया कि यहां ट्री गार्ड के साथ ही 8 डस्टबिन भी लगाए गए हैं. इसके साथ ही मेंटेनेंस के लिए सभी युवा अपनी स्वेच्छा से अनुदान भी करते हैं. सरपंच निषाद ने देश के तमाम युवाओं से अपील करते हुए कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें, क्योंकि प्रकृति रहेगी तभी हम सभी जीवित रहेंगे.
लापरवाही: पेड़ बनने से पहले ही सूख गए हजारों के पौधे
रोज सुबह 2 घंटे तक जंगल की करते हैं सफाई
गांव के एक और युवक हरिहर प्रसाद देवांगन कहते हैं कि सभी साथी रोजाना सुबह 6 से 8 बजे तक जंगल में अपनी सेवा देते हैं.फैलाए गए कचरे को उठाकर इकट्ठा किया जाताहै. पेड़ों की जड़ों को दीमक से बचाने और उसे सुंदर बनाने रंग रोगन का काम भी किया जाता है.
5 हजार फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य
मोहलाई के युवाओं की माने ते इस साल 5 हजार फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. उसकी देखरेख के साथ ही संरक्षण का जिम्मा भी खुद लेंगे. हरिहर प्रसाद कहते हैं कि फलदार पौधे जब बड़े होंगे और उसमें फल लगेंगे तो गांव के बच्चों को यहां के फल खिलाए जाएंगे, ताकि कुपोषण मुक्त मोहलाई गांव का निर्माण किया जा सके.
पंचायत भी सहयोग के लिए आया सामने
युवाओं की मेहनत देखकर और पर्यटन की संभावना को देखते हुए ग्राम पंचायत भी अब सामने आ रहा है. मोहलाई ग्राम पंचायत अब इस जंगल में सिटिंग चेयर के साथ वृक्षारोपण और गार्डन बनाने का काम करने वाली है. साथ ही जंगल से लगे तालाब में बोटिंग भी शुरू करने की प्लानिंग की जा रही है. ताकि यहां पर्यटन और अच्छा हो. पंचायत ने इसके लिए युवाओं को सहयोग का भरोसा दिलाया है.
युवाओं की सराहनीय पहल
गांव के युवाओं की इस अनोखी पहल का अब गांव वालों का भी साथ मिल रहा है. गांव के कृष्णा देवांगन बताते हैं कि पर्यावरण की यदि सुरक्षा नहीं करेंगे तो मानव सभ्यता खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि गांव के युवा पेड़ों के संरक्षण के लिए जो कुछ भी कर रहे हैं, वो बहुत ही सराहनीय पहल है. आस-पास के गांव के लोग भी अब लगातार जुड़ते जा रहे हैं.