ETV Bharat / state

विजय दिवस पर छलक पड़े मां के आंसू, कारगिल में शहीद हुआ था भिलाई का लाल

कारगिल युद्ध में शहीद हुए कौशल यादव के परिवार से ETV भारत ने खास बातचीत की. इस बातचीत में मां ने अपनी उस कहानी और ख्वाहिश को बयां किया जो अधूरे रह गए थे.

शहीद कौशल यादव की मां और भतीजा
author img

By

Published : Jul 26, 2019, 9:41 PM IST

भिलाई : पूरा भारत कारगिल विजय दिवस मना रहा है. विजय दिवस को भले ही 20 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन बूढ़ी मां के लिए मानो कल की ही बात हो जो अपने बेटे के इंतजार में बैठी थी कि बेटा युद्ध जीतकर सकुशल घर लौटेगा और मां को गले लगाएगा. लेकिन वीर जवान कौशल तो खुद को देश पर वार चुके थे वो घर लौटे तो जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटकर.

कारगिल में शहीद हुआ था भिलाई का लाल

शहीद कौशल यादव भिलाई के रहने वाले थे. कारगिल युद्ध के दौरान देश के लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राण आहुत कर दिए थे. कारगिल विजय दिवस के दिन ETV भारत की टीम शहीद कौशल यादव के घर पहुंची. मां को इस बात का फक्र है कि, उनका बेटा देश के काम आया लेकिन, कौशल को याद करते हुए वो खुद को रोक नहीं पाईं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

कौशल यादव ने मां से किया वादा नहीं किया पूरा
मां ने कहा कि कौशल बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उनके लिए तो वो बच्चा ही था. उन्होंने कहा कि कौशल ने उनसे वादा किया था कि वो जल्द ही वापस लौटेगा और अपना वादा निभाएगा. कौशल आया तो जरूर लेकिन एक शहीद के रूप में तिरंगे से लिपटे हुए. धनेश्वरी को बस इस बात का अफसोस है कि बेटा कौशल अपने मासूम बेटे की झलक भी नहीं देख सका और देश के लिए शहीद हो गया.

पढ़ें : कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय को 20 साल पूरे, इन मैसेजेस से मनाएं Kargil Vijay Diwas

'परिवार को शहीद कौशल के नाम से हैं पुकारते '
वही कौशल यादव के भतीजा ने कहा कि चाचा जब शहीद हुए थे तब वे छोटे थे लेकिन आज भी उनके परिवार को भिलाईवासी शहीद कौशल के परिवार के नाम से जानते है. उन्होंने कहा कि उन्हे केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सहायता मिल गई. वहीं नक्सल हमले में शहीद जवानों को भी पूरी सहायता मिलनी चाहिए ताकि शहीद के परिवार को जीवनयापन में परेशानी न हो क्योंकि देश के लिए लड़ने वाले ही रियल हीरो है.

वीर सपूतों के सम्मान को सदा बरकरार रखा जाए
इस युद्ध में कौशल ने देश के लिए अपनी जान दे दी, लेकिन अपने इस बलिदान के लिए वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. आज जरूरत है ऐसे वीर सपूतों के बलिदान को समय-समय याद करने की ताकि आने वाली पीढ़ी इनके बलिदान के बारे जानकर उससे प्रेरणा ले सके.

भिलाई : पूरा भारत कारगिल विजय दिवस मना रहा है. विजय दिवस को भले ही 20 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन बूढ़ी मां के लिए मानो कल की ही बात हो जो अपने बेटे के इंतजार में बैठी थी कि बेटा युद्ध जीतकर सकुशल घर लौटेगा और मां को गले लगाएगा. लेकिन वीर जवान कौशल तो खुद को देश पर वार चुके थे वो घर लौटे तो जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटकर.

कारगिल में शहीद हुआ था भिलाई का लाल

शहीद कौशल यादव भिलाई के रहने वाले थे. कारगिल युद्ध के दौरान देश के लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राण आहुत कर दिए थे. कारगिल विजय दिवस के दिन ETV भारत की टीम शहीद कौशल यादव के घर पहुंची. मां को इस बात का फक्र है कि, उनका बेटा देश के काम आया लेकिन, कौशल को याद करते हुए वो खुद को रोक नहीं पाईं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

कौशल यादव ने मां से किया वादा नहीं किया पूरा
मां ने कहा कि कौशल बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उनके लिए तो वो बच्चा ही था. उन्होंने कहा कि कौशल ने उनसे वादा किया था कि वो जल्द ही वापस लौटेगा और अपना वादा निभाएगा. कौशल आया तो जरूर लेकिन एक शहीद के रूप में तिरंगे से लिपटे हुए. धनेश्वरी को बस इस बात का अफसोस है कि बेटा कौशल अपने मासूम बेटे की झलक भी नहीं देख सका और देश के लिए शहीद हो गया.

पढ़ें : कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय को 20 साल पूरे, इन मैसेजेस से मनाएं Kargil Vijay Diwas

'परिवार को शहीद कौशल के नाम से हैं पुकारते '
वही कौशल यादव के भतीजा ने कहा कि चाचा जब शहीद हुए थे तब वे छोटे थे लेकिन आज भी उनके परिवार को भिलाईवासी शहीद कौशल के परिवार के नाम से जानते है. उन्होंने कहा कि उन्हे केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सहायता मिल गई. वहीं नक्सल हमले में शहीद जवानों को भी पूरी सहायता मिलनी चाहिए ताकि शहीद के परिवार को जीवनयापन में परेशानी न हो क्योंकि देश के लिए लड़ने वाले ही रियल हीरो है.

वीर सपूतों के सम्मान को सदा बरकरार रखा जाए
इस युद्ध में कौशल ने देश के लिए अपनी जान दे दी, लेकिन अपने इस बलिदान के लिए वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. आज जरूरत है ऐसे वीर सपूतों के बलिदान को समय-समय याद करने की ताकि आने वाली पीढ़ी इनके बलिदान के बारे जानकर उससे प्रेरणा ले सके.

Intro:शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.... राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखित ये पंक्तियां रोंगटे खडे कर देती है । और तब जब पूरा देश शहीदों की याद में विजय दिवस मना रहा हो । भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध को सम्पन्न हुए पूरे 20 वर्ष बीत चुके है लेकिन उन मां की याद अब भी वैसी ही ताजी है जैसे की ये घटना महज कल की हो । पेश है भिलाई के वीर सपूत कारगिल में शहीद हुए कौशल यादव पर एक रिपोर्ट ....Body:बूढी हो चुकी इन आंखों में आज भी वो दिन तरोताजा है जब इस मां ने अपने कलेजे के टुकडे को कारगिल युद्ध में खो दिया था । कहने को कौशल बडा जरूर हो गया था लेकिन इस मां के लिए तो वो बच्चा ही था । अपनी मां से यह वायदा करके छुटिटयों के बीच निकला था कि वो जल्द वापस आएगा । अपना वायदा निभाने कौशल आया जरूर लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए एक शहीद के रूप में । आज भी शहीद कौशल की मां उस वक्त को याद करती है तो सिहर उठती है । आंखों से आंसू रूकने का नाम नहीं लेते । अपने जवान बेटे को युद्ध में गंवा देने का दुख शहीद कौशल की मां को जरूर है लेकिन फक्र भी है । मां धनेश्वरी देवी को बस इस बात का अफसोस है कि 7 महिने के पेट में पल रहे बच्चें को उनका बेटा एक झलक तक नहीं देख सका । भिलाई के कौशल यादव कारगिल युद्ध के दौरान 25 जुलाई को शहीद हो गए थे …... लेकिन वो जिंदगी की तताम खुशियों को अलविदा कह देश के लिए शहीद हो गए । वर्ष 1999 के बाद आज 20 वर्ष हो चुके है । यादें धुंधली जरूर हो गई है लेकिन शहीद की मां के लिए तो जैसे ये कल की ही बात हो । देश के लिए शहीद होने वाले कौशल यादव को यू तो उस वक्त बहुत कुछ मिला लेकिन शहीद होने का सम्मान आज भी नहीं है । जिम्मेदार अधिकारी और नेता वर्ष में एक बार समाधि स्थल पर पहुंचकर इतिश्री कर लेते है ….वही कौशल यादव के भतीजा ने कहा कि चाचा के शहीद के वक्त छोटे थे लेकिन आज भी परिवार वालो को लोगो चाचा शहीद कौशल के परिवार के नाम से जानते है शहीद कौशल को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किये वादे पूरा किये है लेकिन छग नक्सल प्रदेश में नक्सली घटनाओ में शहीद होने वाले परिवार को राज्य सरकार उनके परिवारों को दुसरे राज्य के तरह शहीद परिवार को सहयोग राशी दिया जाना चाहिए ....भतीजा कहते है कि देश के लिए लड़ने वाले ही रियल हीरो है और उनके परिवार को जवान के शहीद होने के बाद जीवनयापन करने में कोई परेशानी नही होनी चाहिए ...Conclusion:आज भले ही शहीद कौशल यादव इस दुनियां में नहीं है लेकिन वे आज भी उन लोगों के बीच जीवित है जो देश के प्रति सच्ची श्रृद्धा रखते है । आज आवश्यकता है ऐसे वीर सपूतों के सम्मान को सदा बरकरार रखने की ताकि भविष्य के निर्माता बच्चे इनसे हमेशा प्रेरणा ले सकें ...

बाईट _ धनेश्वरी देवी, शहीद कौशल की मां

बाईट_अभिषेक यादव,कौशल यादव का भतीजा


कोमेन्द्र सोनकर,दुर्ग
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.