भिलाई : पूरा भारत कारगिल विजय दिवस मना रहा है. विजय दिवस को भले ही 20 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन बूढ़ी मां के लिए मानो कल की ही बात हो जो अपने बेटे के इंतजार में बैठी थी कि बेटा युद्ध जीतकर सकुशल घर लौटेगा और मां को गले लगाएगा. लेकिन वीर जवान कौशल तो खुद को देश पर वार चुके थे वो घर लौटे तो जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटकर.
शहीद कौशल यादव भिलाई के रहने वाले थे. कारगिल युद्ध के दौरान देश के लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राण आहुत कर दिए थे. कारगिल विजय दिवस के दिन ETV भारत की टीम शहीद कौशल यादव के घर पहुंची. मां को इस बात का फक्र है कि, उनका बेटा देश के काम आया लेकिन, कौशल को याद करते हुए वो खुद को रोक नहीं पाईं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.
कौशल यादव ने मां से किया वादा नहीं किया पूरा
मां ने कहा कि कौशल बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उनके लिए तो वो बच्चा ही था. उन्होंने कहा कि कौशल ने उनसे वादा किया था कि वो जल्द ही वापस लौटेगा और अपना वादा निभाएगा. कौशल आया तो जरूर लेकिन एक शहीद के रूप में तिरंगे से लिपटे हुए. धनेश्वरी को बस इस बात का अफसोस है कि बेटा कौशल अपने मासूम बेटे की झलक भी नहीं देख सका और देश के लिए शहीद हो गया.
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'परिवार को शहीद कौशल के नाम से हैं पुकारते '
वही कौशल यादव के भतीजा ने कहा कि चाचा जब शहीद हुए थे तब वे छोटे थे लेकिन आज भी उनके परिवार को भिलाईवासी शहीद कौशल के परिवार के नाम से जानते है. उन्होंने कहा कि उन्हे केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सहायता मिल गई. वहीं नक्सल हमले में शहीद जवानों को भी पूरी सहायता मिलनी चाहिए ताकि शहीद के परिवार को जीवनयापन में परेशानी न हो क्योंकि देश के लिए लड़ने वाले ही रियल हीरो है.
वीर सपूतों के सम्मान को सदा बरकरार रखा जाए
इस युद्ध में कौशल ने देश के लिए अपनी जान दे दी, लेकिन अपने इस बलिदान के लिए वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. आज जरूरत है ऐसे वीर सपूतों के बलिदान को समय-समय याद करने की ताकि आने वाली पीढ़ी इनके बलिदान के बारे जानकर उससे प्रेरणा ले सके.