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करगिल के शहीद कौशल यादव को नमन, जिन्होंने अकेले पाकिस्तानी सैनिकों को रण में धूल चटाई - Martyr Kaushal Yadav

छत्तीसगढ़ के भिलाई के वीर सपूत कौशल यादव की वीरता को आज पूरा देश नमन कर रहा है. पाकिस्तान से युद्ध के दौरान कौशल यादव ने अकेले ही 30 पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी.

Kargil War
करगिल युद्ध
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Published : Jul 25, 2021, 8:23 PM IST

दुर्ग: करगिल युद्ध (Kargil War) में भिलाई के वीर सपूत कौशल यादव की वीरता को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. 1999 के ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के दौरान कौशल यादव ने अकेले 30 पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani soldiers) का मुकाबला किया और उन्हें जुलु टॉप की चोटी पर धूल चटाई. देश के लिए लड़ते लड़ते उन्होने सर्वोच्च बलिदान दिया और शहीद हो गए. परिवार वालों के साथ साथ पूरे देश को उनकी वीरता और साहस पर गर्व है. करगिल युद्ध की जब भी बात होती है.

करगिल के शहीद कौशल यादव को नमन

शहीद कौशल यादव (Martyr Kaushal Yadav) की शहादत का जिक्र जरूर होता है. परिवार वाले बताते हैं कि कौशल यादव को बचपन से सेना में जाने का शौक था. वह स्कूल के दिनों से ही सेना के बारे में जानकारी जुटाया करते थे. पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उन्हें खेल कूद में रूचि थी. उन्होंने बचन से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. स्कूली पढ़ाई लिखाई के बाद जब कौशल यादव बीएससी फर्स्ट इयर में थे तभी उनका चयन भारतीय सेना में हो गया.

Memorial
शहीद स्मारक

कौशल यादव को इंडियन आर्मी (Indian army) के नाइन पैरा यूनिट में उन्हें जगह मिली. साल 1989 में उन्होंने नाइन पैरा यूनिट उधमपुर में तैनाती मिली. साल 1999 के करिगल युद्ध में उन्हें जुलु टॉप में ऑपरेशन विजय की कमान मिली. कौशल यादव को जुलु टॉप को पाक सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 25 जुलाई 1999 को कौशल यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर जुलु टॉप में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने अकेल 30 दुश्मनों को पस्त किया.

Martyr Kaushal Yadav
शहीद कौशल यादव

वीर चक्र कौशल यादव : गोलियां झेलकर मारे थे पांच पाकिस्तानी, जुलु टॉप पर फहराया था तिरंगा

कौशल यादव ने कुल 5 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा. फिर वीरगति को प्राप्त हो गए. लेकिन शहादत से पहले कौशल यादव ने जुलु टॉप में तिरंगा झंडा फहराकर अपने विजय शपथ को पूरा किया. उनकी मां अपने वीर सपूत को याद कहते हुए कहती हैं कि मेरे लाल ने देश की रक्षा के लिए जो कसम खाई थी उसे पूरा किया.

कौशल यादव के भतीजे अभिषेक यादव को भी अपने चाचा पर गर्व है. उनकी बाहदुरी के किस्से सुनकर वह आज भी गौरवान्वित और रोमांचित होता है. दुर्ग- भिलाई (Durg - Bhilai) के वीर सपूत को उनकी शहादत के लिए देश सदा याद रखेगा. वतन की हिफाजत के लिए कौशल यादव ने सर्वोच्च बलिदान दिया. करगिल के इस हीरो को देश नमन करता है.

दुर्ग: करगिल युद्ध (Kargil War) में भिलाई के वीर सपूत कौशल यादव की वीरता को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. 1999 के ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के दौरान कौशल यादव ने अकेले 30 पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani soldiers) का मुकाबला किया और उन्हें जुलु टॉप की चोटी पर धूल चटाई. देश के लिए लड़ते लड़ते उन्होने सर्वोच्च बलिदान दिया और शहीद हो गए. परिवार वालों के साथ साथ पूरे देश को उनकी वीरता और साहस पर गर्व है. करगिल युद्ध की जब भी बात होती है.

करगिल के शहीद कौशल यादव को नमन

शहीद कौशल यादव (Martyr Kaushal Yadav) की शहादत का जिक्र जरूर होता है. परिवार वाले बताते हैं कि कौशल यादव को बचपन से सेना में जाने का शौक था. वह स्कूल के दिनों से ही सेना के बारे में जानकारी जुटाया करते थे. पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उन्हें खेल कूद में रूचि थी. उन्होंने बचन से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. स्कूली पढ़ाई लिखाई के बाद जब कौशल यादव बीएससी फर्स्ट इयर में थे तभी उनका चयन भारतीय सेना में हो गया.

Memorial
शहीद स्मारक

कौशल यादव को इंडियन आर्मी (Indian army) के नाइन पैरा यूनिट में उन्हें जगह मिली. साल 1989 में उन्होंने नाइन पैरा यूनिट उधमपुर में तैनाती मिली. साल 1999 के करिगल युद्ध में उन्हें जुलु टॉप में ऑपरेशन विजय की कमान मिली. कौशल यादव को जुलु टॉप को पाक सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 25 जुलाई 1999 को कौशल यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर जुलु टॉप में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने अकेल 30 दुश्मनों को पस्त किया.

Martyr Kaushal Yadav
शहीद कौशल यादव

वीर चक्र कौशल यादव : गोलियां झेलकर मारे थे पांच पाकिस्तानी, जुलु टॉप पर फहराया था तिरंगा

कौशल यादव ने कुल 5 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा. फिर वीरगति को प्राप्त हो गए. लेकिन शहादत से पहले कौशल यादव ने जुलु टॉप में तिरंगा झंडा फहराकर अपने विजय शपथ को पूरा किया. उनकी मां अपने वीर सपूत को याद कहते हुए कहती हैं कि मेरे लाल ने देश की रक्षा के लिए जो कसम खाई थी उसे पूरा किया.

कौशल यादव के भतीजे अभिषेक यादव को भी अपने चाचा पर गर्व है. उनकी बाहदुरी के किस्से सुनकर वह आज भी गौरवान्वित और रोमांचित होता है. दुर्ग- भिलाई (Durg - Bhilai) के वीर सपूत को उनकी शहादत के लिए देश सदा याद रखेगा. वतन की हिफाजत के लिए कौशल यादव ने सर्वोच्च बलिदान दिया. करगिल के इस हीरो को देश नमन करता है.

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