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आपकी लोकसभा: मोदी की आंधी में बीजेपी के इस गढ़ को ले उड़ी थी कांग्रेस

आम चुनाव 2014 में प्रदेश की 11 में से दुर्ग इकलौती सीट थी, जिसपर कांग्रेस ने कब्जा किया. वर्तमान में दुर्ग की 9 विधानसभा सीट में से 8 पर कांग्रेस का कब्जा है.

दुर्ग लोकसभा
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Published : Mar 29, 2019, 12:40 PM IST

दुर्ग: सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट लंबे समय तक बीजेपी के कब्जे में रही, लेकिन जब देश में मोदी की आंधी चल रही थी, तब आम चुनाव 2014 में प्रदेश की 11 में से दुर्ग इकलौती सीट थी, जिसपर कांग्रेस ने कब्जा किया. दुर्ग लोकसभा में 9 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें 8 पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं एक विधानसभा सीट वैशाली नगर पर बीजेपी का कब्जा है. दुर्ग संसदीय क्षेत्र दुर्ग, बेमेतरा और बालोद जिले के कुछ हिस्से को कवर करता है. इस संसदीय क्षेत्र में लगभग हर वर्ग और समुदाय के लोग रहते हैं, इसमें साहू, कुर्मी और अनुसूचित जाति से सबसे ज्यादा मतदाता हैं.

वीडियो

2004 से 2014 तक बीजेपी का कब्जा
आजादी के बाद से दुर्ग लोकसभा सीट के लिए 16 बार आम चुनाव हुए हैं. 1952 से 1999 के तक दुर्ग संसदीय क्षेत्र बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र मध्य प्रदेश का हिस्सा था. इसके बाद 2004 से 2014 में बतौर छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना और तब से अब तक यहां तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. 1996 से इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा रहा, लेकिन 2014 के चुनावों में कांग्रेस इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही.

साहू, कुर्मी वोटर निर्णायक
दुर्ग की जातिगत समीकरण की बात करें तो साहू, कुर्मी और अनुसूचित जाति के दबदबे वाले इस क्षेत्र में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने कुर्मी जाति पर दांवा लगाया है. बीजेपी ने इस बार विजय बघेल को और कांग्रेस ने प्रतिमा चंद्राकर मौदान में उतारा है.

बेरोजगारी बड़ी समस्या
क्षेत्र में 40 फीसदी युवा वोटरों की संख्या बताई जाती है. जिसपर सबकी नजर है. वहीं युवाओं की इतनी संख्या होने के कारण क्षेत्र में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. यहां एशिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट के साथ कई छोटे-छोटे उद्योग स्थापित हैं, बावजूद इसके क्षेत्र का एक बड़ा वर्ग बेरोजगारी की मार झेल रहा है. वहीं इलाके से मुख्यमंत्री समेत दो बड़े मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ पानी की समस्या गंभीर बनी है. क्षेत्र की एक बड़ी समस्या रेडियस वाटर के रूप में है. बीते 20 वर्षों से यहां की जिवनदायिनी शिवनाथ नदी के एक हिस्से को निजी कंपनी को दे दिया गया है. जिसके कारण निजी कंपनी नदी किनारे बसे लोगों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी देने से मना कर दिया है. हालांकि, 2020 में ये अनुबंध खत्म होने वाला है और ग्रामीण इस अनुबंध को हमेशा के लिए खत्म करने की मांग कर रहे हैं.

दुर्ग: सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट लंबे समय तक बीजेपी के कब्जे में रही, लेकिन जब देश में मोदी की आंधी चल रही थी, तब आम चुनाव 2014 में प्रदेश की 11 में से दुर्ग इकलौती सीट थी, जिसपर कांग्रेस ने कब्जा किया. दुर्ग लोकसभा में 9 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें 8 पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं एक विधानसभा सीट वैशाली नगर पर बीजेपी का कब्जा है. दुर्ग संसदीय क्षेत्र दुर्ग, बेमेतरा और बालोद जिले के कुछ हिस्से को कवर करता है. इस संसदीय क्षेत्र में लगभग हर वर्ग और समुदाय के लोग रहते हैं, इसमें साहू, कुर्मी और अनुसूचित जाति से सबसे ज्यादा मतदाता हैं.

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2004 से 2014 तक बीजेपी का कब्जा
आजादी के बाद से दुर्ग लोकसभा सीट के लिए 16 बार आम चुनाव हुए हैं. 1952 से 1999 के तक दुर्ग संसदीय क्षेत्र बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र मध्य प्रदेश का हिस्सा था. इसके बाद 2004 से 2014 में बतौर छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना और तब से अब तक यहां तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. 1996 से इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा रहा, लेकिन 2014 के चुनावों में कांग्रेस इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही.

साहू, कुर्मी वोटर निर्णायक
दुर्ग की जातिगत समीकरण की बात करें तो साहू, कुर्मी और अनुसूचित जाति के दबदबे वाले इस क्षेत्र में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने कुर्मी जाति पर दांवा लगाया है. बीजेपी ने इस बार विजय बघेल को और कांग्रेस ने प्रतिमा चंद्राकर मौदान में उतारा है.

बेरोजगारी बड़ी समस्या
क्षेत्र में 40 फीसदी युवा वोटरों की संख्या बताई जाती है. जिसपर सबकी नजर है. वहीं युवाओं की इतनी संख्या होने के कारण क्षेत्र में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. यहां एशिया के सबसे बड़े स्टील प्लांट के साथ कई छोटे-छोटे उद्योग स्थापित हैं, बावजूद इसके क्षेत्र का एक बड़ा वर्ग बेरोजगारी की मार झेल रहा है. वहीं इलाके से मुख्यमंत्री समेत दो बड़े मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ पानी की समस्या गंभीर बनी है. क्षेत्र की एक बड़ी समस्या रेडियस वाटर के रूप में है. बीते 20 वर्षों से यहां की जिवनदायिनी शिवनाथ नदी के एक हिस्से को निजी कंपनी को दे दिया गया है. जिसके कारण निजी कंपनी नदी किनारे बसे लोगों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी देने से मना कर दिया है. हालांकि, 2020 में ये अनुबंध खत्म होने वाला है और ग्रामीण इस अनुबंध को हमेशा के लिए खत्म करने की मांग कर रहे हैं.

लोकसभा प्रोफाइल

 

एंकर_छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद से दुर्ग लोकसभा सीट पर कुल 16 चुनाव हो चुके हैं.1952 से 1999 के बीच बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र मध्य प्रदेश का हिस्सा था. इसके बाद 2004 से 2014 में बतौर छत्तीसगढ़ का हिस्सा बिलासपुर में तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं.1996 से इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा रहा, लेकिन 2014 के चुनावों में कांग्रेस इस सीट को हथियाने में कामयाब रही. इस निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में ताम्रध्वज साहू सांसद हैं.ताम्रध्वज साहू २०१८ के विधानसभा चुनाव में जीतकर छग शासन में केबिनेट  मंत्री है और सांसद से इस्तीफा दे चुके है ...इस निर्वाचन क्षेत्र से सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में से एक चंदूलाल चंद्राकर ने लोकसभा के पांच चुनाव जीते हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए 1990 के अंत में कड़ी मेहनत की… बीजेपी ने 1996 से 2009 तक दुर्ग में लगातार 5 चुनाव जीते, जिनमें से चार बार तारा चंद साहू ने जीते.2009 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, तारा चंद साहू को बीजेपी द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निष्कासित कर दिया गया था. जिसके नतीजतन उन्होंने राज्य में तीसरा मोर्चा खोलने छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच (CSM) की स्थापना की. इसके लिए उन्होंने  गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने की कोशिश की. अब तक केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है. उन्होंने 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. हालांकि, वे तीसरे पायदान पर रहे...

 

वर्तमान में दुर्ग लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 9 सीटें आती हैं. इनमें से दो अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. जिनमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा(एससी), साजा, बेमेतरा और नवागढ़(एससी) शामिल है...विधानसभा चुनाव में 9 सीटो में 8 पर कांग्रेस का कब्जा है तो सिर्फ एक सीट पर भाजपा ने अपना कमल खिलाया है ....दुर्ग लोकसभा में कुल 1928647 मतदाता है जिसमे पुरुष मतदाताओ की संख्या 971915 व महिला मतदाता की संख्या 956649 तो वही 83 अन्य है ..

 

 

 

 

 

2014 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

 

ताम्रध्वज साहू         कांग्रेस    570687    

सरोज पांडे            बीजेपी     553839    

 अंतर _16484  

 

2009 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

 

सरोज पांडे          बीजेपी     283170    

प्रदीप चौबे           कांग्रेस    273216   

ताराचंद साहू  छग स्वाभिमान मंच 261000 

    अंतर _9954  

 

2004 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

ताराचंद साहू          बीजेपी     382757    

भूपेश बघेल            कांग्रेस    321289   

अंतर _61468

 

2019 में कांग्रेस और भापजा में सिधी टक्कर

कांग्रेस प्रत्याशी :- प्रतिमा चंद्राकर

*2005 से AICC मेम्बर

*कुर्मी समाज की प्रथम महिला विधायक

*4 बार प्रत्याशी बनाया गया था जिसमे 2 बार खेरथा (1998-2004) दुर्ग ग्रामीण (2008-2013) में विधायक बनी ,और 2 बार पराजित हो गए  

*1985 से 1990 तक दुर्ग जिला महिला की महामंत्री बनी

*1994 से 1998 तक जिला पंचायत की निर्वाचित सदस्य बनी

*1995 से 2006 तक जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के संचालक मंडल सदस्य रही

2018 दुर्ग ग्रामीण सीट से टिकट काटकर ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया गया था

 

भाजपा प्रत्याशी :- विजय बघेल

1993 से कांग्रेस में राजनितिक जीवन की शुरुआत

2000 में कांग्रेस से टिकट नही मिलने पर निर्दलीय नगर पालिका परिषद भिलाई 3 के अध्यक्ष का चुनाव लड़े

2000 से 2005 तक नगर पालिका परिषद भिलाई 3 के अध्यक्ष रहे

2003 में पाटन विधानसभा सीट पर NCP से चुनाव लड़े और पारजित हो गए थे

2008 में भाजपा से पाटन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़े जिसमे वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हराकर छग शासन में संसदीय सचिव (गृह,जेल,सहकारिता) बने

2013 में विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल से पराजित हो गए

2018 के पाटन विधानसभा सीट से टिकट काटकर मोतीलाल साहू को टिकट दिया गया था

वर्तमान में सर्व कुर्मी क्षत्रिय समाज के प्रदेश अध्यक्ष है

 

जातिगत समीकरण

दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने कुर्मी जाति पर अपना दावा खेल और भाजपा से विजय बघेल तो कांग्रेस से प्रतिमा चंद्राकर को चुनावी मौदान में उतारा है दुर्ग लोकसभा में साहू,कुर्मी,अनुसूचित जाति सहित अनय शामिल है दुर्ग लोकसभा इस मुख्य को जाता कि जिले से प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित 3 मंत्रियो की मौजूदगी है ये कांग्रेस को मजबूत बनाने में कोई कसर नही छोड़ेगे लिहाजा पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद इस लोकसभा सीट से भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय को करारी हार का सामना करना पड़ा...

 

लोकसभा में मुद्दे :-

बेरोजगारी

दुर्ग लोकसभा में 40 % युवा वोटर है युवाओ के लिए सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है इस क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट स्थित है और कई छोटे उद्योग भी स्थापित है..युवाओ का एक बड़ा वर्ग शिक्षा के बावजूद बेरोजगार है पिछली राज्य और केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया है जिसके चलते युवाओ को रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेश में भटकना पड़ता है ....

शिक्षा

दुर्ग और भिलाई को पुरे प्रदेश में शिक्षाधानी के नाम से जाना जाता है पुरे प्रदेश से कई युवा शिक्षा की तलाश में यहाँ आकर पढाई करते है वाही पढाई के बाद रोजगार जहा गंभीर समस्या बन जाती है तो महँगी फीस देने के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता नही मिल पाती....माध्यम और गरीब वर्ग के लोग अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देने में असमर्थ दिखाई पड़ते है ..वही प्रायवेट स्कुलो द्वारा मनमानी फीस वृद्धि को लेकर कई आन्दोलन हुए है पर न तो राज्य न ही केंद्र सरकार इस विषय पर कोई बड़ी राहत जनता को दिला नही पाए ..

स्वास्थ्य

सरकारे अक्सर स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत की बात तो करती दिखाई देती है पर स्वास्थ्य सुविधाओ के आभाव में कोई भी देश का नागरिक कैसे स्वस्थ हो सकता है इस बात पर विचार ही करना भूल जाती है दुर्ग जिले में एकमात्र शासकीय अस्पताल है जिसमे जिले की लगभग 20 लाख से अधिक की आबादी निर्भर है दुर्ग जिले के अलावा बेमेतरा व बालोद की जनता भी इसी अपस्ताल में अपना इलाज करने को मजबूर रहते है ...जिला चिकित्सालय भी डाक्टरों व स्वास्थ्य सुविधाओ की कमी से जूझता हुआ बीमार नज़र आता है ….

यातायात  सुविधा

दुर्ग लोकसभा की यह तस्वीर पिछले 50 सालों में उतनी विकसित नही हो पाई जितना नेताओ ने दावा किया था दुर्ग जिले से लगा बेमेतरा जिला अब तक रेल लाईन के लिए केवल सपने देख रहा है हर चुनाव में जनता से वादा किया जाता है पर 5 साल बीतने के बाद जनता को तस्वीर वाही की वही होती है दुर्ग से रायपुर के बीच मेट्रो ट्रेन चलाने की बात पिछले 10 सालो से किये जा रहे है पर चुनाव ख़त्म होते ही सारे दावे की हवा निकल जाती है ...जिसका परिणाम यह होता है की यात्रियों को महँगी बस सेवा और अधिक समय यात्रा में खर्च करना पड़ता है ....

रेडियस वाटर

विगत 20 वर्षो से निजी कम्पनी को शिवनाथ नदी के एक हिस्से को निजीकरण से नटी के किनारे बसे गाँव के लोग राज्य और केंद्र सरकार से काफी नाराजगी ...निजी कमपनी द्वारा नदी किनारे बसे लोगो को पीने के पेयजल और न सिचाई के लिए पानी उपलब्ध करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है ....निजी कम्पनी का 2020 में अनुबंध ख़त्म होने वाला है और नदी किनारे बसे लोगो की मांग है की नदी को निजीकरण से मुक्त किया जाए

किसान

छत्तीसगढ़ एक किसान प्रधान देश में जाना जाता है केंद्र सरकार ने किसानो से किये वादे को पिछले 5 सालो में पूरा नही कर पाए प्रधानमंत्री सिचाई योजना अभी तक अधर में लटका हुआ है तो वही फसल बीमा योजना का लाभ भी किसानो को सुचारू रूप से पूर्ण नही हो पाया है फसल बीमा योजना के तहत किसानो को बीमा के नाम पर छल दिए ...


कोमेन्द्र सोनकर,दुर्ग 


नोट_इस खबर का विजुअल और बाईट FTP किया हूँ चेक कर लीजियेगा ....

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