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कोरोना पर प्रोफेसर ने लिखी 7 किताबें, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम - प्रोफेसर शिवानंद कावड़े

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया बंद थी, सबने इसे अपने-अपने तरीके से काटा. कुछ ने खाना बनान सीखा, कुछ ने पेंटिंग और भी कई तरह के स्किल सीखा. इस दौरान किए गए काम ने कई लोगों को समाज और देश में उन्हें एक अलग पहचान दिलाई. जिन लोगों ने अगल पहचान बनाई उन्हीं में से एक दुर्ग जिले के प्रोफेसर शिवानंद कावड़े हैं. लॉकडाउन में किए गए काम ने इनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया है.

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प्रोफेसर शिवानंद कावड़े
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Published : Apr 5, 2021, 11:07 PM IST

दुर्ग: लॉकडाउन में एक ओर जहां पूरी दुनिया घरों में कैद थी, दूसरी ओर एक प्रोफेसर ने कोरोना वायरस पर 7 किताब लिखकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया है. जी हां हम बात कर रहे हैं दुर्ग के पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रोफेसर शिवानंद कावड़े की, जिन्होंने लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए कोरोना पर न केवल किताब लिखी है, बल्कि कोरोना बीमारी क्या है, किस तरह से फैलती है, इस बीमारी से बचने के उपाय समेत कोरोना की सम्पूर्ण जानकारी दी है. उनकी इस किताब की वजह से उनका नाम अब गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए शामिल किया गया है. ईटीवी भारत से प्रोफेसर कावड़े ने खास बातचीत करते हुए किताबों से साथ कई जानकारियां साझा की है.

कोरोना पर किताब

सवाल: कोरोना पर आधारित किताब लिखने की सोच आपके मन में कैसे आई ?

जवाब: कोरोना एक वैश्विक स्तर की महामारी है. इसका सीधा प्रभाव हमारे देश के समाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक और विभिन्न प्रसंगों और संदर्भों में पड़ रहा है. यह देख कर मेरे मन में बात उठी. जिसकी मौत कोरोना से लिखी है उससे तो हो रही है, लेकिन आने वाले समय में जब हमसे पूछा जाएगा, ये कोरोना क्या चीज है? इसका आकार कैसा होगा? क्योंकि हजार साल पहले जब हैजा, प्लेग और इबोला जैसी बीमारी आई थी तो उसका रिकॉर्ड हमको कहीं नहीं मिला. इसलिए मेरे मन में कोरोना पर किताब लिखने की बात आई.

सवाल: सात किताबें कौन कौन सी है? इसमें क्या कुछ लिखा गया है?

जवाब: सात किताबों में पहली किताब कोरोना एक वैश्विक महामारी है. इसमें 360 प्रश्नों के माध्यम से कोरोना क्या है? उसकी पूरी कहानी, उसका प्रागैतिहासिक काल, उसका जन्म कैसे हुआ? मतलब कोरोना की पूरी कहानी इस किताब में मिल जाएगी. दूसरी किताब कोरोना फोटो पत्रकारिता है. जिसमें पत्रकार किस तरह से काम कर रहे थे, उसके बारे में लिखा गया है. तीसरी किताब कोरोना आपदा प्रबंधन है. ये कोरोना काल में प्रशासन के प्रबंधन पर आधारित है. कैसे दुकानों की खुलने का समय से लेकर सारी चीजों की व्यवस्था की गई. उसके बाद कोरोना कैप्सूल, कोरोनायन, कोरोना चिंतन, कोरोना गजल संग्रह और कोरोना सचित्र शब्दावली किताबें लिखी है.

books on corona
कोरोना पर किताब

बालौदाबाजार: कोरोना प्रोटोकॉल का नहीं हो रहा पालन, हो सख्ती

सवाल: अपने कोरोना गजल संग्रह लिखा है, यह कैसा है?

जवाब: गजल एक बहुत ही संवेदनशील पक्ष की ओर जाता है. कोरोना की वजह से जो मानवीय संवेदनाएं लोगों के सामने जो मरती हुई नजर आई, इतनी मौतें लोगों ने देखी की उनकी आंख की आंसू तक खत्म हो गए. ऐसे संवेदनशील तथ्यों पर अगर गजल नहीं लिखा जाता तो शायद मैं अपने अंदर के लेखक को माफ नहीं कर पाता.

सवाल: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में आप का नाम दर्ज हुआ कैसे आपको जानकारी हुई?

जवाब: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से मेल आया कि आपका वर्क यूनिक है और निश्चित रूप से यह सराहनीय है. क्योंकि किसी ने भी कोरोना पर 7 किताबें नहीं लिखी थी. इसलिए इन किताबों को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया. इसी संबंध में इंडिया ऑफ रिकॉर्ड भी दर्ज है, जो भारत की संस्था है.

सवाल: आपकी किताबें क्या संदेश दे रही है?

जवाब: पहली चीज तो यह है कि एक अच्छे लेखक को या एक अच्छे समाज में रहने वाले चाहे वह डॉक्टर हों, जो भी हों. उनको अपने समाज में जो घटनाएं घट रही हैं. उसके प्रति जागरूक होना चाहिए. जैसे डॉक्टर है तो सही समय पर इलाज करें. प्रशासक हैं तो सही ढंग से प्रबंधन करें. उसी तरह से एक लेखक है शिक्षक है कोरोना से संबंधित जितनी घटनाएं घट रही है, उसका वो एकीकरण कर सार्वजनीकरण करने की कोशिश करनी चाहिए. मेरी किताब में यहीं सब है.

दुर्ग: लॉकडाउन में एक ओर जहां पूरी दुनिया घरों में कैद थी, दूसरी ओर एक प्रोफेसर ने कोरोना वायरस पर 7 किताब लिखकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया है. जी हां हम बात कर रहे हैं दुर्ग के पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रोफेसर शिवानंद कावड़े की, जिन्होंने लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए कोरोना पर न केवल किताब लिखी है, बल्कि कोरोना बीमारी क्या है, किस तरह से फैलती है, इस बीमारी से बचने के उपाय समेत कोरोना की सम्पूर्ण जानकारी दी है. उनकी इस किताब की वजह से उनका नाम अब गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए शामिल किया गया है. ईटीवी भारत से प्रोफेसर कावड़े ने खास बातचीत करते हुए किताबों से साथ कई जानकारियां साझा की है.

कोरोना पर किताब

सवाल: कोरोना पर आधारित किताब लिखने की सोच आपके मन में कैसे आई ?

जवाब: कोरोना एक वैश्विक स्तर की महामारी है. इसका सीधा प्रभाव हमारे देश के समाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक और विभिन्न प्रसंगों और संदर्भों में पड़ रहा है. यह देख कर मेरे मन में बात उठी. जिसकी मौत कोरोना से लिखी है उससे तो हो रही है, लेकिन आने वाले समय में जब हमसे पूछा जाएगा, ये कोरोना क्या चीज है? इसका आकार कैसा होगा? क्योंकि हजार साल पहले जब हैजा, प्लेग और इबोला जैसी बीमारी आई थी तो उसका रिकॉर्ड हमको कहीं नहीं मिला. इसलिए मेरे मन में कोरोना पर किताब लिखने की बात आई.

सवाल: सात किताबें कौन कौन सी है? इसमें क्या कुछ लिखा गया है?

जवाब: सात किताबों में पहली किताब कोरोना एक वैश्विक महामारी है. इसमें 360 प्रश्नों के माध्यम से कोरोना क्या है? उसकी पूरी कहानी, उसका प्रागैतिहासिक काल, उसका जन्म कैसे हुआ? मतलब कोरोना की पूरी कहानी इस किताब में मिल जाएगी. दूसरी किताब कोरोना फोटो पत्रकारिता है. जिसमें पत्रकार किस तरह से काम कर रहे थे, उसके बारे में लिखा गया है. तीसरी किताब कोरोना आपदा प्रबंधन है. ये कोरोना काल में प्रशासन के प्रबंधन पर आधारित है. कैसे दुकानों की खुलने का समय से लेकर सारी चीजों की व्यवस्था की गई. उसके बाद कोरोना कैप्सूल, कोरोनायन, कोरोना चिंतन, कोरोना गजल संग्रह और कोरोना सचित्र शब्दावली किताबें लिखी है.

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कोरोना पर किताब

बालौदाबाजार: कोरोना प्रोटोकॉल का नहीं हो रहा पालन, हो सख्ती

सवाल: अपने कोरोना गजल संग्रह लिखा है, यह कैसा है?

जवाब: गजल एक बहुत ही संवेदनशील पक्ष की ओर जाता है. कोरोना की वजह से जो मानवीय संवेदनाएं लोगों के सामने जो मरती हुई नजर आई, इतनी मौतें लोगों ने देखी की उनकी आंख की आंसू तक खत्म हो गए. ऐसे संवेदनशील तथ्यों पर अगर गजल नहीं लिखा जाता तो शायद मैं अपने अंदर के लेखक को माफ नहीं कर पाता.

सवाल: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में आप का नाम दर्ज हुआ कैसे आपको जानकारी हुई?

जवाब: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से मेल आया कि आपका वर्क यूनिक है और निश्चित रूप से यह सराहनीय है. क्योंकि किसी ने भी कोरोना पर 7 किताबें नहीं लिखी थी. इसलिए इन किताबों को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया. इसी संबंध में इंडिया ऑफ रिकॉर्ड भी दर्ज है, जो भारत की संस्था है.

सवाल: आपकी किताबें क्या संदेश दे रही है?

जवाब: पहली चीज तो यह है कि एक अच्छे लेखक को या एक अच्छे समाज में रहने वाले चाहे वह डॉक्टर हों, जो भी हों. उनको अपने समाज में जो घटनाएं घट रही हैं. उसके प्रति जागरूक होना चाहिए. जैसे डॉक्टर है तो सही समय पर इलाज करें. प्रशासक हैं तो सही ढंग से प्रबंधन करें. उसी तरह से एक लेखक है शिक्षक है कोरोना से संबंधित जितनी घटनाएं घट रही है, उसका वो एकीकरण कर सार्वजनीकरण करने की कोशिश करनी चाहिए. मेरी किताब में यहीं सब है.

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