दुर्ग : छत्तीसगढ़ पुलिस की 2020 में दर्ज की गई नई एफआईआर के खिलाफ एनआईए की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम मामले में दखल नहीं देंगे.आपको बता दें कि सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में नक्सली हमले में 27 कांग्रेस नेताओं की मौत की जांच एनआईए के करने के बाद भी राज्य सरकार ने नए सिरे से जांच कराने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी.इसी जांच को रोकने के लिए एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की : झीरम नक्सल हमले की जांच पर एनआईए की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इसके बाद से छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए इस मामले की जांच का रास्ता खुल गया है. इस मामले में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ पुलिस को जांच करने से रोकने की याचिका को खारिज किया है. ये बहुत ही अच्छी बात है. छत्तीसगढ़ की जनता और शहीद हुए 30 नेताओं के परिवार को अब न्याय मिलेगा.वहीं गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने झीरम घाटी मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है.
''छत्तीसगढ़ की जनता ने भी इस फैसले के लिए काफी दिनों से इंतजार कर रही है. 25 मई 2013 में झीरम में हमारे नेताओं की नक्सलियों के द्वारा हत्या की गई थी. अब तक इस षड्यंत्र का खुलासा नहीं हो पाया है.एनआईए को जांच करने के लिए दिया गया था. लेकिन उन्होंने भी जांच करके क्लोजर रिपोर्ट दे दी.लेकिन उसमें असली गुनाहगार नहीं थे.अब सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को जांच करने का जिम्मा सौंप दिया है, यह बहुत अच्छी बात है.'' ताम्रध्वज साहू,गृहमंत्री छग
किसने दर्ज कराई थी शिकायत ? : एनआईए इस मामले की जांच 2013 से कर रही है. इस मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया गया है .अब तक आरोपियों के खिलाफ 2 चार्जशीट दाखिल हुए हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह की सरकार में यह हमला हुआ था. इस नक्सली हमले में 27 कांग्रेसी नेताओं की हत्या हुई थी. इस केस में जितेंद्र मुदलियार ने नक्सल हमले में षड्यंत्र की जांच करने एफआईआर दर्ज कराई थी.जिसकी जांच का जिम्मा छत्तीसगढ़ पुलिस को दिया गया था.लेकिन इससे पहले कि छत्तीसगढ़ पुलिस जांच करती,एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में जांच रोकने की याचिका दाखिल कर दी.जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने NIA की याचिका खारिज कर दी है.