दुर्ग: धमधा ब्लॉक टमाटर उत्पादन में नंबर वन है. यहां से छत्तीसगढ़ समेत पड़ोसी राज्यों के साथ ही पूरे दक्षिण भारत में टमाटर भेजा जाता है. धमधा के टमाटर का निर्यात पाकिस्तान में भी किया जाता है. इस साल इस क्षेत्र में टमाटर की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन अधिक उत्पादन ही किसानों के लिए निराशा का कारण बन गया है.
टमाटर की फसल के लिए मौसम रहा अनुकूल: दक्षिण भारत सहित अन्य राज्यों में भी इस बार का मौसम टमाटर की फसल के लिए अनुकूल रहा. जिसके कारण इस बार दूसरे राज्यों से मांग नहीं हुई. जिसके चलते टमाटर की फसल खेतों में पड़ी हुई है. उचित कीमत नहीं मिलने का कारण इसकी तोड़ाई भी नहीं की जा रही है. वहीं कुछ किसानों ने तो मवेशियों को खेत में टमाटर खाने छोड़ दिया है. तो वही कई किसानों ने तो टमाटर को सड़कों के किनारे फेंक दिया है.
दो से तीन महीने में होगा नुकसान का आंकलन: दुर्ग उद्यानिकी विभाग की उप संचालक पूजा कश्यप साहू ने बताया "पूरे दुर्ग जिले में 9560 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की जा रही है. जिसके चलते टमाटर की फसल दुर्ग में भी अधिक हुई है. जिसके कारण दुर्ग और धमधा के किसानों को ट्रांसपोर्टिंग की जो सही कीमत थी, वह नहीं मिल पा रही थी. लेइवाल भी नहीं मिल पाया है. नुकसान का सही आंकलन दो से तीन महीने बाद ही हो पायेगा."
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किसान आधे कीमत पर टमाटर बेचने को मजबूर: इस मामले को लेकर किसान नेता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि "जिले के किसानों को लागत से आधे कीमत पर टमाटर बेचने पर मजबूर होना पड़ा है. जितने रकबे पर फसल बोया गया है. उसके अनुसार छोटे बड़े किसानों को 50 से 60 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. इस तरह का नुकसान टमाटर उत्पादक किसानों को आगे भी होता रहेगा. जब तक राज्य सरकार टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट के लिए ठोस पहल नहीं की करेगी. तब तक किसानों को परेशान होना पड़ेगा"
Farmer throw tomato crop on road: किसान टमाटर की फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर, फसल को खिलाने खेतों में मवेशियों को छोड़ा
टमाटर के गढ़ कहे जाने वाले धमधा ब्लॉक में टमाटर उत्पादन करने वाले किसान इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहे हैं. बंपर उत्पादन होने की वजह से किसान टमाटरों को सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. कुछ किसानों ने तो अपने मवेशियों को इसे खाने के लिए खुला छोड़ दिया है. किसानों ने तो 2 माह से फसल की तोड़ाई भी नहीं की. जिले में लगभग 50 से 60 करोड़ रुपयों के टमाटर की फसल का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है. Tomato farmers upset in Chhattisgarh
दुर्ग: धमधा ब्लॉक टमाटर उत्पादन में नंबर वन है. यहां से छत्तीसगढ़ समेत पड़ोसी राज्यों के साथ ही पूरे दक्षिण भारत में टमाटर भेजा जाता है. धमधा के टमाटर का निर्यात पाकिस्तान में भी किया जाता है. इस साल इस क्षेत्र में टमाटर की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन अधिक उत्पादन ही किसानों के लिए निराशा का कारण बन गया है.
टमाटर की फसल के लिए मौसम रहा अनुकूल: दक्षिण भारत सहित अन्य राज्यों में भी इस बार का मौसम टमाटर की फसल के लिए अनुकूल रहा. जिसके कारण इस बार दूसरे राज्यों से मांग नहीं हुई. जिसके चलते टमाटर की फसल खेतों में पड़ी हुई है. उचित कीमत नहीं मिलने का कारण इसकी तोड़ाई भी नहीं की जा रही है. वहीं कुछ किसानों ने तो मवेशियों को खेत में टमाटर खाने छोड़ दिया है. तो वही कई किसानों ने तो टमाटर को सड़कों के किनारे फेंक दिया है.
दो से तीन महीने में होगा नुकसान का आंकलन: दुर्ग उद्यानिकी विभाग की उप संचालक पूजा कश्यप साहू ने बताया "पूरे दुर्ग जिले में 9560 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की जा रही है. जिसके चलते टमाटर की फसल दुर्ग में भी अधिक हुई है. जिसके कारण दुर्ग और धमधा के किसानों को ट्रांसपोर्टिंग की जो सही कीमत थी, वह नहीं मिल पा रही थी. लेइवाल भी नहीं मिल पाया है. नुकसान का सही आंकलन दो से तीन महीने बाद ही हो पायेगा."
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किसान आधे कीमत पर टमाटर बेचने को मजबूर: इस मामले को लेकर किसान नेता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि "जिले के किसानों को लागत से आधे कीमत पर टमाटर बेचने पर मजबूर होना पड़ा है. जितने रकबे पर फसल बोया गया है. उसके अनुसार छोटे बड़े किसानों को 50 से 60 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. इस तरह का नुकसान टमाटर उत्पादक किसानों को आगे भी होता रहेगा. जब तक राज्य सरकार टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट के लिए ठोस पहल नहीं की करेगी. तब तक किसानों को परेशान होना पड़ेगा"