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प्रवासी मजदूरों का राशन कार्ड बनाने में दुर्ग जिला अव्वल, लगातार बनाई जा रही है लिस्ट - प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों के लिए राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला (दुर्ग) सबसे आगे है. जिले में 14 हजार एपीएल और 700 बीपीएल राशन कार्ड लॉकडाउन के दौरान बनाए गए हैं. वहीं बचे हुए मजदूरों की सूची तैयार की जा रही है, जिसके बाद उनका भी राशन कार्ड बनाया जाएगा.

labourers of durg get ration card
दुर्ग में प्रवासी मजदूरों के बने राशन कार्ड
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Published : Jun 19, 2020, 3:55 PM IST

Updated : Jun 19, 2020, 6:15 PM IST

दुर्ग: जिले में लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों और कई जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध कराने के लिए राशन कार्ड बनाया जा रहा है. जिले में 14 हजार एपीएल और 700 बीपीएल राशन कार्ड लॉकडाउन के दौरान बनाए गए हैं. राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला दुर्ग सबसे आगे है.

प्रवासी मजदूरों का राशन कार्ड बनाने में दुर्ग जिला अव्वल

इसके साथ ही हाल ही में 22 प्रवासी श्रमिक परिवारों को 10 किलो चावल और एक किलो चना नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया है. लॉकडाउन के दौरान सभी गरीब परिवारों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर नि:शुल्क चावल और चने का वितरण उचित मूल्य की दुकानों से किया गया. इसके तहत जिले में अब तक 14 हजार राशन कार्ड बनाकर दुर्ग जिला सभी जिलों से आगे है. वहीं 700 गरीबी रेखा के राशन कार्ड भी बना लिए गए हैं.

labourers of durg get ration card
प्रवासी मजदूरों को बांटे गए राशन कार्ड

बचे हुए श्रमिकों की बन रही सूची

जिला खाद्य नियंत्रक अधिकारी सीपी दीपांकर ने बताया कि बाहर से आए श्रमिकों का राशन कार्ड बनाया गया है. शेष बचे श्रमिकों की सूची तैयार की जा रही है, जिसके बाद वितरण प्रणाली में आवश्यता के अनुसार चावल का वितरण किया जाएगा. इसके अलावा खाद्य नियंत्रक अधिकारी ने बताया कि मई और जून महीने में 10 किलो चावल और 2 किलो चना देने के लिए 2200 परिवारों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जिसमें 6500 लोग शामिल हैं.

पढ़ें- बड़ा फैसलाः प्रवासियों को 5 किलो प्रति व्यक्ति राशन देगी सरकार

बाहर से आए श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था करने राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत कर उन्हें भी नि:शुल्क 10 किलो चावल और एक किलो चना दिया जाए. प्रदेश में लॉकडाउन के कारण कोई भूखा न सोए इसके लिए भी राज्य सरकार ने कोशिश की है. श्रमिकों को रोजगार देने की योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- रायपुर : अब तक 3.75 लाख प्रवासी श्रमिक और दूसरे लोग सकुशल लौटे छत्तीसगढ़

कोरोना संकट के मद्देनजर करीब ढाई महीने से लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों के हिस्से में आई. मजदूर देश के अलग-अलग कोने से अपने-अपने गृहराज्य जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. लॉकडाउन ने उनसे उनकी रोजी-रोटी छीन ली. दो वक्त के निवाले के लिए भी वो मोहताज हो गए. कई मजदूर हादसे का शिकार हुए, कई की जानें भी गई. सरकार ने उन्हें अपने घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू किया, जिसमें अब तक हजारों मजदूर छत्तीसगढ़ आ चुके हैं. फिलहाल ढाई महीने के बाद अनलॉक किए जाने से प्रदेश में राहत तो है, लेकिन कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

दुर्ग: जिले में लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों और कई जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध कराने के लिए राशन कार्ड बनाया जा रहा है. जिले में 14 हजार एपीएल और 700 बीपीएल राशन कार्ड लॉकडाउन के दौरान बनाए गए हैं. राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला दुर्ग सबसे आगे है.

प्रवासी मजदूरों का राशन कार्ड बनाने में दुर्ग जिला अव्वल

इसके साथ ही हाल ही में 22 प्रवासी श्रमिक परिवारों को 10 किलो चावल और एक किलो चना नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया है. लॉकडाउन के दौरान सभी गरीब परिवारों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर नि:शुल्क चावल और चने का वितरण उचित मूल्य की दुकानों से किया गया. इसके तहत जिले में अब तक 14 हजार राशन कार्ड बनाकर दुर्ग जिला सभी जिलों से आगे है. वहीं 700 गरीबी रेखा के राशन कार्ड भी बना लिए गए हैं.

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प्रवासी मजदूरों को बांटे गए राशन कार्ड

बचे हुए श्रमिकों की बन रही सूची

जिला खाद्य नियंत्रक अधिकारी सीपी दीपांकर ने बताया कि बाहर से आए श्रमिकों का राशन कार्ड बनाया गया है. शेष बचे श्रमिकों की सूची तैयार की जा रही है, जिसके बाद वितरण प्रणाली में आवश्यता के अनुसार चावल का वितरण किया जाएगा. इसके अलावा खाद्य नियंत्रक अधिकारी ने बताया कि मई और जून महीने में 10 किलो चावल और 2 किलो चना देने के लिए 2200 परिवारों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जिसमें 6500 लोग शामिल हैं.

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बाहर से आए श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था करने राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत कर उन्हें भी नि:शुल्क 10 किलो चावल और एक किलो चना दिया जाए. प्रदेश में लॉकडाउन के कारण कोई भूखा न सोए इसके लिए भी राज्य सरकार ने कोशिश की है. श्रमिकों को रोजगार देने की योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं.

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कोरोना संकट के मद्देनजर करीब ढाई महीने से लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों के हिस्से में आई. मजदूर देश के अलग-अलग कोने से अपने-अपने गृहराज्य जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े थे. लॉकडाउन ने उनसे उनकी रोजी-रोटी छीन ली. दो वक्त के निवाले के लिए भी वो मोहताज हो गए. कई मजदूर हादसे का शिकार हुए, कई की जानें भी गई. सरकार ने उन्हें अपने घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू किया, जिसमें अब तक हजारों मजदूर छत्तीसगढ़ आ चुके हैं. फिलहाल ढाई महीने के बाद अनलॉक किए जाने से प्रदेश में राहत तो है, लेकिन कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

Last Updated : Jun 19, 2020, 6:15 PM IST
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