दुर्ग: साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी ने मुसाफिरों को कम पैसे में सफर कराने के लिए सिटी बसों की शुरुआत की थी. दो तीन सालों तक तक ये सिटी बसें फर्राटे के साथ सड़कों पर दौड़ती रही. कोरोना के आते ही बसों को सुपेला में खड़ा कर दिया गया. सुपेला बस स्टैंड में खड़े खड़े 50 से ज्यादा बसें कंडम हो गई. सरकार के अफसर भी सोए रहे और कर्मचारी जान कर भी अंजान बने रहे. आज किसी बस में पहिया है तो किसी में इंजन नहीं हैं. जिसको जहां मौका मिला बस के पुर्जे पुर्जे अलग कर ले गया.
130 करोड़ कबाड़ में तब्दील: 130 करोड़ों की लागत से खरीदी गई सिटी बसों का हाल मात्र आठ सालों में कबाड़ा में तब्दील हो गया. कुछ दिनों पहले भिलाई नगर निगम ने 10 ठीक ठाक सिटी बसों को चालू कराया. चालू हुई बसों में फिलहाल मुसाफिर सफर कर रहे हैं. 56 अभी भी ऐसे सिटी बस हैं जो कबाड़ की तरह सुपेला के बस स्टैंड में खड़े हैं. प्रदेश की सरकार बदलने के बाद लोगों को उम्मीद है कि अब बीजेपी फिर से इन खड़ी बसों को ठीक कराकर सड़कों पर उतारेगी.
विधायक ने किया घोटाले का दावा: ग्रामीण इलाकों को शहरों से जोड़ने के लिए सस्ते दरों पर बसों को चलाने का फैसला सरकार ने लिया था. योजना के तहत साल 2015 में दुर्ग-भिलाई और अर्बन सोसायटी को जोड़ने के लिए 70 सिटी बसें चलाई गईं. कुछ बसें पूरी तरह से बैठ गईं जबकी कुछ बसों को ठीक कर सड़कों पर उतारा गया है. विधायक रिकेश सेन ने कहा कि सिटी बसों के संचालन में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. जल्द ही फाइल मंगाकर उसको चेक किया जाएगा. जांच के बाद सिटी बसों के संचालन में बड़े घोटाले का पर्दाफाश भी होगा.