धमतरीः धमतरी के हरिशंकर कुर्रे उन लोगों के लिए मिसाल है, जो मुश्किलों से डर कर जीना छोड़ देते हैं. हरिशंकर कुर्रे आंखों से देख नहीं सकते. आंखों में अंधेरा होने के बावजूद भी वह शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर हरिशंकर तैनात हैं और वह बच्चों को पढ़ाने का काम बखूबी कर रहे हैं. शिक्षा बांटने के उनके जज्बे की पूरे जिले में तारीफ हो रही है. जहां शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं. वहीं बच्चे भी इनके पढाने के अंदाज से बहुत खुश हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी क्षेत्र में ग्राम छिपली है. जहां के माध्यमिक शाला में शिक्षक हरिशंकर साल 2013 से पदस्थ हैं, जो उनके निवास से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर है. हरिशंकर स्कूल में बच्चों को सामजिक विज्ञान, हिंदी और विज्ञान का विषय पढ़ाते हैं.
'पढ़ाने का अंदाज अनोखा'
दोनों आंखों में अंधेरा होने के बावजूद हरिशंकर बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजाला फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बच्चे पहले उन्हें पढ़कर सुनाते हैं, जिसके बाद वे बच्चों को समझाते हैं. इनके पढ़ाने का अंदाज बेहद रोचक है, जिसकी वजह से बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहता है.
'जज्बे और लगन से हासिल किया मुकाम'
हरिशंकर को अपनी आंखे नहीं होने का थोड़ा भी मलाल नहीं है और इनकी ये कमजोरी कभी भी उनके रास्ते में रुकावट नहीं बनी है. साथ ही ये कमी इनके जज्बे और लगन को कभी कम नहीं कर पाया है. उन्होंने बताया कि एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब वे आठवीं क्लास में पढ़ रहे थे. इसके बावजूद हरिशंकर ने हार नहीं मानी और आगे की पढ़ाई जारी रखी.
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बहरहाल, हरिशंकर उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो छोटी-छोटी कमियों की वजह से जिंदगी में हार मान लेते हैं. उन्हें शिक्षक हरिशंकर के हौसले और जज्बे से सीख लेनी चाहिए.