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दिव्यांग शिक्षक के हौसले को सलाम, फैला रहे ज्ञान का उजियारा

धमतरी के नगरी क्षेत्र में शिक्षक हरिशंकर कुर्रे आंखों से देख नहीं सकते. इसके बावजूद वह ज्ञान का उजाला फैला रहे हैं, जो पूरे शिक्षा जगत के लिए मिसाल है.

दोनों आंखों में है अंधेरा, फिर भी फैला रहे ज्ञान का उजियारा
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Published : Nov 20, 2019, 8:51 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 10:28 PM IST

धमतरीः धमतरी के हरिशंकर कुर्रे उन लोगों के लिए मिसाल है, जो मुश्किलों से डर कर जीना छोड़ देते हैं. हरिशंकर कुर्रे आंखों से देख नहीं सकते. आंखों में अंधेरा होने के बावजूद भी वह शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर हरिशंकर तैनात हैं और वह बच्चों को पढ़ाने का काम बखूबी कर रहे हैं. शिक्षा बांटने के उनके जज्बे की पूरे जिले में तारीफ हो रही है. जहां शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं. वहीं बच्चे भी इनके पढाने के अंदाज से बहुत खुश हैं.

दिव्यांग शिक्षक के हौसले को सलाम, फैला रहे ज्ञान का उजियारा

जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी क्षेत्र में ग्राम छिपली है. जहां के माध्यमिक शाला में शिक्षक हरिशंकर साल 2013 से पदस्थ हैं, जो उनके निवास से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर है. हरिशंकर स्कूल में बच्चों को सामजिक विज्ञान, हिंदी और विज्ञान का विषय पढ़ाते हैं.

'पढ़ाने का अंदाज अनोखा'
दोनों आंखों में अंधेरा होने के बावजूद हरिशंकर बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजाला फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बच्चे पहले उन्हें पढ़कर सुनाते हैं, जिसके बाद वे बच्चों को समझाते हैं. इनके पढ़ाने का अंदाज बेहद रोचक है, जिसकी वजह से बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहता है.

'जज्बे और लगन से हासिल किया मुकाम'
हरिशंकर को अपनी आंखे नहीं होने का थोड़ा भी मलाल नहीं है और इनकी ये कमजोरी कभी भी उनके रास्ते में रुकावट नहीं बनी है. साथ ही ये कमी इनके जज्बे और लगन को कभी कम नहीं कर पाया है. उन्होंने बताया कि एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब वे आठवीं क्लास में पढ़ रहे थे. इसके बावजूद हरिशंकर ने हार नहीं मानी और आगे की पढ़ाई जारी रखी.

पढ़ेंः-SPECIAL: जिसे हम फेंक देते हैं, उससे सैनेटरी नैपकीन बना रही है ये महिला

बहरहाल, हरिशंकर उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो छोटी-छोटी कमियों की वजह से जिंदगी में हार मान लेते हैं. उन्हें शिक्षक हरिशंकर के हौसले और जज्बे से सीख लेनी चाहिए.

धमतरीः धमतरी के हरिशंकर कुर्रे उन लोगों के लिए मिसाल है, जो मुश्किलों से डर कर जीना छोड़ देते हैं. हरिशंकर कुर्रे आंखों से देख नहीं सकते. आंखों में अंधेरा होने के बावजूद भी वह शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर हरिशंकर तैनात हैं और वह बच्चों को पढ़ाने का काम बखूबी कर रहे हैं. शिक्षा बांटने के उनके जज्बे की पूरे जिले में तारीफ हो रही है. जहां शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं. वहीं बच्चे भी इनके पढाने के अंदाज से बहुत खुश हैं.

दिव्यांग शिक्षक के हौसले को सलाम, फैला रहे ज्ञान का उजियारा

जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी क्षेत्र में ग्राम छिपली है. जहां के माध्यमिक शाला में शिक्षक हरिशंकर साल 2013 से पदस्थ हैं, जो उनके निवास से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर है. हरिशंकर स्कूल में बच्चों को सामजिक विज्ञान, हिंदी और विज्ञान का विषय पढ़ाते हैं.

'पढ़ाने का अंदाज अनोखा'
दोनों आंखों में अंधेरा होने के बावजूद हरिशंकर बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजाला फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बच्चे पहले उन्हें पढ़कर सुनाते हैं, जिसके बाद वे बच्चों को समझाते हैं. इनके पढ़ाने का अंदाज बेहद रोचक है, जिसकी वजह से बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहता है.

'जज्बे और लगन से हासिल किया मुकाम'
हरिशंकर को अपनी आंखे नहीं होने का थोड़ा भी मलाल नहीं है और इनकी ये कमजोरी कभी भी उनके रास्ते में रुकावट नहीं बनी है. साथ ही ये कमी इनके जज्बे और लगन को कभी कम नहीं कर पाया है. उन्होंने बताया कि एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब वे आठवीं क्लास में पढ़ रहे थे. इसके बावजूद हरिशंकर ने हार नहीं मानी और आगे की पढ़ाई जारी रखी.

पढ़ेंः-SPECIAL: जिसे हम फेंक देते हैं, उससे सैनेटरी नैपकीन बना रही है ये महिला

बहरहाल, हरिशंकर उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो छोटी-छोटी कमियों की वजह से जिंदगी में हार मान लेते हैं. उन्हें शिक्षक हरिशंकर के हौसले और जज्बे से सीख लेनी चाहिए.

Intro:स्लग......ज्ञान बांट रहा सूरदास......
एंकर.........छत्तीसगढ सूबे मे शिक्षा की गुणवत्ता मे काफी गिरावट आ गई है और इसके लिये बच्चो को पढाने वाले शिक्षक ही जिम्मेदार है अधिकतर शिक्षको पर ये आरोप लगते है की वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी के साथ नही निभाते लेकिन इन सब से परे धमतरी मे एक ऐसा भी शिक्षक है जो आंखो से देख नही पाने के बाद भी बखूबी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर कुर्रे पूरे शिक्षा जगत के लिये एक मिशाल बना हुआ है वही बच्चे भी इनके पढाने के अंदाज से काफी खुश रहते है प्रशासन भी इनके तारिफ करते नही थक रहे है
वीओ.........जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी ईलाके मे छिपली गांव है जहा के माध्यमिक शाला मे शिक्षक के पद पर हरिशंकर कुर्रे पदस्थ है ये बच्चो को स्कूल मे समाजिक विज्ञान,हिन्दी और विज्ञान के विषय पढाते है इस शिक्षक की खास बात ये है की ये दोनो आख से देख नही पाते बावजूद इसके यह बच्चो को बेहद ही रोचक अंदाज मे पढाते है और बच्चे भी इस शिक्षक का पढाने के तरीके को काफी पसंद भी करते है हरिशंकर कुर्रे को अपनी दोनो आंखे नही होने का तनिक भी मलाल नही है और इनकी ये कमजोरी कभी भी इनके मंजिल के आगे रोडा नही बना ना ही कभी इनका जज्बा और लगन कम हो पाया दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर कुर्रे की माने तो जीवन के इस पडाव मे कई बार परेशानी और मुसिबते आई है लेकिन इसके बाद भी इसने कभी भी हार नही मानी इसके विपरित पहले के मुकाबले अपने पेशे और हुनर को तरशता रहा है जिससे बच्चो को पढने और समझाने मे दिक्कते ना हो इनके पढाने का अंदाज भी कुछ अलग है बच्चे पहले इसे पढकर सुनाते है इसके बाद दिव्यांग शिक्षक बच्चो को बेहद रोचक अंदाज से समझाते है वही शिक्षक हरिशंकर का कहना है की इंसान को हर परिस्थितियो का डटकर सामना करना चाहिऐ ना की किसी परेशानी के चलते अपना पैर पीछे खीच लेना चाहिऐ हरिशंकर कुर्रे का एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब ये कक्षा आठवी मे पढ रहा था इसके बावजूद इसने हार नही मानी और आगे की पढाई जारी रखा

वीओ.........इस दिव्यांग शिक्षक के पढाने के अंदाज से पूरे स्टाप के शिक्षक और बच्चे भी काफी प्रभावित है बहुत असानी के साथ बच्चो को समझाते ही जिससे पढने वाले बच्चे असानी से समझ जाते है और स्कूल मे सभी लोग इनके हर काम मे मदद भी करते है जिससे हरिशंकर को ज्यादा परेशानी ना हो वही बच्चे भी अपने इस शिक्षक के व्यवहार और पढाने के अंदाज से काफी खुश रहते है जिला प्रशासन भी इस दिव्यांग शिक्षक के हौसले और जज्बे को सलाम करते नजर आ रहे है और शासन प्रशासन की ओर से हर संभव मदद करने की बात कह रहे है..........

वीओ.........बहरहाल दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर कुर्रे पूरे शिक्षा जगत के लिये एक मिशाल बना हुआ है और दूसरे शिक्षको को भी इनके हौसले और जज्बे से सीख लेना चाहिऐ वही हरिशंकर कुर्रे को आंखे नही होने से कोई ज्यादा परेशानी नही होती है

बाईट.....वरुण निषाद छात्र
बाईट....शीमा साहू छात्रा
बाईट.....हरिशंकर कुर्रे दिव्याग शिक्षक
बाईट.....त्रिभुवन बिसेन सरपंच (चश्मा)
बाईट....आर एल देव... बी ई ओ
जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरीBody:8319178303Conclusion:
Last Updated : Nov 20, 2019, 10:28 PM IST
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