ETV Bharat / state

Shardiya Navratri 2023: धमतरी की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी करती है मनोकामना पूरी, बिलाई माता नाम पड़ने की पौराणिक कथा जानिए...

Shardiya Navratri 2023 शारदीय नवरात्र की शुरुआत 15 नवंबर हो गई है. देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. धमतरी की आराध्य मां विंध्यवासिनी मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. स्वयंभू प्रकट हुई मां विंध्यवासिनी के इस प्राचीन मंदिर की पहचान देश विदेश में भी है. आइये जानते हैं कि यह मंदिर क्यों इतना खास है. Maa Vindhyavasini Temple of Dhamtari

Maa Vindhyavasini Temple of Dhamtari
देवी मां विंध्यवासिनी मंदिर
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 16, 2023, 12:07 PM IST

धमतरी: धमतरी को धर्म नगरी के नाम से भी जाना जाता है. धमतरी में मां विंध्यवासिनी का 600 साल पुराना प्रसिद्ध मंदिर है. स्थानीय भाषा में माता को मां बिलई माता के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि की शुरुआत होते ही मां विंध्यवासिनी मंदिर में भक्तों का तांता लग गया है. मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर ही देवी बिलाई माता के दर्शन करने भक्तजन सुबह से कतार में हैं.

ज्योति स्थापित करने से मनोकामना होगी पूरी: मां विंध्यवासिनी मंदिर में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान दूर-दराज से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही नौ दिनों तक ज्योति प्रज्जवलित करते हैं. मां विंध्यवासिनी मंदिर में मंदिर में सिर्फ घी के ज्योति जलाये जाते हैं. गर्भगृह में दो ज्योत जलाने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी जारी है. मंदिर की ख्याति इतनी ज्यादा है कि विदेश में जाकर बसे लोग भी ज्योति जलाने के लिए यहां आते हैं. माना जाता है कि नवरात्रि में इस मंदिर में ज्योति जलाने वाले श्रद्धालु की सभी मनोंकामनाएं पूरी होती है. श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी को नारियल का बंधन और श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं.

मां विंध्यवासिनी मंदिर क्यों है खास: श्रृंगी ऋषियों की तपोभूमि रही धमतरी में कई देवी-देवताओं का वास है. महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पानी ने धमतरी की मिट्टी को सींचा हैं. धमतरी स्थित मां विंध्यवासिनी का यह प्रसिद्ध मंदिर इसलिए भी बेहद खाल है. स्थानीय भाषा में माता को लोग मां बिलई माता के नाम से जानते है. मंदिर के भव्य प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करने पर आपको एक बड़ा सा अग्निकुंड नजर आएगा. जहां देवी के दर्शन से पहले दीप प्रज्जवलित करने की परंपरा है. हवन कुंड के पास थाली में दो चरण पादुकाएं रखी है. सबसे पहले मां की इन पादुकाओं की पूजा की जाती है. जैसे-जैसे आप मंदिर के गर्भगृह की ओर जाएंगे, आपको देवी विंध्यवासिनी के अलौकिक स्वरूप के दर्शन होंगे. गर्भगृह में विराजी मां विंध्यवासिनी का मुख दरवाजे के सीध में पूर्व की ओर है.

Navratri 2023 : नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा में जरूर करें ये काम, मन्नतें होंगी पूरी
Navratri 2023 : दूसरे दिन की पूजा में जरूर बरतें ये सावधानी, त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना से मिलता है धैर्य-साहस
Chhattisgarh Congress Candidate First List: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी, जानिए किसे मिला टिकट


माता विंध्यवासिनी की कथा: स्थानीय लोगों में प्रचलित कथाओं के अनुसार, वर्तमान में जहां आज देवी का मंदिर है, आदिकाल में वहां घनघोर जंगल हुआ करता था. राजा मांडलिक अपने सैनिकों के साथ एक बार इसी जंगल में गए. इस स्थान पर आते ही घोड़े ठिठक गए. इसके चलते राजा को वापस लौटना पड़ा. दूसरे दिन भी यही घटना हुई. घोड़े उसी स्थान पर आकर रुक जाते थे. तब राजा ने सैनिकों को जंगल में और अंदर जाकर देखने का आदेश दिया. सैनिकों ने जब जंगल में खोजबीन की, तो उन्होंने देखा कि एक पत्थर के चारों ओर जंगली बिल्लियां बैठी हैं. राजा को इसकी सूचना दी गई.

राजा को देवी मां ने सपने में दिया दर्शन: इसकी सूचना मिलते ही राजा ने बिल्लियों को भगाकर उस पत्थर को पाने का आदेश दिया. चमकदार और आकर्षक पत्थर जमीन के अंदर तक धंसा हुआ था. काफी प्रयास के बाद भी पत्थर बाहर नहीं निकला. यह चमत्कारी पत्थर स्यंभू था. इस दौरान उस स्थान से जलधारा निकलना शुरु हो गया. जिसके बाद खुदाई को दूसरे दिन तक के लिए रोक दिया गया. उसी रात्रि देवी मां ने राजा के सपने में आई और कहा कि पत्थर को उस स्थान से न निकालें और उसकी पूजा पाठ करें, जो लोगों के लिए कल्याणकारी होगा. इसके बाद राजा ने उस स्थान पर चबूतरे का निर्माण कराकर देवी की स्थापना करा दी. बाद में इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया.

धमतरी: धमतरी को धर्म नगरी के नाम से भी जाना जाता है. धमतरी में मां विंध्यवासिनी का 600 साल पुराना प्रसिद्ध मंदिर है. स्थानीय भाषा में माता को मां बिलई माता के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि की शुरुआत होते ही मां विंध्यवासिनी मंदिर में भक्तों का तांता लग गया है. मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर ही देवी बिलाई माता के दर्शन करने भक्तजन सुबह से कतार में हैं.

ज्योति स्थापित करने से मनोकामना होगी पूरी: मां विंध्यवासिनी मंदिर में नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान दूर-दराज से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही नौ दिनों तक ज्योति प्रज्जवलित करते हैं. मां विंध्यवासिनी मंदिर में मंदिर में सिर्फ घी के ज्योति जलाये जाते हैं. गर्भगृह में दो ज्योत जलाने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी जारी है. मंदिर की ख्याति इतनी ज्यादा है कि विदेश में जाकर बसे लोग भी ज्योति जलाने के लिए यहां आते हैं. माना जाता है कि नवरात्रि में इस मंदिर में ज्योति जलाने वाले श्रद्धालु की सभी मनोंकामनाएं पूरी होती है. श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी को नारियल का बंधन और श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं.

मां विंध्यवासिनी मंदिर क्यों है खास: श्रृंगी ऋषियों की तपोभूमि रही धमतरी में कई देवी-देवताओं का वास है. महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पानी ने धमतरी की मिट्टी को सींचा हैं. धमतरी स्थित मां विंध्यवासिनी का यह प्रसिद्ध मंदिर इसलिए भी बेहद खाल है. स्थानीय भाषा में माता को लोग मां बिलई माता के नाम से जानते है. मंदिर के भव्य प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करने पर आपको एक बड़ा सा अग्निकुंड नजर आएगा. जहां देवी के दर्शन से पहले दीप प्रज्जवलित करने की परंपरा है. हवन कुंड के पास थाली में दो चरण पादुकाएं रखी है. सबसे पहले मां की इन पादुकाओं की पूजा की जाती है. जैसे-जैसे आप मंदिर के गर्भगृह की ओर जाएंगे, आपको देवी विंध्यवासिनी के अलौकिक स्वरूप के दर्शन होंगे. गर्भगृह में विराजी मां विंध्यवासिनी का मुख दरवाजे के सीध में पूर्व की ओर है.

Navratri 2023 : नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा में जरूर करें ये काम, मन्नतें होंगी पूरी
Navratri 2023 : दूसरे दिन की पूजा में जरूर बरतें ये सावधानी, त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना से मिलता है धैर्य-साहस
Chhattisgarh Congress Candidate First List: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी, जानिए किसे मिला टिकट


माता विंध्यवासिनी की कथा: स्थानीय लोगों में प्रचलित कथाओं के अनुसार, वर्तमान में जहां आज देवी का मंदिर है, आदिकाल में वहां घनघोर जंगल हुआ करता था. राजा मांडलिक अपने सैनिकों के साथ एक बार इसी जंगल में गए. इस स्थान पर आते ही घोड़े ठिठक गए. इसके चलते राजा को वापस लौटना पड़ा. दूसरे दिन भी यही घटना हुई. घोड़े उसी स्थान पर आकर रुक जाते थे. तब राजा ने सैनिकों को जंगल में और अंदर जाकर देखने का आदेश दिया. सैनिकों ने जब जंगल में खोजबीन की, तो उन्होंने देखा कि एक पत्थर के चारों ओर जंगली बिल्लियां बैठी हैं. राजा को इसकी सूचना दी गई.

राजा को देवी मां ने सपने में दिया दर्शन: इसकी सूचना मिलते ही राजा ने बिल्लियों को भगाकर उस पत्थर को पाने का आदेश दिया. चमकदार और आकर्षक पत्थर जमीन के अंदर तक धंसा हुआ था. काफी प्रयास के बाद भी पत्थर बाहर नहीं निकला. यह चमत्कारी पत्थर स्यंभू था. इस दौरान उस स्थान से जलधारा निकलना शुरु हो गया. जिसके बाद खुदाई को दूसरे दिन तक के लिए रोक दिया गया. उसी रात्रि देवी मां ने राजा के सपने में आई और कहा कि पत्थर को उस स्थान से न निकालें और उसकी पूजा पाठ करें, जो लोगों के लिए कल्याणकारी होगा. इसके बाद राजा ने उस स्थान पर चबूतरे का निर्माण कराकर देवी की स्थापना करा दी. बाद में इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.