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Poor Condition Of Dugli Village : राजीव गांधी के गोद लिए दुगली गांव का बुरा हाल, नहीं पहुंची आज तक गांव में बुनियादी सुविधाएं, कब टूटेगी सरकार की नींद - दुगली गांव

Poor condition of Dugli village देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गोद लिए हुए गांव का आज बुरा हाल है. ग्रामीणों को उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौरे के बाद बड़ी उम्मीद जगी थी. लेकिन 38 साल बाद भी इस गांव का विकास नहीं हो पाया है.

Poor condition of Dugli village
नहीं पहुंची आज तक गांव में बुनियादी सुविधाएं
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Published : Jul 14, 2023, 6:57 PM IST

Updated : Jul 15, 2023, 12:22 AM IST

दुगली गांव का बुरा हाल

धमतरी : देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता था.आज से 38 साल पहले राजीव गांधी का आगमन छत्तीसगढ़ के दुगली गांव में हुआ था. इस दौरान राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए थे. जब राजीव गांधी इस गांव में आए थे तो लोगों को लगा था कि गांव का विकास होगा. राजीव गांधी ने इस गांव को गोद भी लिया था.लेकिन आज भी इस गांव की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. बीते साल राजीव गांधी जयंती कार्यक्रम के दौरान शासन ने गांव का नाम राजीव गांधी के नाम पर रखकर उनकी आदम कद प्रतिमा का अनावरण किया था.लेकिन आज तक गांव की सिंचाई सुविधा की बरसों पुरानी मांग पूरी नहीं हो सकी.


कब आए थे राजीव गांधी : 14 जुलाई 1985 को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी का आगमन दुगली में हुआ था. दुगली गांव में राजीव गांधी ढाई घंटे रुके थे.इस दौरान राजीव गांधी ने कमार परिवार के लोगों से मुलाकात की थी. वहीं देसी खाना कड़ूकंद,मड़िया पेज, कुल्थी बीज की दाल और चरोटा भाजी का स्वाद चखा था.लेकिन राजीव गांधी के जाते ही गांव की विकास की आस भी ओझल हो गई.

क्यों आए थे राजीव गांधी : राजीव गांधी को विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा के बारे में जानना था. जिसके लिए उन्होंने दुगली गांव का दौरा किया था. उनके साथ तब अविभाजित एमपी के तत्कालीन सीएम मोतीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. राजीव गांधी ने कमार परिवार के सुकालू राम और सोनाराम से उनकी संस्कृति और जीवनशैली के बारे में जाना था. इसके बाद राजीव गांधी ने इस गांव को गोद लिया था.लेकिन पीएम के गोद लेने के बाद भी गांव की हालत नहीं सुधरी. दुगली गांव में रहने वाले लोगों की बरसों पुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हुई है.

'' वर्षो से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की मांग की जा रही है. ताकि यहां के किसान दो फसल की खेती कर सकें, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी है. यहां उच्च शिक्षा की सुविधाएं नहीं है. लिहाजा यहां के छात्र-छात्राओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए ब्लॉक मुख्यालय या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है.''-ग्रामीण

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सरकार ने बीते साल ली थी सुध : राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने दुगली की सुध ली थी. यहां राजीव गांधी की यादों को सहजने के लिए मूर्ति की स्थापना की गई है. सरकार ने इसे राजीव गांधी ग्राम का दर्जा दिया. इसके साथ ही राज्य सरकार ने कई घोषणाएं भी की. लेकिन दुगली क्षेत्र की जनता प्रमुख जनसमस्या सोंढूर नहर विस्तार, दुगली सिंगपुर के 111 वन ग्रामों को पूर्णता राजस्व ग्राम का दर्जा, दुगली को ब्लॉक बनाने, महाविद्यालय समेत बालिका छात्रावास, बैंक, विद्युत सब स्टेशन जैसी मांगें आज भी पूरी नहीं हो सकी है. मौजूदा समय में दुगली क्षेत्र में वनों पर वर्षों से रह रहे ग्रामीण वन अधिकार पट्टा के लिए शासन से लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्हें प्रदेश की सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं. ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी वर्षों पुरानी मांगों को पूरा करेगी. ताकि यहां के लोग तरक्की कर आगे बढ़ सकेंगे.

दुगली गांव का बुरा हाल

धमतरी : देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता था.आज से 38 साल पहले राजीव गांधी का आगमन छत्तीसगढ़ के दुगली गांव में हुआ था. इस दौरान राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए थे. जब राजीव गांधी इस गांव में आए थे तो लोगों को लगा था कि गांव का विकास होगा. राजीव गांधी ने इस गांव को गोद भी लिया था.लेकिन आज भी इस गांव की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. बीते साल राजीव गांधी जयंती कार्यक्रम के दौरान शासन ने गांव का नाम राजीव गांधी के नाम पर रखकर उनकी आदम कद प्रतिमा का अनावरण किया था.लेकिन आज तक गांव की सिंचाई सुविधा की बरसों पुरानी मांग पूरी नहीं हो सकी.


कब आए थे राजीव गांधी : 14 जुलाई 1985 को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी का आगमन दुगली में हुआ था. दुगली गांव में राजीव गांधी ढाई घंटे रुके थे.इस दौरान राजीव गांधी ने कमार परिवार के लोगों से मुलाकात की थी. वहीं देसी खाना कड़ूकंद,मड़िया पेज, कुल्थी बीज की दाल और चरोटा भाजी का स्वाद चखा था.लेकिन राजीव गांधी के जाते ही गांव की विकास की आस भी ओझल हो गई.

क्यों आए थे राजीव गांधी : राजीव गांधी को विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा के बारे में जानना था. जिसके लिए उन्होंने दुगली गांव का दौरा किया था. उनके साथ तब अविभाजित एमपी के तत्कालीन सीएम मोतीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. राजीव गांधी ने कमार परिवार के सुकालू राम और सोनाराम से उनकी संस्कृति और जीवनशैली के बारे में जाना था. इसके बाद राजीव गांधी ने इस गांव को गोद लिया था.लेकिन पीएम के गोद लेने के बाद भी गांव की हालत नहीं सुधरी. दुगली गांव में रहने वाले लोगों की बरसों पुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हुई है.

'' वर्षो से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की मांग की जा रही है. ताकि यहां के किसान दो फसल की खेती कर सकें, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी है. यहां उच्च शिक्षा की सुविधाएं नहीं है. लिहाजा यहां के छात्र-छात्राओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए ब्लॉक मुख्यालय या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है.''-ग्रामीण

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सरकार ने बीते साल ली थी सुध : राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने दुगली की सुध ली थी. यहां राजीव गांधी की यादों को सहजने के लिए मूर्ति की स्थापना की गई है. सरकार ने इसे राजीव गांधी ग्राम का दर्जा दिया. इसके साथ ही राज्य सरकार ने कई घोषणाएं भी की. लेकिन दुगली क्षेत्र की जनता प्रमुख जनसमस्या सोंढूर नहर विस्तार, दुगली सिंगपुर के 111 वन ग्रामों को पूर्णता राजस्व ग्राम का दर्जा, दुगली को ब्लॉक बनाने, महाविद्यालय समेत बालिका छात्रावास, बैंक, विद्युत सब स्टेशन जैसी मांगें आज भी पूरी नहीं हो सकी है. मौजूदा समय में दुगली क्षेत्र में वनों पर वर्षों से रह रहे ग्रामीण वन अधिकार पट्टा के लिए शासन से लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्हें प्रदेश की सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं. ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी वर्षों पुरानी मांगों को पूरा करेगी. ताकि यहां के लोग तरक्की कर आगे बढ़ सकेंगे.

Last Updated : Jul 15, 2023, 12:22 AM IST
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