धमतरी : छत्तीसगढ़ के सबसे बडे़ बांधों में शुमार गंगरेल बांध (gangrel dam) में 50 प्रतिशत से भी कम पानी बचा हुआ है. वहीं पानी की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन ने नहर के जरिये किसानों को दी जानी वाली सिंचाई सुविधा को अब पूरी तरह बंद कर दिया है. ऐसे में अब नहर से सिंचाई (canal irrigation) के भरोसे खेती करने वाले किसानों को बारिश (Rain) पर निर्भर रहना पड़ेगा.
भूपेश सरकार ने की थी गंगरेल बांध से पानी देने की घोषणा
किसानों के खेतों में पड़ी दरारें और अल्प वर्षा के चलते प्रदर्शन सहित मांग के बाद भूपेश सरकार ने गंगरेल बांध से पानी देने की घोषणा की थी. जिसके बाद नहरों के माध्यम से किसानों को पानी दिया जा रहा था. बांध से पानी मिलने के बाद किसानों के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन अब गंगरेल बांध में भी पानी कमी को देखते हुए प्रशासन ने किसानों को दिये जाने वाले पानी को बंद दिया है. ऐसे में किसानों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं.
अल्प वर्षा के कारण किसान मुसीबत में
दरअसल, छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां किसान दो रबी और खरीफ की फसल उगाते हैं. इस बार अल्प वर्षा के चलते किसानों पर मुसीबत आ गई है. इस साल 25 से 35 प्रतिशत बारिश कम हुई है. ऐसे में किसानो की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि कई किसान ऐसे हैं, जिनके पास मोटर पम्प भी नहीं है. वे वर्षा पर आधारित खेती कर फसल उगाते हैं.
पूरी तरह पकने तक फसल को नहीं मिला पानी, तो नुकसान
किसानों का कहना है कि अगर फसलों को पूरी तरह पकने तक प्रशासन ने पानी नहीं दिया, तो उन्हें भारी नुकसान को होगा. जबकि अभी तक सिर्फ 40 प्रतिशत खेतों में ही पानी पहुंच पाया है. ऐसे में अगर बारिश अच्छी होती है, तो प्रशासन फिर नहरों के जरिये उन्हें सिंचाई सुविधा मुक्कमल कराएं. क्योंकि सिंचाई सुविधा नहीं मिलने से फसल चौपट हो सकती है.
गंगरेल बांध में अभी 50 % से भी कम पानी
जिले के गंगरेल बांध को जीवनदायिनी कहा जाता है. इस बांध से आधा दर्जन जिलों को सिंचाई और पीने के लिए पानी दिया जाता है. वहीं गंगरेल बांध से हर साल करीब 3 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई सुविधा मुक्कमल होती है. लेकिन इस साल बारिश नहीं होने के कारण बांध में पानी कम है. कलेक्टर का कहना है कि गंगरेल बांध में अभी 50 प्रतिशत से भी कम पानी है. बांध में पानी स्टॉक भी रखना है, लिहाजा सिंचाई सुविधा दे पाना मुश्किल है.