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आजादी के सात दशक बाद भी विकास को तरस रहे धमतरी के ये गांव ? - development in rural areas of Dhamtari

आजादी के सात दशक बाद भी धमतरी जिले के दर्जनों गांव की स्थिति बीहड़ जैसी बनी हुई है. यहां के लोगों के पास ना तो सड़कें हैं और ना ही बिजली और ना ही पानी की सुविधा है. longing for development in dhamtari

longing for development in dhamtari
गांव में ना सड़क ना बिजली ना अस्पताल
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Published : May 20, 2023, 7:59 PM IST

Updated : May 20, 2023, 11:25 PM IST

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे दर्जनों गांव

धमतरी: जिले से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर में बसे दर्जनों गांव आज भी विकास से कोसो दूर हैं. यहां ना तो बिजली है, न ही सड़क और न ही पुल पुलिया है. इसके साथ ही यहां रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. इलाके के दर्जन गांव सीता नदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बसे हैं. जिनमें सें चमेदा, मासुलखाई, करका, रिसगांव, गाताबहार और मदागिरी गांव शामिल है. इसके अलावा संदबाहरा, बोइर, बरपदर, आमबहार गाव शामिल हैं. ये गांव घोर नक्सली प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इन गांवों में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक सारी व्यवस्थाएं चौपट है.

"ग्रामीणों की मांग जायज है. हमने मीटिंग लेकर संबंधित विभागों को समस्याओं से अवगत कराया है. विभाग ने बजट बनाकर शासन को भेजा है. शासन की तरफ से बजट का इंतजार किया जा रहा है." -गीता रायस्त, SDM नगरी


ग्रामीणों का कहना है कि, यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए, तो उसको चारपाई से या साइकिल से बिठाकर ब्लॉक मुख्यालय नगरी लेकर जाना पड़ता है. बिजली की बात की जाए तो सौर्य ऊर्जा से थोड़ी बहुत ही बिजली ग्रामीणों को नसीब होती है. कुछ गांवों में जाने के लिए तो कच्चे पगडंडी वाले रास्ते हैं. कई गांवों में नदी नाला पार कर जाना पड़ता है. बीहड़ जंगल में होने की वजह से यहां तक प्रशासनिक अमला बहुत ही कम पहुंचता है.

  1. Dhamtari News: सड़क निर्माण में लेटलतीफी पर भड़के ग्रामीणों ने किया चक्काजाम
  2. Dhamtari News : घर का नाम सीएम भूपेश के नाम, कर्ज माफी के बाद पूरी की भाई की इच्छा
  3. Dhamtari News: धमतरी व्यापारी संघ ने देर रात तक दुकानें खोलने की मांगी इजाजत

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण: इलाके के ग्रामीण की शिकायत है कि कई बार उन्होंने शासन प्रशासन से सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए गुहार लगाई है. लेकिन आश्वासन के अलावा उनको कुछ नहीं मिलता. ग्रामीणों का कहना है कि जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था, तब भी यही स्थिति थी जो आज है. कुछ गांव में स्कूल तो हैं, लेकिन कुछ स्कूल को बंद करवा दिया गया है. भीषण गर्मी के समय में यहां पानी की बहुत ज्यादा समस्या रहती है. यहां के बच्चे पढ़ाई करने के लिए बीहड़ जंगलों के रास्ते से पैदल चल कर स्कूल जाते हैं. बारिश के दिनों में इन बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चे कभी कीचड़ में गिर जाते हैं, तो कभी नदी नालों को पार करने का खतरा बना रहता है. ज्यादा बारिश होने पर गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे दर्जनों गांव

धमतरी: जिले से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर में बसे दर्जनों गांव आज भी विकास से कोसो दूर हैं. यहां ना तो बिजली है, न ही सड़क और न ही पुल पुलिया है. इसके साथ ही यहां रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. इलाके के दर्जन गांव सीता नदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बसे हैं. जिनमें सें चमेदा, मासुलखाई, करका, रिसगांव, गाताबहार और मदागिरी गांव शामिल है. इसके अलावा संदबाहरा, बोइर, बरपदर, आमबहार गाव शामिल हैं. ये गांव घोर नक्सली प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इन गांवों में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक सारी व्यवस्थाएं चौपट है.

"ग्रामीणों की मांग जायज है. हमने मीटिंग लेकर संबंधित विभागों को समस्याओं से अवगत कराया है. विभाग ने बजट बनाकर शासन को भेजा है. शासन की तरफ से बजट का इंतजार किया जा रहा है." -गीता रायस्त, SDM नगरी


ग्रामीणों का कहना है कि, यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए, तो उसको चारपाई से या साइकिल से बिठाकर ब्लॉक मुख्यालय नगरी लेकर जाना पड़ता है. बिजली की बात की जाए तो सौर्य ऊर्जा से थोड़ी बहुत ही बिजली ग्रामीणों को नसीब होती है. कुछ गांवों में जाने के लिए तो कच्चे पगडंडी वाले रास्ते हैं. कई गांवों में नदी नाला पार कर जाना पड़ता है. बीहड़ जंगल में होने की वजह से यहां तक प्रशासनिक अमला बहुत ही कम पहुंचता है.

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मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण: इलाके के ग्रामीण की शिकायत है कि कई बार उन्होंने शासन प्रशासन से सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए गुहार लगाई है. लेकिन आश्वासन के अलावा उनको कुछ नहीं मिलता. ग्रामीणों का कहना है कि जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था, तब भी यही स्थिति थी जो आज है. कुछ गांव में स्कूल तो हैं, लेकिन कुछ स्कूल को बंद करवा दिया गया है. भीषण गर्मी के समय में यहां पानी की बहुत ज्यादा समस्या रहती है. यहां के बच्चे पढ़ाई करने के लिए बीहड़ जंगलों के रास्ते से पैदल चल कर स्कूल जाते हैं. बारिश के दिनों में इन बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चे कभी कीचड़ में गिर जाते हैं, तो कभी नदी नालों को पार करने का खतरा बना रहता है. ज्यादा बारिश होने पर गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

Last Updated : May 20, 2023, 11:25 PM IST
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