धमतरी : जिले में ब्लैक फंगस (Black fungus) के पहले मरीज की पुष्टि हुई है. चार विशेषज्ञ डॉक्टरों के टीम ने जांच के बाद मरीज को बेहतर ईलाज के लिए रायपुर एम्स(Raipur AIIMS) रेफर कर दिया है. मरीज बालोद (Balod) जिले का रहने वाला है और चेहरे में सुन्नपन सहित अन्य तकलीफ का ईलाज कराने एक निजी अस्पताल पहुंचा था. जिसे जांच बाद में जिला अस्पताल (District Hospital Dhamtari) भेजा गया था. कोरोना संक्रमण के बाद प्रदेश में ब्लैक फंगस का प्रकोप भी बढ़ने लगा है. कोरोना से ठीक होने के बाद कई लोगों में यह ब्लैक फंगस पाया जा रहा है.
पूर्व में मरीज आया था कोरोना पॉजिटिव
मरीज पूर्व में कोरोना संक्रमित हो चुका है. 4 मई को पॉजिटिव आने के बाद बालोद के कोविड केयर सेंटर में उनका ईलाज किया गया. 16 मई को वह स्वस्थ होकर घर लौट आया था. कुछ दिनों से उनके दांत में तकलीफ होनी लगी,जिसके बाद उनका दांत निकाला गया था.इस बीच मुंह और बाएं चेहरे में सूजन और सुन्नपन की शिकायत होने लगी थी. मरीज इस बीमारी के ईलाज के लिए पहले धमतरी के एक निजी अस्पताल आया था. सिटी स्कैन कराने पर पता चला की उनके फेफड़े में ब्लैक फंगस है. जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया था. ब्लैक फंगस की पुष्टि के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने दोबारा जांच की, जिसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि होते ही उन्हें ईलाज के लिए रायपुर रेफर किया गया.
जानिए कितनी खतरनाक है फंगस, क्या है अलग-अलग रंगों का राज?
कैसे रंग बदलता है फंगस ?
इनके रंगों के आधार पर ही इन्हें ब्लैक, येलो और व्हाइट फंगस का नाम दिया जाता है. म्यूकर के प्रभाव से टिश्यू का रंग काला हो जाता है, इसलिए इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है. मुंह और दूसरी जगहों पर होने वाले फंगस के प्रभाव से सफेद या ग्रे रंग का बदलाव दिखाई देता है, जिसके चलते इसे व्हाइट फंगस कहा जाता है.
शरीर के अंदर रहते हैं फंगस
शरीर के अंदर पहले से ही फंगस मौजूद होते हैं, लेकिन बेहतर प्रतिरोधक क्षमता की वजह से यह शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते. जैसे ही हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है, तो शरीर के कुछ खास हिस्सों पर फंगस हमला करना शुरू कर देते हैं और मरीज को नुकसान पहुंचाते हैं.