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आशियाने की आस: 5 साल से झोपड़ी में रहने को मजबूर श्रवण का परिवार, सरकार के दावे पर उठे सवाल - प्रधानमंत्री आवास योजना का नहीं मिला लाभ

धमतरी में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अंधेरगर्दी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जिले में 3 हजार 888 मकान आवास योजना के तहत अधूरे पड़े हुए हैं. हितग्राही अपने मकान के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं.

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आशियाने की आस
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Published : Sep 23, 2020, 4:40 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 4:46 PM IST

धमतरी: आर्थिक रूप से कमजोर भूमिहीन गरीब परिवारों के उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं है, लेकिन ऐसी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है. जिसकी बानगी धमतरी जिले में देखने को मिल रही है. जिले का एक गरीब परिवार पिछले 10 साल से झोपड़ी में रह रहा है. इस गरीब परिवार को आज तक मकान बनाने के लिए कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली है. जिसकी वजह से ये परिवार तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए बाजार में शेड में रहने को मजबूर है.

आशियाने के इंतजार में परिवार

5 साल से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विकासखंड में हजारों आवास बन चुके हैं. लेकिन आज तक किसी ने इस गरीब परिवार की आवाज नहीं सुनी. जो प्रधानमंत्री के 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने के सपने पर पानी फेरने जैसा है. धमतरी के बेलरगांव में रहने वाले श्रवण कुमार बताते हैं कि वे बीते 10 साल से अपनी जान जोखिम में डालकर टीन शेड के नीचे रह रहे हैं. कई बार उन्होंने कलेक्टर और सरंपच सचिव को पक्का मकान देने के लिए आवेदन दिया है लेकिन अब तक उन्हें एक आवास नसीब नहीं हो पाया है. श्रवण बताते हैं कि उनके पास खाने तक के रुपए नहीं है. राशन कार्ड से मिल रहे खाने के सहारे ही वे अपना जीवन चला रहे हैं ऐसे में घर का निर्माण कराना उनके लिए एक सपने जैसा है.

श्रवण बताते हैं कि, काफी मशक्कत के बाद दो साल पहले उन्हे आवास योजना के तहत घर बनाने की स्वीकृत दी गई था, लेकिन सिस्टम के ढीले रवैये के कारण घर का काम शुरू तक नहीं हो पाया है. वे बताते हैं कि उनकी पत्नि की मानसिक हालत ठीक नहीं है. एक बेटा है वो भी दिव्यांग है. ऐसे में परिवार की पूरी जिम्मेदारी श्रवण पर ही है. इस परिवार को सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन मिल पाता है.

नहीं मिल रहा योजना का लाभ

श्रवण बताते हैं कि परिवार से अलग होने के बाद उनके पास न घर रहा और न ही कमाई का कोई जरिया बचा. इसलिए उन्होंने अपना आशियाना बाजार शेड को ही बना लिया. इस बीच उन्हें कई सारी समस्याओं से जूझना पड़ा.उसने जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सुना तो ग्राम पंचायत में आवेदन दिया.दो साल पहले उनके नाम पर आवास स्वीकृत भी हो गया लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका है और अब वह पक्के आवास के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. ग्राम पंचायत का कहना है कि वे जल्द से जल्द श्रवण को योजना का लाभ दिलाने की कोशिश करेंगे.

पढ़ें: दीवार तो है लेकिन छत नहीं, कैसे होगा आशियाने का सपना पूरा

बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साल 2016 से 2017 तक 12 हजार 900 आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें 12 हजार 792 आवास निर्माण का काम पूरा किया गया है. वहीं 108 आवास का काम अधूरा है. इसके साथ ही साल 2017-18 में 3 हजार 64 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 3 हजार 38 आवास का निर्माण काम पूरा किया गया है. वहीं 26 आवास का काम अधूरा है. साल 2018-19 में 16 हजार 586 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें 15 हजार 840 आवास निर्माण का काम पूरा किया गया है. वहीं 746 आवास का काम अधूरा है. साल 2019-20 में 4 हजार मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 112 आवास निर्माण का काम पूरा किया जाना है. वहीं 3 हजार 888 आवास का काम अधूरा है.

धमतरी: आर्थिक रूप से कमजोर भूमिहीन गरीब परिवारों के उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं है, लेकिन ऐसी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है. जिसकी बानगी धमतरी जिले में देखने को मिल रही है. जिले का एक गरीब परिवार पिछले 10 साल से झोपड़ी में रह रहा है. इस गरीब परिवार को आज तक मकान बनाने के लिए कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली है. जिसकी वजह से ये परिवार तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए बाजार में शेड में रहने को मजबूर है.

आशियाने के इंतजार में परिवार

5 साल से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विकासखंड में हजारों आवास बन चुके हैं. लेकिन आज तक किसी ने इस गरीब परिवार की आवाज नहीं सुनी. जो प्रधानमंत्री के 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने के सपने पर पानी फेरने जैसा है. धमतरी के बेलरगांव में रहने वाले श्रवण कुमार बताते हैं कि वे बीते 10 साल से अपनी जान जोखिम में डालकर टीन शेड के नीचे रह रहे हैं. कई बार उन्होंने कलेक्टर और सरंपच सचिव को पक्का मकान देने के लिए आवेदन दिया है लेकिन अब तक उन्हें एक आवास नसीब नहीं हो पाया है. श्रवण बताते हैं कि उनके पास खाने तक के रुपए नहीं है. राशन कार्ड से मिल रहे खाने के सहारे ही वे अपना जीवन चला रहे हैं ऐसे में घर का निर्माण कराना उनके लिए एक सपने जैसा है.

श्रवण बताते हैं कि, काफी मशक्कत के बाद दो साल पहले उन्हे आवास योजना के तहत घर बनाने की स्वीकृत दी गई था, लेकिन सिस्टम के ढीले रवैये के कारण घर का काम शुरू तक नहीं हो पाया है. वे बताते हैं कि उनकी पत्नि की मानसिक हालत ठीक नहीं है. एक बेटा है वो भी दिव्यांग है. ऐसे में परिवार की पूरी जिम्मेदारी श्रवण पर ही है. इस परिवार को सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन मिल पाता है.

नहीं मिल रहा योजना का लाभ

श्रवण बताते हैं कि परिवार से अलग होने के बाद उनके पास न घर रहा और न ही कमाई का कोई जरिया बचा. इसलिए उन्होंने अपना आशियाना बाजार शेड को ही बना लिया. इस बीच उन्हें कई सारी समस्याओं से जूझना पड़ा.उसने जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सुना तो ग्राम पंचायत में आवेदन दिया.दो साल पहले उनके नाम पर आवास स्वीकृत भी हो गया लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका है और अब वह पक्के आवास के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. ग्राम पंचायत का कहना है कि वे जल्द से जल्द श्रवण को योजना का लाभ दिलाने की कोशिश करेंगे.

पढ़ें: दीवार तो है लेकिन छत नहीं, कैसे होगा आशियाने का सपना पूरा

बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साल 2016 से 2017 तक 12 हजार 900 आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें 12 हजार 792 आवास निर्माण का काम पूरा किया गया है. वहीं 108 आवास का काम अधूरा है. इसके साथ ही साल 2017-18 में 3 हजार 64 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 3 हजार 38 आवास का निर्माण काम पूरा किया गया है. वहीं 26 आवास का काम अधूरा है. साल 2018-19 में 16 हजार 586 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें 15 हजार 840 आवास निर्माण का काम पूरा किया गया है. वहीं 746 आवास का काम अधूरा है. साल 2019-20 में 4 हजार मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 112 आवास निर्माण का काम पूरा किया जाना है. वहीं 3 हजार 888 आवास का काम अधूरा है.

Last Updated : Sep 23, 2020, 4:46 PM IST
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