धमतरी: गुरुवार को छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ बसों की बारात निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचा. जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (bhupesh baghel) के नाम ज्ञापन सौंपा. पेट्रोल- डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि के कारण यात्री किराया बढ़ाए जाने और किराया वृद्धि के संबंध में स्थायी नीति बनाए जाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. बसों और परमिटों के निष्प्रयोग के लिए 2 महीने की सीमा खत्म किए जाने की मांग की है.
सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
बस संचालक 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध हड़ताल कर रहे हैं. इसी के चलते गुरुवार को बस स्टैंड से मुख्य मार्ग होते हुए बस संचालक अपनी बसों को लेकर बारात स्वरूप कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां पर उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ (chhattisgarh traffic federation) के जिला अध्यक्ष महावीर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि डीजल का रेट 2018 में 60 रुपये प्रति लीटर था, आज 96 रुपये हो गया है. लेकिन यात्री किराये में 2018 से बढ़ोतरी नहीं हुई है.
'डीजल के दाम बढ़े, यात्री किराया भी बढ़ाओ नहीं तो खारून में जल समाधि ले लेंगे'
घाटे में बस व्यवसाय
केंद्र सरकार द्वारा लगातार डीजल के मूल्य में वृद्धि के कारण बस संचालक, बसों का संचालन करने में असमर्थ हो गए हैं. राज्य के 18 हजार परिवार बस संचालन के व्यवसाय से जुड़े हुए है. जो पिछले 16 महीने से घाटे में व्यवसाय कर रहे हैं. बसों का संचालन पूरी तरह से नहीं कर पा रहे हैं. बस संचालकों ने 13 जुलाई से पूरे छत्तीसगढ़ में 12,000 बसों के पहिए थमने की चेतावनी दी है. 14 जुलाई को खारुन नदी में जल समाधि की धमकी दी है. इस संबंध में कलेक्टर पीएस एल्मा का कहना है कि बस संचालक की तरफ से ज्ञापन मिला है. जिसे समीक्षा कर शासन को भेजा जाएगा.
क्या है बस ऑपरेटरों की समस्याएं
पूरे छत्तीसगढ़ में 12000 बस और 9000 बस संचालक हैं. छत्तीसगढ़ में 2500 बसों का किस्त जमा ना हो पाने के कारण फाइनेंसर ने बसों को सीज कर लिया. करीब 1000 बस संचालक ऐसे हैं जिनके परिवार में कोरोना हो जाने के कारण और एम फॉर्म न भरने की वजह से लाखों रुपए की टैक्स की मार पड़ी है. इसके साथ ही बसें भी कंडम हो गई है. छत्तीसगढ़ में 9000 बस ऑपरेटर बस व्यवसाय से जुड़े हैं. लेकिन लगातार घाटा होने के कारण 300 बस ऑपरेटर इस व्यवसाय को छोड़कर दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं.