ETV Bharat / state

Chhattisgarh Jungle Satyagraha : जंगल सत्याग्रह को सौ साल पूरे, गट्टासिल्ली में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता

धमतरी जिले के बेलर ब्लॉक के गट्टासिल्ली में जंगल सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ हजारों आदिवासियों ने सत्याग्रह स्तंभ पर पुष्पांजलि देकर पदयात्रा की. गट्टासिल्ली के जंगल में तीन दिनों तक 100 बरस पहले हुए जंगल सत्याग्रह की सफलताओं और वर्तमान वनाधिकार कानून की सफलताओं और संभावनाओं पर जन संवाद के साथ विशेष आयोजन भी किया जा रहा है.Jungle Satyagraha in Gattasilli

Chhattisgarh Jungle Satyagraha
जंगल सत्याग्रह
author img

By

Published : Mar 4, 2023, 2:31 PM IST

जंगल सत्याग्रह

धमतरी : गट्टासिल्ली में जंगल सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जुट रहे हैं. इस जंगल सत्याग्रह का आयोजन एकता परिषद ने किया है. इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरणदास महंत भी पहुंचे. भक्तचरण दास ने कहा कि '' यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए वन अधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वनाधिकार देना है. जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा. बहुत जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है.''

सामाजिक कार्यकर्ताओं का लगा जमावड़ा : अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि '' सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए. जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए.'' जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक आशीष ठाकुर ने कहा कि '' पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था. अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा.''


जंगल सत्याग्रह का इतिहास : महात्मा गांधी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी क्षेत्र में 21 जनवरी साल 1922 को भारत का प्रथम जंगल सत्याग्रह प्रारंभ हुआ था. इसका उद्देश्य जल जंगल और जमीन पर आदिवासियों और स्थानीय ग्रामवासियों के अधिकारों को स्थापित करना था. इसे ही छत्तीसगढ़ के जंगल सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है. यह सरकार के आदिवासी विरोधी कानून और बेगारी या अन्य मजदूरी में काम करने के लिये विवश किये जाने के विरोध में शुरू हुआ था. पूरे छत्तीसगढ़ के हजारों सत्याग्रहियों ने मिलकर इसे सफल और ऐतिहासिक बनाया था.

ये भी पढ़ें- होली को लेकर पुलिस ने जारी की गाइडलाइन, मुखौटा पहना तो समझिए

कौन-कौन सत्याग्रह में हुआ शामिल : सत्याग्रह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम,पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैकरा, असम के आदिवासी सांसद नबकुमार सरन्या,सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार,वरिष्ट कार्यकर्त्ता अनिल भाई,हरियाणा के राकेश तंवर सहित देश भर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी हिस्सा ले रहे हैं.

जंगल सत्याग्रह

धमतरी : गट्टासिल्ली में जंगल सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जुट रहे हैं. इस जंगल सत्याग्रह का आयोजन एकता परिषद ने किया है. इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरणदास महंत भी पहुंचे. भक्तचरण दास ने कहा कि '' यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए वन अधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वनाधिकार देना है. जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा. बहुत जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है.''

सामाजिक कार्यकर्ताओं का लगा जमावड़ा : अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि '' सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए. जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए.'' जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक आशीष ठाकुर ने कहा कि '' पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था. अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा.''


जंगल सत्याग्रह का इतिहास : महात्मा गांधी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी क्षेत्र में 21 जनवरी साल 1922 को भारत का प्रथम जंगल सत्याग्रह प्रारंभ हुआ था. इसका उद्देश्य जल जंगल और जमीन पर आदिवासियों और स्थानीय ग्रामवासियों के अधिकारों को स्थापित करना था. इसे ही छत्तीसगढ़ के जंगल सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है. यह सरकार के आदिवासी विरोधी कानून और बेगारी या अन्य मजदूरी में काम करने के लिये विवश किये जाने के विरोध में शुरू हुआ था. पूरे छत्तीसगढ़ के हजारों सत्याग्रहियों ने मिलकर इसे सफल और ऐतिहासिक बनाया था.

ये भी पढ़ें- होली को लेकर पुलिस ने जारी की गाइडलाइन, मुखौटा पहना तो समझिए

कौन-कौन सत्याग्रह में हुआ शामिल : सत्याग्रह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम,पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैकरा, असम के आदिवासी सांसद नबकुमार सरन्या,सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार,वरिष्ट कार्यकर्त्ता अनिल भाई,हरियाणा के राकेश तंवर सहित देश भर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी हिस्सा ले रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.