धमतरी : गट्टासिल्ली में जंगल सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जुट रहे हैं. इस जंगल सत्याग्रह का आयोजन एकता परिषद ने किया है. इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरणदास महंत भी पहुंचे. भक्तचरण दास ने कहा कि '' यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए वन अधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वनाधिकार देना है. जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा. बहुत जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है.''
सामाजिक कार्यकर्ताओं का लगा जमावड़ा : अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि '' सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए. जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए.'' जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक आशीष ठाकुर ने कहा कि '' पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था. अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा.''
जंगल सत्याग्रह का इतिहास : महात्मा गांधी की प्रेरणा से छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी क्षेत्र में 21 जनवरी साल 1922 को भारत का प्रथम जंगल सत्याग्रह प्रारंभ हुआ था. इसका उद्देश्य जल जंगल और जमीन पर आदिवासियों और स्थानीय ग्रामवासियों के अधिकारों को स्थापित करना था. इसे ही छत्तीसगढ़ के जंगल सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है. यह सरकार के आदिवासी विरोधी कानून और बेगारी या अन्य मजदूरी में काम करने के लिये विवश किये जाने के विरोध में शुरू हुआ था. पूरे छत्तीसगढ़ के हजारों सत्याग्रहियों ने मिलकर इसे सफल और ऐतिहासिक बनाया था.
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कौन-कौन सत्याग्रह में हुआ शामिल : सत्याग्रह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम,पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैकरा, असम के आदिवासी सांसद नबकुमार सरन्या,सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार,वरिष्ट कार्यकर्त्ता अनिल भाई,हरियाणा के राकेश तंवर सहित देश भर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी हिस्सा ले रहे हैं.