ETV Bharat / state

धमतरी: गांधी आगमन के 100 साल पूरे, कंडेलवासियों की यादों में आज भी बसी हैं बापू की यादें - छत्तीसगढ़ से महात्मा गांधी का यादें

छत्तीसगढ़ की धरती पर बापू के आगमन के आज 100 साल पूरे हो गए हैं. 21 दिसंबर 1920 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार धमतरी जिले के कंडेल पहुंचे थे.

100-years-of-mahatma-gandhi-arrival-IN kandel-of-dhamtari
धमतरी में गांधी आगमन के 100 वर्ष पूरे
author img

By

Published : Dec 21, 2020, 2:23 PM IST

Updated : Dec 21, 2020, 3:58 PM IST

धमतरी: 21 दिसंबर 1920 यह तारीख धमतरी जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है. इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिले में पहली बार आगमन हुआ था.उन्होंने कंडेल की नहर सत्याग्रह में भाग लिया. जिसकी वजह से अंग्रेजों को अपना फैसला बदलना पड़ा.आज उनके आगमन के 100 बरस पूरे हो गए हैं. लेकिन उनकी यादें लोगों के जेहन में रची बसी हैं.

गांधी आगमन के 100 साल पूरे

ग्रामीणों के आंदोलन में शामिल हुए थे महात्मा गांधी

कहा जाता है कि 1920 में छत्तीसगढ़ के धमतरी में बने मॉडमसिल्ली बांध के कंडेल नहर से गुजरने वाले पानी की चोरी के आरोप में अंग्रेजी हुकूमत ने ग्रामीणों पर जबरन टैक्स लगा दिया था. टैक्स न देने पर कंडेल गांव में रहने वाले ग्रामीणों के जानवर अंग्रेज उठाकर ले गए. इसकी खिलाफत आसपास के ग्रामीणों ने की. ग्रामीणों की इस खिलाफत को आंदोलन का रूप देने में पंडित सुंदरलाल शर्मा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव और नारायण राव मेघा वाले जैसे नेताओं ने अहम भूमिका निभाई. बाद में पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता जाकर 20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी को अपने साथ रायपुर ले आए.सत्याग्रह में शामिल होने के लिए 21 दिसंबर 1920 को जब महात्मा गांधी पहुंचे तो उन्हें सुनने भारी भीड़ इकट्ठा हुई.महात्मा गांधी की ही देन थी कि अंग्रेजों को ना केवल अपना फैसला बदलना पड़ा बल्कि जिन किसानों के जानवरों को जब्त किया गया था उसे भी लौटाना पड़ा.

आज भी लोगों के जेहन में बसी है गांधी की छवि

ग्रामीण आज भी गांधी जी के आगमन को याद करके भावुक हो जाते हैं. गांव की एक बुजुर्ग महिला बताती हैं कि महात्मा गांधी जी जब आये तो गांव सहित आसपास गांवों से भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी थी. महात्मा गांधी जी से उनकी मुलाकात का अवसर भी मिला. वे कहती हैं कि इस अवसर को वह कभी नहीं भुला पाई हैं, उनके जेहन में आज भी गांधी जी की छवि है.

पढ़ें: बापू के ग्राम स्वराज की ओर बढ़ रहा छत्तीसगढ़-सीएम बघेल

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी फिर भी नहीं हो पाया अपेक्षित विकास

बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की जन्मभूमि कंडेल गांव के किसान आंदोलन ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी. सरकार ने इसे गौरव ग्राम का दर्जा दिया और गांधीजी की स्मृति में यहां अनेकों कार्यक्रम भी हुए. गांधी जी की याद में स्मृति उद्यान बना दिया गया. कंडेल को जैसा स्थान मिलना था वह स्थान नहीं मिला. इसे पर्यटन स्थल बनाने की योजना भी बनाई गई पर यह योजना अधर में लटक गई है. यहां घोषणा के अनुरूप न तो कॉलेज बन पाया और न ही बरसों पुराने पुल का निर्माण हो पाया.कांग्रेस सरकार ने 2019 में आयोजित गांधी विचार यात्रा के दौरान कई घोषणाएं की थी.

बहरहाल असहयोग आंदोलन को पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति की राह माना जाता है. दरअसल उस असहयोग आंदोलन की अलख छत्तीसगढ़ के कंडेल नहर सत्याग्रह से जगी. हालांकि गांधी आगमन की यह स्मृति आज 100 बरस बीत गई है, लेकिन कंडेल के लोगों के दिलों में आज भी गांधी की यादें ताजा हैं.

धमतरी: 21 दिसंबर 1920 यह तारीख धमतरी जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है. इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिले में पहली बार आगमन हुआ था.उन्होंने कंडेल की नहर सत्याग्रह में भाग लिया. जिसकी वजह से अंग्रेजों को अपना फैसला बदलना पड़ा.आज उनके आगमन के 100 बरस पूरे हो गए हैं. लेकिन उनकी यादें लोगों के जेहन में रची बसी हैं.

गांधी आगमन के 100 साल पूरे

ग्रामीणों के आंदोलन में शामिल हुए थे महात्मा गांधी

कहा जाता है कि 1920 में छत्तीसगढ़ के धमतरी में बने मॉडमसिल्ली बांध के कंडेल नहर से गुजरने वाले पानी की चोरी के आरोप में अंग्रेजी हुकूमत ने ग्रामीणों पर जबरन टैक्स लगा दिया था. टैक्स न देने पर कंडेल गांव में रहने वाले ग्रामीणों के जानवर अंग्रेज उठाकर ले गए. इसकी खिलाफत आसपास के ग्रामीणों ने की. ग्रामीणों की इस खिलाफत को आंदोलन का रूप देने में पंडित सुंदरलाल शर्मा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव और नारायण राव मेघा वाले जैसे नेताओं ने अहम भूमिका निभाई. बाद में पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता जाकर 20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी को अपने साथ रायपुर ले आए.सत्याग्रह में शामिल होने के लिए 21 दिसंबर 1920 को जब महात्मा गांधी पहुंचे तो उन्हें सुनने भारी भीड़ इकट्ठा हुई.महात्मा गांधी की ही देन थी कि अंग्रेजों को ना केवल अपना फैसला बदलना पड़ा बल्कि जिन किसानों के जानवरों को जब्त किया गया था उसे भी लौटाना पड़ा.

आज भी लोगों के जेहन में बसी है गांधी की छवि

ग्रामीण आज भी गांधी जी के आगमन को याद करके भावुक हो जाते हैं. गांव की एक बुजुर्ग महिला बताती हैं कि महात्मा गांधी जी जब आये तो गांव सहित आसपास गांवों से भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी थी. महात्मा गांधी जी से उनकी मुलाकात का अवसर भी मिला. वे कहती हैं कि इस अवसर को वह कभी नहीं भुला पाई हैं, उनके जेहन में आज भी गांधी जी की छवि है.

पढ़ें: बापू के ग्राम स्वराज की ओर बढ़ रहा छत्तीसगढ़-सीएम बघेल

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी फिर भी नहीं हो पाया अपेक्षित विकास

बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की जन्मभूमि कंडेल गांव के किसान आंदोलन ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी. सरकार ने इसे गौरव ग्राम का दर्जा दिया और गांधीजी की स्मृति में यहां अनेकों कार्यक्रम भी हुए. गांधी जी की याद में स्मृति उद्यान बना दिया गया. कंडेल को जैसा स्थान मिलना था वह स्थान नहीं मिला. इसे पर्यटन स्थल बनाने की योजना भी बनाई गई पर यह योजना अधर में लटक गई है. यहां घोषणा के अनुरूप न तो कॉलेज बन पाया और न ही बरसों पुराने पुल का निर्माण हो पाया.कांग्रेस सरकार ने 2019 में आयोजित गांधी विचार यात्रा के दौरान कई घोषणाएं की थी.

बहरहाल असहयोग आंदोलन को पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति की राह माना जाता है. दरअसल उस असहयोग आंदोलन की अलख छत्तीसगढ़ के कंडेल नहर सत्याग्रह से जगी. हालांकि गांधी आगमन की यह स्मृति आज 100 बरस बीत गई है, लेकिन कंडेल के लोगों के दिलों में आज भी गांधी की यादें ताजा हैं.

Last Updated : Dec 21, 2020, 3:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.