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आजादी के 70 साल बाद भी साफ पानी के लिए तरस रहा दंतेवाड़ा का यह गांव

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Published : Jun 13, 2020, 10:50 PM IST

राज्य से लेकर केंद्र सरकार विकास का ढिंढोरा पीट रही है. लेकिन बस्तर के दंतेवाड़ा में आज भी ग्रामीण गंदे ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं.

compulsion of villagers
ग्रामीणों की मजबूरी

दंतेवाड़ा: मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होता है पानी, इंसान बिना भोजन के तो कुछ तक दिन जिंदा रह सकता है लेकिन पानी के बिना जीवन ही संभव नहीं है, शायद इसलिए कहा गया है 'बिन पानी सब सून'. दंतेवाड़ा के पखनाचुआ गांव में आज तक लोगों को साफ पानी नसीब नहीं हो पाया है. यहां के ग्रामीण आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल पाया है.

साफ पानी को तरसता गांव

इंसान और जानवरों के लिए एक ही पानी का स्रोत

एक तरफ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, छत्तीसगढ़ में भी लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, दूसरी तरफ मानसून भी प्रदेश में दस्तक दे चुका है. ऐसे समय में दंतेवाड़ा का पखनाचुआं गांव ऐसा है जहां के ग्रामीणों को ऐसी मजबूरी है कि यहां के लोग गंदा पानी पीकर ही अपना जीवन चला रहे हैं. इसी ढोढ़ी का पानी इंसानों के साथ ही यहां के मवेशी और दूसरे जानवर भी पीते हैं. ढोढ़ी के चारों ओर कीचड़ पसरा हुआ है जिसका गंदा पानी भी उसमें मिल जाता है. बावजूद इसके फिर भी इस गांव के ग्रामीण यह गंदा पानी पीने को मजबूर है.

drinking-dirty-water-of-dhodhi
विकास के दावों पर उठे सवाल

ढोढ़ी के गंदे पानी से चल रहा जीवन

दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर बड़ेगुडरा ग्राम पंचायत से अलग हो कर हाल ही में पखनाचुआ एक नया ग्राम पंचायत बना है. नए पंचायत बनने के बाद भी धुर नक्सल प्रभावित गांव पखनाचुआ के ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इस पंचायत में दो ढोढ़ी है लेकिन पेयजल के लिए आधे से ज्यादा गांव यहीं जुटता है. ग्रामीण बताते हैं कि कई सालों से ये गांव पानी के लिए ढोढ़ी या चुआ पर आश्रित है, इसलिए इस गांव का नाम ही पखनाचुआ पड़ गया.इस गांव की आबादी करीब 800 के पार है. नई पंचायत बनने के बाद लोगों को उम्मीद जगी कि अब उन्हें पेयजल की समस्या से निजात मिल जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की ये समस्या खत्म नहीं हुई.

compulsion to drink dirty water of dhodhi
ढोढ़ी की पानी पीकर बुझा रहे प्यास

पानी की समस्या खत्म करने का आश्वासन

ETV भारत की टीम ने जिले के नवपदस्थ कलेक्टर दीपक सोनी को इसकी जानकारी दी, तो कलेक्टर ने तुरंत PHE के अफसरों को कॉल कर इस बारे में जानकारी मांगी. इसके अलावा कलेक्टर ने खुद गांव के सरपंच को फोन कर समस्या के बारे में पूछा, कलेक्टर ने जल्द ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है.

compulsion to drink dirty water of dhodhi
ढोढ़ी की गंदा पानी पीने को मजबूर

कब पूरी होगी उम्मीद?

चुनाव में विकास के वादे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को उनके ही हाल में छोड़ देते हैं. दंतेवाड़ा जिले में ऐसे कई गांव हैं जो प्रशासन की पहुंच से दूर हैं, लेकिन इन गांवों में बसने वाले लोग आज भी शासन-प्रशासन से आज भी उम्मीद लगाए बैठे है.

दंतेवाड़ा: मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होता है पानी, इंसान बिना भोजन के तो कुछ तक दिन जिंदा रह सकता है लेकिन पानी के बिना जीवन ही संभव नहीं है, शायद इसलिए कहा गया है 'बिन पानी सब सून'. दंतेवाड़ा के पखनाचुआ गांव में आज तक लोगों को साफ पानी नसीब नहीं हो पाया है. यहां के ग्रामीण आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल पाया है.

साफ पानी को तरसता गांव

इंसान और जानवरों के लिए एक ही पानी का स्रोत

एक तरफ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, छत्तीसगढ़ में भी लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, दूसरी तरफ मानसून भी प्रदेश में दस्तक दे चुका है. ऐसे समय में दंतेवाड़ा का पखनाचुआं गांव ऐसा है जहां के ग्रामीणों को ऐसी मजबूरी है कि यहां के लोग गंदा पानी पीकर ही अपना जीवन चला रहे हैं. इसी ढोढ़ी का पानी इंसानों के साथ ही यहां के मवेशी और दूसरे जानवर भी पीते हैं. ढोढ़ी के चारों ओर कीचड़ पसरा हुआ है जिसका गंदा पानी भी उसमें मिल जाता है. बावजूद इसके फिर भी इस गांव के ग्रामीण यह गंदा पानी पीने को मजबूर है.

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विकास के दावों पर उठे सवाल

ढोढ़ी के गंदे पानी से चल रहा जीवन

दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर बड़ेगुडरा ग्राम पंचायत से अलग हो कर हाल ही में पखनाचुआ एक नया ग्राम पंचायत बना है. नए पंचायत बनने के बाद भी धुर नक्सल प्रभावित गांव पखनाचुआ के ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इस पंचायत में दो ढोढ़ी है लेकिन पेयजल के लिए आधे से ज्यादा गांव यहीं जुटता है. ग्रामीण बताते हैं कि कई सालों से ये गांव पानी के लिए ढोढ़ी या चुआ पर आश्रित है, इसलिए इस गांव का नाम ही पखनाचुआ पड़ गया.इस गांव की आबादी करीब 800 के पार है. नई पंचायत बनने के बाद लोगों को उम्मीद जगी कि अब उन्हें पेयजल की समस्या से निजात मिल जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की ये समस्या खत्म नहीं हुई.

compulsion to drink dirty water of dhodhi
ढोढ़ी की पानी पीकर बुझा रहे प्यास

पानी की समस्या खत्म करने का आश्वासन

ETV भारत की टीम ने जिले के नवपदस्थ कलेक्टर दीपक सोनी को इसकी जानकारी दी, तो कलेक्टर ने तुरंत PHE के अफसरों को कॉल कर इस बारे में जानकारी मांगी. इसके अलावा कलेक्टर ने खुद गांव के सरपंच को फोन कर समस्या के बारे में पूछा, कलेक्टर ने जल्द ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है.

compulsion to drink dirty water of dhodhi
ढोढ़ी की गंदा पानी पीने को मजबूर

कब पूरी होगी उम्मीद?

चुनाव में विकास के वादे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को उनके ही हाल में छोड़ देते हैं. दंतेवाड़ा जिले में ऐसे कई गांव हैं जो प्रशासन की पहुंच से दूर हैं, लेकिन इन गांवों में बसने वाले लोग आज भी शासन-प्रशासन से आज भी उम्मीद लगाए बैठे है.

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