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बिलासपुर: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने रखा तीज का व्रत - Teej

बिलासपुर में महिलाओं ने तीज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया. पूरी रात पूजा-अर्चना करने के बाद महिलाओं ने सुबह नियमानुसार व्रत खोला.

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पूजा करती महिलाएं
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Published : Aug 22, 2020, 10:57 AM IST

बिलासपुर: पूरे प्रदेश में तीज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. कई सुहागनों ने इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से तीज की पूजा अपने घर पर ही की. पति की लंबी उम्र के महिलाएं तीज का निर्जला व्रत करती हैं. सोलह श्रृंगार कर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं. इसके बाद दूसरे दिन यानि चतुर्थी की सुबह पूजा-अर्चना कर व्रत खोलती हैं. बिलासपुर शहर की महिलाओं ने फुलहरा बांधकर रात भर भगवान का भजन-कीर्तन किया.

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फुलहरा

पढ़ें- मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है हरतालिका तीज, जानें कथा

हिन्दू मान्यता के अनुसार, तीज का व्रत पार्वती माता ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए रखा था. सैकड़ों साल तक माता ने भगवान भोलेनाथ की आराधना की थी. इसके फलस्वरूप भगवान शिव प्रसन्न हुए और माता पार्वती को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. मान्यताओं के अनुसार अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर के लिए हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है. इस व्रत को कुवांरी कन्याएं अपने लिए मनचाहा पति पाने और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए करती हैं. इस व्रत में शाम के बाद चार प्रहर की पूजा करते हुए रातभर भजन कीर्तन और जागरण किया जाता है.

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पूजा करती महिलाएं

सोलह श्रृंगार कर मांगी पति की लंबी उम्र की दुआ

बिलासपुर में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर नियम के साथ तीज की पूजा की. अंत में सभी महिलाओं ने तीज की कथा सुनी. इसके बाद अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया. व्रत और पूजा के समय माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है. छत्तीसगढ़ में तीज के एक दिन पहले शाम को करू-भात खाने की परंपरा है. इस दिन तीज का उपवास रखने वाली महिलाएं रात में करेला और चावल खाती हैं और इसके बाद वे कुछ नहीं खातीं.

बिलासपुर: पूरे प्रदेश में तीज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. कई सुहागनों ने इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से तीज की पूजा अपने घर पर ही की. पति की लंबी उम्र के महिलाएं तीज का निर्जला व्रत करती हैं. सोलह श्रृंगार कर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं. इसके बाद दूसरे दिन यानि चतुर्थी की सुबह पूजा-अर्चना कर व्रत खोलती हैं. बिलासपुर शहर की महिलाओं ने फुलहरा बांधकर रात भर भगवान का भजन-कीर्तन किया.

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फुलहरा

पढ़ें- मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है हरतालिका तीज, जानें कथा

हिन्दू मान्यता के अनुसार, तीज का व्रत पार्वती माता ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए रखा था. सैकड़ों साल तक माता ने भगवान भोलेनाथ की आराधना की थी. इसके फलस्वरूप भगवान शिव प्रसन्न हुए और माता पार्वती को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. मान्यताओं के अनुसार अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर के लिए हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है. इस व्रत को कुवांरी कन्याएं अपने लिए मनचाहा पति पाने और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए करती हैं. इस व्रत में शाम के बाद चार प्रहर की पूजा करते हुए रातभर भजन कीर्तन और जागरण किया जाता है.

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पूजा करती महिलाएं

सोलह श्रृंगार कर मांगी पति की लंबी उम्र की दुआ

बिलासपुर में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर नियम के साथ तीज की पूजा की. अंत में सभी महिलाओं ने तीज की कथा सुनी. इसके बाद अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया. व्रत और पूजा के समय माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है. छत्तीसगढ़ में तीज के एक दिन पहले शाम को करू-भात खाने की परंपरा है. इस दिन तीज का उपवास रखने वाली महिलाएं रात में करेला और चावल खाती हैं और इसके बाद वे कुछ नहीं खातीं.

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