बीते साल पानी की समस्या के कारण शहर में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस गए थे. शहर का सबसे गहरा कुदुदंड का बोर भी पिछली गर्मी में सूख गया था. इस कारण कुदुदंड और मंगला जैसे क्षेत्रों में भी पेय जल संकट की स्थिति देखने को मिली थी जो अब तक नहीं देखने को मिली थी.
शहर के कुछ और प्रमुख क्रांति नगर, नेहरू नगर, विद्या नगर जैसे रिहायशी क्षेत्रों में भी जल संकट की स्थिति बनी थी, बीते साल निगम प्रशासन ने कुछ नए बोर भी किए थे और आपातकालीन स्थिति में पानी के टैंकर की व्यवस्था भी की थी, लेकिन नए बोर भी सक्सेस नहीं हो पाए और जल संकट की समस्या बरकरार रही थी.
जिला प्रशासन की सबसे बड़ी नाकामी यही है कि बीते 10 सालों से वाटर हार्वेस्टिंग परियोजना सिर्फ कागजों पर ही दिखी है उसे जमीन पर उतारा नहीं गया, जिसका खामियाजा भीषण जल संकट के रूप में अब शहर में देखने को मिल रहा है.
हालांकि निगम प्रशासन का ये दावा है कि वो आगे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और विशेष परिस्थितियों में टैंकर से जल सप्लाई भी की जाएगी, लेकिन सवाल ये है कि गिरते जल स्तर की समस्या के बीच क्या प्रशासन लोगों को पानी की सुविधा दे पाएगा.