रायपुर: Success story of IG Ratan Lal Dangi हर इंसान के जीवन में ऐसा टर्निंग प्वाइंट आता है. जिससे उसकी जिंदगी आबाद हो जाती है या बर्बाद हो जाती है. तमाम मुश्किलों का सामना करने के बाद इंसान को जीवन में सफलता मिलती है. कहा जाता है कि सफलता का कोई शॉर्ट कर्ट नहीं होता IPS Ratanlal Dangi shares his success story.. ऐसी ही कहानी आईजी रतनलाल डांगी की है. वह कैसे आईपीएस बने. कैसे उन्हें यूपीएससी की परीक्षा में सफलता मिली. यह सब उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया है Success story of IG Ratanlal Dangi.
ताने ने मुझे बनाया आईपीएस: आईजी रतन लाल डांगी ने सोशल मीडिया पर अपनी सफलता की कहानी शेयर करते हुए बताया है कि उन्हें एक ताने ने आईपीएस बना दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक शख्स ने उन्हें कहा था कि तुम्हारे जैसे लोग यूपीएससी और आरपीएससी परीक्षा नहीं पास कर सकते. क्यूं समय बर्बाद करते हो. उन्होंने लिखा कि " बात उस समय (1996-97) की है जब मैं DIET,जिला शिक्षा एवम प्रशिक्षण संस्थान कुचामन सिटी नागौर राजस्थान में लैब असिस्टेंट के पद पर पदस्थ था. कार्यालय समय के बाद जब भी समय मिलता प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए घर में देर तक तैयारी करता रहता था. एक दिन रात में अचानक तबीयत बिगड़ गई. मैं बेहोश हो गया. मकान मालिक एवं मिसेज ने मुझे हॉस्पिटल ले जाकर एड्मिट कराया.डॉक्टर की देखरेख में सुबह मुझे होश आ गया . तब मैंने पाया कि मैं तो हॉस्पिटल के बेड पर हूं. फिर मिसेज ने रात की पूरी कहानी बताई की कल रात में क्या हुआ था.
एक शख्स ने मेरी काबलियत को पहुंचाई थी चोट: उसी दौरान एक घटना घटित हुई जो मुझे आज भी कभी कभी याद आ ही जाती है. वो घटना मेरी काबिलियत पर सवाल था. मेरे भविष्य पर सवाल था. मेरे अहम पर चोट थी.जब तक मैंने अपने को साबित नहीं कर दिया उस समय तक ऐसा ही महसूस होता रहता था. लेकिन यह सोचकर उनका धन्यवाद भी देता हूं कि काश वो ऐसा नहीं बोलते तो मैं वहीं रुक जाता.वो ऐतिहासिक घटना यह थी कि उस सुबह हॉस्पिटल के उस वार्ड में मेरे कार्यालय से एक सज्जन आए. उनकी नजर मेरे पर पड़ी. तुरंत पूछा क्या हुआ. कैसे बीमार हो गए. मैंने बताया सर मैं कल रात में खाना खाने के बाद स्टडी कर रहा था. तब अचानक पेट में दर्द उठा था उसके बाद मुझे पता ही नहीं चला कि क्या हुआ. मुझे यहां लेकर आ गए अब ठीक हूं.
तुम्हारे जैसे लोग यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर सकते: उस सज्जन ने मुझसे पूछा कि अब क्या स्टडी कर रहे हो. मैंने बोला सर मैं आरएएस और आईएएस की परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं. मेरा ऐसा बोलना हुआ कि उन्होंने तुरंत अपनी भंगिमा बदल कर बोला. तुम जैसे लोग ऐसे एग्जाम पास नहीं कर सकते. क्यूं अपना समय बर्बाद कर रहे हो . ऐसे ही शरीर को कष्ट दे रहे हो. ऐसी परीक्षा पास करने वाले लोग दूसरे ही तरह के होते हैं . आइने में शक्ल अच्छे से देखना. मैं चुपचाप सुन रहा था. कुछ बोलते भी नही बन रहा था. मैंने इतना ही बोला जी सर मैं ध्यान रखूंगा.और वो चले गए. एक तो मैं अस्पताल में भर्ती था , दूसरा सुबह सुबह ऐसी निरुत्साहित करने वाली बातें सुनकर मन खिन्न सा हो गया.
मैं परीक्षा की तैयारी में जुट गया, सफलता के बाद उस सज्जन से मुलाकात हुई: इस घटना के बाद मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात घर कर गई कि मैं मेहनत करूंगा और एक दिन मौका मिलेगा तो सर को बताउंगा कि आपका ऑब्जर्वेशन गलत था. समय बीतता गया. मैं सर की बात को गलत साबित करके तहसीलदार सेवा में आ गया था. समय का चक्र घूमा. चार साल बाद अचानक एक दिन एक सज्जन मेरे ऑफिस में आकर मिलने के लिए स्लिप भिजवाया. स्लिप में नाम पढ़ा कुछ जाना पहचाना लगा. सज्जन को बिना विलम्ब के मैंने अंदर बुलाया.मैंने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. उन्होंने भी वैसा ही किया. मैंने पूछा बताएं क्या काम है . उन्होंने काम बताया जो मेरे कार्यालय से सम्बंधित ही था. मैंने तुरंत कर दिया.उनको पानी एवं चाय पिलाया. फिर मैंने पूछा सर आपने मुझे पहचाना. वो बोले नहीं पहचान पाया. मैंने बोला सर मैं आपको अच्छे से जानता हूं.आप DIET में अमुक साल में थे मैं भी वहीं लैब असिस्टेंट था. बात सुनकर वो ख़ुश हुए. लेकिन अगले ही क्षण उनके भाव बदल गए. जब मैंने उनको याद दिलाया की सर एक बार आप कुचामन में किसी काम से अस्पताल आए हुए थे और उस दिन मैं वहीं एडमिट था. मुझे देखकर आप मेरे पास आए थे और आपने मुझसे पूछा बीमार कैसे हुए. जब मैंने आपको बताया की मैं आरएएस और आईएएस की तैयारी कर रहा हूं. तब आपने बोला की तुम कभी भी ये परीक्षा पास कर नहीं कर सकते. इतने कमजोर दिखते हो की शक्ल से भी अधिकारी नहीं लगोगे. लेकिन सर मैं आज आपके सामने ही बैठा हूं आपका आकलन गलत हो गया. वो कुछ नहीं बोल पा रहे थे. फिर मैंने उनको नॉर्मल किया और बोला सर आपका बहुत बहुत आभारी हूं की हो सकता है आप इतना ताना नहीं मारते तो मैं तैयारी नहीं कर पाता और वही कहीं उसी पद पर काम करता रहता.
मेरी बात सुनकर वह सज्जन जाने को तैयार हो गए: मेरी इतनी बात सुनकर वो वो तुरंत ही जाने को तैयार हो गए. मैं उनको बाहर तक छोड़ने गया और अभिवादन के साथ विदा किया. कई बार कुछ बातें आपके जीवन को बदल देती हैं. बस आपको अपने पर विश्वास होना चाहिए. यह मायने नहीं रखता लोग आपके बारे में क्या राय रखते हैं. मायने यह रखता है कि आप अपने बारे में क्या राय रखते हैं. कुछ लोग आपको निरुत्साहित करने की कोशिश करेंगे लेकिन हौसला बनाए रखना. जब तक सफल ना हो जाओ तब शांत रहकर अपनी तैयारी करते रहो. आपकी सफलता ही ऐसे लोगों को जवाब है.