बिलासपुर: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी महात्मा गांधी के लिए कहा था कि, 'आनेवाली पीढ़ियां बहुत मुश्किल से ये विश्वास करेंगी कि इस धरती पर हाड़-मांस का एक ऐसा पुतला भी हुआ है.' 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जी की 150 वीं जयंती मना रहा है. छत्तीसगढ़ की धरती पर केवल दो बार ही गांधी जी के कदम पड़े. 1933 में दूसरे दौरे के दौरान वे बिलासपुर भी गए थे, इस दौरे की कुछ रोचक जानकारियों के बारे में जानकर आप भी उन दिनों गांधी के प्रति लोगों की दीवानगी को महसूस कर पाएंगे.
25 नवंबर 1933 को बिलासपुर आए गांधी जी
महात्मा गांधी 25 नवंबर 1933 को सड़क मार्ग से बिलासपुर पहुंचे थे. गांधी के आगमन की सूचना मिलते ही बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में एक दिन पहले ही लोगों का हुजूम उमड़़ पड़ा था. शहर और उसके आसपास सिर्फ बैलगाड़ियों का रैला दिख रहा था. जिस पर सवार होकर दूर-दूर से लोग गांधी को देखने बिलासपुर पहुंचे थे.
- गांधी जी का बिलासपुर में प्रवेश करने से पहले ही रायपुर रोड पर जगह-जगह स्वागत किया गया.
- गांधी के प्रति लोगों की श्रद्धा और दीवानगी इस कदर थी कि लोगों ने उनके ऊपर सिक्के भी उछाले थे जिससे गांधी को मामूली चोट भी लगी थी.
- कहा जाता है कि भीड़ में इतने सारे लोगों से हाथ मिलाने के चलते गांधी के हाथ भी छिल गए थे.
गांधी जी ने झरोखे से किया था अभिवादन
बिलासपुर सीमा में पहुंचते ही कुंज बिहारी अग्निहोत्री ने गांधी जी का स्वागत किया. शहर में वर्तमान के जरहाभाठा चौक में ठाकुर छेदीलाल के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत किया गया. गांधी जी को फिर विश्राम के लिए कुंजबिहारी अग्निहोत्री के निवास पर भेजा गया, जहां लोगों की इतनी भीड़ हो गई थी कि महात्मा गांधी ने घर के झरोखे से ही बाहर मौजूद जनसमूह का अभिवादन किया था.
महिलाओं ने दान दे दिए थे पहने हुए जेवर
गांधी जी ने बिलासपुर के कम्पनी गार्डन (वर्तमान में विवेकानंद उद्यान) और शनिचरी में आम सभा की थी गांधी के आह्वान पर यहां उन्हें हजार रुपए से भरी एक थैली भेंट की गई जिसे गांधी ने आजादी के लिए सहयोग के रूप में बहुत कम माना. तब कुंजबिहारी अग्निहोत्री के कहने पर सभा में मौजूद महिलाओं ने अपने तमाम जेवरात उतार कर दे दिए थे.
- जब गांधी की आमसभा शनिचरी मैदान में हुई तो लाखों भीड़ को नियंत्रित करना कठिन काम था.
- उस सभा में मौजूद डॉ. शिवदुलारे मिश्र, अमर सिंह सहगल, छेदीलाल जी ने भीड़ को नियंत्रित करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए.
- बापू के एक आह्वान पर ही विशाल जनसमुह शांत हो गया और मंत्रमुग्ध होकर बापू को सुनने लगे.
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गांधी ने कही थी दलित और हरिजन उत्थान की बात
गांधी ने इस सभा में मूलरूप से दलित और हरिजन उत्थान की बात की थी. जानकार बताते हैं कि गांधी के सभा के याद के रूप में लोग सभा स्थल से मिट्टी और पत्थर तक ले गए. गांधी के सभास्थल के पास आज भी यादगार स्वरूप एक जयस्तंभ बना हुआ है, जो बिलासपुर में गांधी के आगमन को लेकर एकमात्र प्रतीक के रूप में है.
गांधी के जानकार बताते हैं कि महात्मा गांधी विश्वभर के ऐसे कुछ गिने-चुने महामानवों में से एक हैं जो लगातार भीतरी संघर्ष को झेलते रहते हैं और लोगों को उत्कृष्ट मनुष्य बनने की प्रेरणा देते रहे.