बिलासपुर: बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज (Bilaspur cims Medical College) का सिस्टम एक बार फिर फेल हो गया है. यहां की चिकत्सीय व्यवस्था चरमरा गई है. सिम्स अस्पताल की स्टाफ नर्सों ने सांकेतिक हड़ताल शुरू कर दिया है. मांग पूरी न होने पर नर्सों ने 30 अप्रैल के बाद सामूहिक अवकाश पर भी जाने की चेतावनी दी है. बता दें कि सिम्स मेडिकल कॉलेज संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. सिम्स मेडिकल कॉलेज की जब स्थापना हुई तब यहां 350 बेड का सेटअप था, लेकिन अब वर्तमान में 750 बेड वाला हॉस्पिटल यहां संचालित हो रहा है.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 700 बेड के इस सेटअप के पीछे केवल 70 के करीब ही रेगुलर स्टाफ नर्सेज ही यहां कार्यरत हैं. यहां 1 नर्स के ऊपर 70 बेड का भार होता है. इतना ही नहीं इसी सेटअप में इन्हें तीनों शिफ्ट में भी काम करना है. एक नर्स को 3-3 वार्डो को संभालना पड़ता है. ऐसे में मरीजों की देखभाल तो प्रभावित हो ही रही है. स्टाफ नर्सेज भी एकस्ट्रा वर्क लोड से परेशान हैं. एक नर्स को तीन-तीन वार्ड का जिम्मा दे दिया जा रहा है.
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इधर, इस समस्या को देखते हुए स्टाफ नर्स लंबे समय से नर्सों के भर्ती की मांग प्रबंधन से कर रही है. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. सिम्स मेडिकल कॉलेज की नर्स यूनियन पिछले 8 सालों से नर्सेज भर्ती की मांग कर रही है. यूनियन पहले और वर्तमान की सरकार के स्वास्थ्य मंत्रियों को अपनी समस्या से अवगत करा चुकी है. लेकिन अब तक समस्या पहले जैसे ही बनी हुई है. नर्सेज अपनी जिंदगी में काम के बोझ की वजह से परेशान रहती है. काम की वजह से परिवार को समय नहीं दे पा रही है. यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरा नहीं होगा तो काम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे और ये हड़ताल अनिश्चितकालीन होगा. यानी कि जब तक मांगे पूरी नहीं होगी हड़ताल जारी रहेगा.
सिम्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन के इसी रवैए से नाराज होकर स्टाफ नर्सों ने अब आंदोलन का रास्ता चुन लिया है. वे चरणबद्ध सांकेतिक हड़ताल पर चले गये हैं. पहले पत्राचार और ज्ञापन, फिर काली पट्टी लगाकर विरोध जताते हुए नर्सों ने अपनी मांगों को प्रबंधन के सामने रखा. लेकिन उनकी मांगों पर कोई पहल नहीं हुई. अब बीते 14 अप्रैल से स्टाफ नर्स सांकेतिक हड़ताल पर हैं. रोजाना 3 घंटे काम बंद हड़ताल कर वे प्रबंधन को अपनी मांगों को याद दिला रही हैं. नर्सों ने 30 अप्रैल तक का प्रबंधन को अल्टीमेटम भी दिया है, जिसके बाद नर्सों ने सामूहिक अवकाश पर जाने और अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है. नर्सों ने बताया कि यहां पदों की कमी नहीं है. लगभग 98 पद डीन और 120 पद मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पास स्वीकृत हैं, लेकिन भर्ती नहीं किया जा रहा है.
स्टाफ नर्सों के हड़ताल और नर्सों की कमी के कारण सिम्स की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. वार्डों में मरीजों की भीड़ है, लेकिन उनकी देखभाल और उपचार करने वाला कोई नहीं है. स्थिति ये है कि कहीं वार्ड बॉय, कहीं वार्ड आया नर्सों का काम कर रही हैं. तो कहीं इंटर्न और इक्के दुक्के जूनियर डॉक्टर वार्ड सम्हाल रहे हैं. यही नहीं कई वार्डों में परिजन खुद मरीजों को दवाई, पानी देते नजर आ रहे हैं. मरीज और उनके परिजन भी नर्सों की कमी से परेशान हैं.
सिम्स की इस अव्यवस्था और नर्सों के हड़ताल को लेकर सिम्स प्रबंधन भी मान रहा है कि सेटअप के तहत सिम्स में स्टाफ की भारी कमी है. 750 बेड और 29 वार्डों के पीछे केवल 70 के करीब ही नर्स हैं, जो तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं. सिम्स प्रबंधन की मानें तो जब सिम्स की स्थापना हुई तब 350 बेड का सेटअप था. आज 750 के करीब बेड संचालित हो रहे हैं. लेकिन बेड के साथ सेटअप अपग्रेड नहीं होने के कारण आज ये स्थिति है. हालांकि सिम्स प्रबंधन अब नर्सों की भर्ती के लिए शासन स्तर और हॉस्पिटल फंड से नर्सों की भर्ती का प्रयास करने की बात कह रहा है.
नर्सों की समस्या को लेकर सिम्स मेडिकल कॉलेज के एम एस नीरज शिंडे ने शासन स्तर पर पत्राचार कर जानकारी दे दी है. इसके अलावा एमएस शिंडे ने कमिश्नर को भी पत्र लिखकर स्वशासी समिति से प्राइवेट नर्सों की भर्ती करने और उनका वेतन स्वशाषि फण्ड से पेमेंट देने की मांग की है. यदि कमिश्नर के द्वारा समिति के माध्यम से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की भर्ती या फिर एजेंसी से टाइअप कर नर्सों की कमी की पूर्ति करने की इजाजत मिल जाती है. तो जल्द ही हो रही समस्या से नर्सों को और अस्पताल प्रबंधन को निजात मिल जाएगी. अन्यथा नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सिम्स मेडिकल कॉलेज की समस्या भयावह हो जाएगी.