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बिलासपुर: संत कुमार नेताम ने हाईकोर्ट में फाइल की दो कैविएट याचिका - मरवाही उपचुनाव

संतकुमार नेताम की तरफ से मंगलवार को उच्च न्यायालय में 2 अलग-अलग कैविएट दाखिल की गई है. नेताम के वकील ने कहा है कि यदि जिला निर्वाचन अधिकारी पेंड्रा के द्वारा 17 अक्टूबर को जारी किए गए आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका फाइल करते हैं, तो संत कुमार नेताम को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Oct 20, 2020, 8:38 PM IST

बिलासपुर: मंगलवार को संतकुमार नेताम की ओर से उनके वकील संदीप दुबे और सुदीप श्रीवास्तव ने उच्च न्यायालय में 2 अलग-अलग कैविएट याचिका दायर की है. याचिका में नेताम के वकील ने कहा है कि यदि जिला निर्वाचन अधिकारी पेंड्रा के द्वारा 17 अक्टूबर को जारी किए गए आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका फाइल करते हैं, तो संत कुमार नेताम को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए.

उन्होंने कहा कि क्योंकि नेताम ही वो व्यक्ति हैं, जिनकी शिकायत पर अमित जोगी की जाती प्रमाण पत्र को निरस्त और ऋचा जोगी की जाति प्रमाण को निलंबित किया गया है. 17 अक्टूबर को जिला निर्वाचन अधिकारी पेंड्रा ने दोनो के चुनाव नामांकन को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद दोनों ही महवाही के चुनाव से बाहर हो गए. संत कुमार नेताम की शिकायत पर जिला स्तरीय छानबीन समिति पेंड्रा ने अमित जोगी को उनके जाति मामले में सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया गया था. लेकिन अमित जोगी की ओर से तीनों बार कोरोना वायरस का हवाला देते हुए जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी. कुछ दिनों बाद ही अमित जोगी ने छानबीन समिति की ओर से जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी.

पढ़ें: अमित जोगी जाति मामला, सिंगल बेंच ने सुनवाई से किया इंकार

क्या है पूरा मामला
भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा था.

बिलासपुर: मंगलवार को संतकुमार नेताम की ओर से उनके वकील संदीप दुबे और सुदीप श्रीवास्तव ने उच्च न्यायालय में 2 अलग-अलग कैविएट याचिका दायर की है. याचिका में नेताम के वकील ने कहा है कि यदि जिला निर्वाचन अधिकारी पेंड्रा के द्वारा 17 अक्टूबर को जारी किए गए आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका फाइल करते हैं, तो संत कुमार नेताम को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए.

उन्होंने कहा कि क्योंकि नेताम ही वो व्यक्ति हैं, जिनकी शिकायत पर अमित जोगी की जाती प्रमाण पत्र को निरस्त और ऋचा जोगी की जाति प्रमाण को निलंबित किया गया है. 17 अक्टूबर को जिला निर्वाचन अधिकारी पेंड्रा ने दोनो के चुनाव नामांकन को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद दोनों ही महवाही के चुनाव से बाहर हो गए. संत कुमार नेताम की शिकायत पर जिला स्तरीय छानबीन समिति पेंड्रा ने अमित जोगी को उनके जाति मामले में सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया गया था. लेकिन अमित जोगी की ओर से तीनों बार कोरोना वायरस का हवाला देते हुए जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी. कुछ दिनों बाद ही अमित जोगी ने छानबीन समिति की ओर से जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी.

पढ़ें: अमित जोगी जाति मामला, सिंगल बेंच ने सुनवाई से किया इंकार

क्या है पूरा मामला
भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा था.

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