गौरेला पेंड्रा मरवाही: पेंड्रा जिले के नवागांव की रहने वाली क्षिप्रा वासुदेव ने रूस में भारत का प्रतिनिधित्व किया. दरअसल, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 4 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और पहले एशियाई संवाद 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व क्षिप्रा ने किया. क्षिप्रा ने इस सम्मेलन में रिसर्च आर्टिकल्स को प्रेजेंट किया.
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में क्षिप्रा ने अपने सर्वश्रेष्ठ सम्मानित शोध लेख को भी प्रस्तुत किया. यह कार्यक्रम रूस के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत एक थिंक टैंक गोरचाकोव पब्लिक डिप्लोमेसी फंड की ओर से आयोजित किया गया था. एशियाई रूस संवाद और दक्षिण एशिया के बीच संवाद पर यह पहला शोध और शैक्षणिक कार्यक्रम था. जो कि सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में सम्पन्न हुआ.
जानिए कौन हैं क्षिप्रा वासुदेव: बता दें कि क्षिप्रा वासुदेव पेंड्रा के नवागांव की रहने वाली हैं. क्षिप्रा की सेंट पीटर्सबर्ग की यह पहली यात्रा थी. इसे रूस की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है. देश के सीनियर डिप्लोमेट्स के साथ भारत से चयनित शोधार्थियों ने अपना शोध प्रस्तुत किया. क्षिप्रा वासुदेव का शोध इस सम्मेलन के लिए सेलेक्ट हुआ. क्षिप्रा फिलहाल जेएनयू दिल्ली में सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं. क्षिप्रा के पिता महेश प्रसाद वासुदेव स्कूल टीचर हैं. क्षिप्रा की मां पार्वती वासुदेव एक गृहिणी है. साथ ही वो किसानी भी करती हैं.
क्षिप्रा वासुदेव शुरुआती की शिक्षा कहां हुई: क्षिप्रा की स्कूली शिक्षा नवागांव के सरकारी स्कूल में हुई. इसके बाद गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में राजनीति विज्ञान ऑनर्स के साथ प्रवेश मिला. गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई के बाद क्षिप्रा ने जेएनयू का इंट्रेस एग्जाम पास कर अच्छा रैंक लाया. फिर एमए इन इंटरनेशनल रिलेशन की पढ़ाई की. उसके बाद फिर से जेएनयू का इंट्रेस एग्जाम अच्छे रैंक से पास कर एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन लिया. एमफिल की डिग्री लेने के बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका इन ब्रिक्स पर काम किया.अब इंटरनेशनल रिलेशंस में अपना शोध कर रही है.