बिलासपुर: नदिया किनारे, किसके सहारे में जारी है अरपा का सफर. अरपा छत्तीसगढ़ की जीवनदायी नदियों में से एक है. हमने आपको अरपा की बदहाली की कहानी बताते हुए यह दिखाया था कि, अवैध रेत उत्खनन के कारण किस तरह से यह नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है.
अरपा का उद्गम पेंड्रा के अमरपुर गांव से हुआ. अरपा यहां से धीरे-धीरे बिलासपुर की ओर आगे बढ़ती है. कहीं तो अरपा में बहाव नजर आता है लेकिन कहीं ये सूखी नजर आती हैं. अवैध रेत उत्खनन के अलावा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी देवीतुल्य इस नदी के खत्म होने के लिए जिम्मेदार है.
- विशेषज्ञ बताते हैं कि पेड़ अपने जड़ों में लाखों लीटर पानी को संरक्षित रखता है और नदी के इर्द-गिर्द पेड़ होने की वजह से उनकी जड़ों में पानी जमा होता है और इसी से नदियां रिचार्ज होती हैं.
- अरपा के इर्द गिर्द कोल वॉशरी खोल दी गईं और इसके लिए बोर का अच्छा खासा पानी का इस्तेमाल में लाया गया. इस वजह से भी अरपा के जलस्तर में खासी कमी देखी गई है. इसके साथ ही प्रशासनिक उदासीनता भी इसके पीछे का एक प्रमुख कारण हैं.
- अरपा के इस हाल के पीछे का तीसरा और महत्वपूर्ण कारण शहर भर की नालियों का इसमें मिलने के साथ ही कचरे को इसमें डंप करना है.
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि नदी से हो रहे रेत के उत्खनन में लगाम लगाई जाए और इसे सीमित किया जाए.
कहीं इतिहास बनकर न रह जाएं नदियां
जिस नदी को जीवनदायनी कहा जाता है. माता का रूप मानकर लोग जिसकी पूजा करते हों, वो आज हमारी लावरवाही की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. अगर जल्द ही इसके संरक्षण को लेकर कदम न उठाए गए, तो शायद छत्तीसगढ़ की पहचान मानी जाने वाली यह नदी इतिहास बनकर न रह जाए. हम नदियों के मुद्दों को आगे भी उठाते रहेंगे.