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नदिया किनारे, किसके सहारे: अगर अब भी सुध नहीं ली तो खो देंगे अपनी अरपा

अरपा नदी के किनारे अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है, जिसके कारण नदी का पानी सूखता जा रहा है. साथ ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी देवीतुल्य इस नदी के खत्म होने के लिए जिम्मेदार है.

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Published : Jul 2, 2019, 8:42 PM IST

बिलासपुर: नदिया किनारे, किसके सहारे में जारी है अरपा का सफर. अरपा छत्तीसगढ़ की जीवनदायी नदियों में से एक है. हमने आपको अरपा की बदहाली की कहानी बताते हुए यह दिखाया था कि, अवैध रेत उत्खनन के कारण किस तरह से यह नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है.

अनदेखी के चलते अरपा नदी का अस्तित्व खतरे में है.

अरपा का उद्गम पेंड्रा के अमरपुर गांव से हुआ. अरपा यहां से धीरे-धीरे बिलासपुर की ओर आगे बढ़ती है. कहीं तो अरपा में बहाव नजर आता है लेकिन कहीं ये सूखी नजर आती हैं. अवैध रेत उत्खनन के अलावा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी देवीतुल्य इस नदी के खत्म होने के लिए जिम्मेदार है.

  • विशेषज्ञ बताते हैं कि पेड़ अपने जड़ों में लाखों लीटर पानी को संरक्षित रखता है और नदी के इर्द-गिर्द पेड़ होने की वजह से उनकी जड़ों में पानी जमा होता है और इसी से नदियां रिचार्ज होती हैं.
  • अरपा के इर्द गिर्द कोल वॉशरी खोल दी गईं और इसके लिए बोर का अच्छा खासा पानी का इस्तेमाल में लाया गया. इस वजह से भी अरपा के जलस्तर में खासी कमी देखी गई है. इसके साथ ही प्रशासनिक उदासीनता भी इसके पीछे का एक प्रमुख कारण हैं.
  • अरपा के इस हाल के पीछे का तीसरा और महत्वपूर्ण कारण शहर भर की नालियों का इसमें मिलने के साथ ही कचरे को इसमें डंप करना है.
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि नदी से हो रहे रेत के उत्खनन में लगाम लगाई जाए और इसे सीमित किया जाए.

कहीं इतिहास बनकर न रह जाएं नदियां
जिस नदी को जीवनदायनी कहा जाता है. माता का रूप मानकर लोग जिसकी पूजा करते हों, वो आज हमारी लावरवाही की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. अगर जल्द ही इसके संरक्षण को लेकर कदम न उठाए गए, तो शायद छत्तीसगढ़ की पहचान मानी जाने वाली यह नदी इतिहास बनकर न रह जाए. हम नदियों के मुद्दों को आगे भी उठाते रहेंगे.

बिलासपुर: नदिया किनारे, किसके सहारे में जारी है अरपा का सफर. अरपा छत्तीसगढ़ की जीवनदायी नदियों में से एक है. हमने आपको अरपा की बदहाली की कहानी बताते हुए यह दिखाया था कि, अवैध रेत उत्खनन के कारण किस तरह से यह नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है.

अनदेखी के चलते अरपा नदी का अस्तित्व खतरे में है.

अरपा का उद्गम पेंड्रा के अमरपुर गांव से हुआ. अरपा यहां से धीरे-धीरे बिलासपुर की ओर आगे बढ़ती है. कहीं तो अरपा में बहाव नजर आता है लेकिन कहीं ये सूखी नजर आती हैं. अवैध रेत उत्खनन के अलावा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी देवीतुल्य इस नदी के खत्म होने के लिए जिम्मेदार है.

  • विशेषज्ञ बताते हैं कि पेड़ अपने जड़ों में लाखों लीटर पानी को संरक्षित रखता है और नदी के इर्द-गिर्द पेड़ होने की वजह से उनकी जड़ों में पानी जमा होता है और इसी से नदियां रिचार्ज होती हैं.
  • अरपा के इर्द गिर्द कोल वॉशरी खोल दी गईं और इसके लिए बोर का अच्छा खासा पानी का इस्तेमाल में लाया गया. इस वजह से भी अरपा के जलस्तर में खासी कमी देखी गई है. इसके साथ ही प्रशासनिक उदासीनता भी इसके पीछे का एक प्रमुख कारण हैं.
  • अरपा के इस हाल के पीछे का तीसरा और महत्वपूर्ण कारण शहर भर की नालियों का इसमें मिलने के साथ ही कचरे को इसमें डंप करना है.
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि नदी से हो रहे रेत के उत्खनन में लगाम लगाई जाए और इसे सीमित किया जाए.

कहीं इतिहास बनकर न रह जाएं नदियां
जिस नदी को जीवनदायनी कहा जाता है. माता का रूप मानकर लोग जिसकी पूजा करते हों, वो आज हमारी लावरवाही की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. अगर जल्द ही इसके संरक्षण को लेकर कदम न उठाए गए, तो शायद छत्तीसगढ़ की पहचान मानी जाने वाली यह नदी इतिहास बनकर न रह जाए. हम नदियों के मुद्दों को आगे भी उठाते रहेंगे.

Intro:अरपा की बदहाली की कहानी सुनाते हुए हमने आपको बताया था कि किस तरह अरपा से अवैध रेत उत्खनन के कारण अरपा अपना अस्तित्व खोता जा रहा है । आज हम आपको दिखाएंगे अरपा के उद्गम से अरपा के अंत तक के तमाम उन दृश्यों को जिस कारण से अरपा नदी का अस्तित्व संकट में आ चुका है ।


Body:अरपा का उद्गम पेंड्रा के अमरपुर गांव से हुआ है । अरपा जहां से निकली है वहां पहले एक दलदली क्षेत्र जैसे दृश्य देखने को मिलते थे लेकिन धीरे धीरे अरपा अपने उद्गम स्थल से ही गायब होते नजर आने लगी है । अरपा अपने उद्गम क्षेत्र से निकलकर बिलासपुर के तरफ जैसे जैसे आगे बढ़ती है तो बीच में कहीं कहीं अरपा में बहाव जरूर नजर है लेकिन अधिकांश जगहों में अरपा सूखी नजर ही आती है । हमने पहले बताया था कि अरपा के विनाश के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वो है अरपा में बेतरतीब ढंग से रेत का उत्खनन । इसके अलावा अरपा नदी का अस्तित्व पेड़ों की कटाई के कारण भी खतरे में है । विशेषज्ञों की मानें तो नदियों के इर्द गिर्द के जंगल नदियों का ना सिर्फ कटाव रोकने में सहायक होता है बल्कि पेड़ नदियों को जीवंत भी बनाये रखते हैं । विशेषज्ञ बताते हैं कि वृक्ष अपने जड़ों में लाखों लीटर पानी को संरक्षित रखता है । ये वृक्ष अगर नदियों के इर्दगिर्द हों तो वृक्ष के जड़ों के पानी से नदियां रिचार्ज होती है । अरपा के दोनों छोड़ पर पहले मैदानी और खेती लायक जमीन कम थी और जंगल अधिक थे । लेकिन अरपा नदी के इर्दगिर्द लोगों के बसाहट और अवैध कब्जे ने भारी तादात में वृक्षों को उजाड़ दिया जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि अरपा का जल स्तर दिनोदिन कम होती चली गई । जानकारों की मानें तो अरपा के इर्द गिर्द जो कोल वाशरी खोल दिये गए इस वज़ह से अवैध बोरिंग ने अरपा का बहुत नुकसान किया है । अरपा के प्रति उदासीनता प्रशासनिक स्तर पर भी देखने को मिली है । जानकर बताते हैं कि दो पंचवर्षीय पहले जो अरपा विकास प्राधिकरण का गठन हुआ था वो बिल्कुल ही फिसड्डी साबित हुआ है । प्राधिकरण के माध्यम से अरपा के सौंदर्यीकरण के लिए कुछ भी नहीं किये गए और करोड़ों रुपये का बंटाधार जरूर कर दिया गया । अरपा विकास प्राधिकरण के आलोचक बताते हैं कि शासन इस प्राधिकरण के माध्यम से चूंकि कुछ भी अरपा का भला नहीं कर पाई लिहाजा अब प्राधिकरण के विघटन का शासन का निर्णय बिल्कुल सही है । वहीं कुछ लोग इसे राजनीतिक दुर्भावना से किया हुआ कार्य बताकर वर्तमान सरकार की आलोचना कर रहे हैं । अरपा की बदहाली की काहानी में तीसरा जो महत्वपूर्ण कारण है वो है अरपा में बेतरतीब ढंग से नालियों को प्रवाहित किया जाना और गंदगी को डंप करना । विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी नदी में गंदगी को प्रवाहित करने से नदी में शुद्धता की कमी आती है और धीरे धीरे नदी का अस्तित्व खतरे में आ जाता है ।वहीं रेत उत्खनन के क्षेत्र में विशेषज्ञों की यह भी राय है कि एक लिमिट तक ही रेत का उत्खनन हो । साथ ही निर्माण कार्यों में रेत की अनिवार्यता को भी बहुत हद तक सीमित किया जाय ।







Conclusion:तो अरपा की बदहाली की कहानी सुनाते हए हमने आपको अरपा के उदगम,अरपा के मध्य और अरपा के शिवनाथ नदी में विलय तक के दृश्य को दिखाया । अरपा की बदहाली की कहानी की लब्बोलुआब यही है कि बिलासपुर के इस जीवनदायनी नदी को यदि हमें बचना है तो रेत उत्खनन, अरपा में गन्दगी के बहाव और पेड़ों की कटाई जैसे प्रमुख कारणों पर तत्काल गौर करना होगा । साथ ही अरपा को बचाने के दिशा में एक जनभागीदारी भी प्रस्तुत करनी होगी ।
bite 1.... नंद कश्यप...पर्यावरणविद,(सफेद-काला कुर्ता चश्मा पहने हुए)
Bite2.....प्रथमेष मिश्रा... सामाजिक कार्यकर्ता(सफेद शर्ट पहने हुए)
bite3....सविता मिश्रा....सामाजिक कार्यकर्ता(चश्मा पहनीं हुईं)
bite4....किशोर राय..... महापौर(टोपी पहने हुए)
bite5....शैलेष पांडेय... विधायक(सफेद शर्ट में,काली कुर्सी)
विशाल झा....... बिलासपुर





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