बिलासपुर: संस्कृत में एक श्लोक है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः. यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women Day) है. ये दिन महिलाओं को समर्पित है. इस दिन को महिलाओं के सम्मान के लिए मनाया जाता है. ईटीवी भारत इस मौके पर उन खास महिलाओं से आपको रू-ब-रू कराने जा रहा है, जो अपने आप में किसी नज़ीर से कम नहीं. हम बात कर रहे हैं बिलासपुर की अंकिता पांडेय की. जिन्होंने अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया है. ये पिछले 6 सालों से बच्चों को गुड टच बैड टच का ज्ञान (ankita pandey teaches good touch bad touch to children ) देने के साथ-साथ उन्हें जागरूक कर रही हैं.
6 सालों से बच्चों को कर रही जागरूक
अंकिता 6 साल में 75 स्कूलों में जाकर बच्चों को यौन संबंधी अपराधों को लेकर जागरूक करने का काम कर रही है. ये बच्चों को गुड टच और बैड टच को लेकर भी जागरूक कर रही हैं. अगर कोई किसी बच्चे के साथ बदनियति से पेश आये तो उसके साथ क्या करना है ये ज्ञान ये बच्चों को दे रहीं हैं. अक्सर ऐसा पाया गया है कि बच्चों को उनके करीबी के शोषण करते हैं और बच्चे डर से कुछ बोल नहीं पाते. कई बार बच्चे यौन उत्पीड़न का हर दिन शिकार होने के बावजूद डर से चुप रहते हैं. ऐसे में बच्चों को जागरुक करने के साथ-साथ उनमें उनके अधिकारों की जानकारी देने का काम अंकिता कर रही हैं.
बच्चों को दे रही लैंगिक जानकारी
बच्चों को प्राइवेट पार्ट के साथ-साथ लैंगिक जानकारी देने के साथ अपराध से दूर रहना भी अंकिता सिखा रही है. अंकिता बच्चों को बताती हैं कि उन्हें समझना होगा कि कोई उन्हें किस मकसद से छू रहा है. यदि कोई बच्चों को साफ नियत से छूता है तो कहां-कहां छुएगा? अगर कोई बदनियति से छूता है तो कहां छुएगा? यदी कोई उनके शरीर के उस अंग को छूता है जहां उन्हें छूना नहीं चाहिए... उसे प्राइवेट पार्ट कहते हैं. इस जगह को छूना बैड टच कहलाता है.
स्लम बस्तियों के बच्चे हो रहे ज्यादा शिकार
अंकिता बताती हैं कि वह कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही समाज के लिए कुछ अलग करने के लिए प्रेरित हुईं. यौन अपराध, नशे के खिलाफ जागरूकता को उन्होंने चुना. उन्होंने देखा कि जागरूकता के अभाव में बच्चे यौन अपराध के शिकार हो रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा असर स्लम बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों पर पड़ रहा है. अंकिता ने इसके लिए जागरूकता मुहिम की शुरूआत की. जिसे आगे भी जारी रखने की बात कह रही है. ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक कर सके.
परिवारवाले देते हैं साथ
वहीं, अंकिता के इस नेक पहल में उसका पूरा परिवार साथ है. अंकिता के पति अनुभव शुक्ला भी इस कार्य में अंकिता का साथ दे रहे हैं. अंकिता ने यौन अपराध और नशे की गिरफ्त में जाते बच्चों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. इसमें उनके माता-पिता और ससुराल वाले भी लगातार अंकिता को प्रेरित करते रहते हैं. अंकिता के पति अनुभव ने बताया कि वो शादी से पहले से ही जानते थे हैं कि अंकिता समाजसेविका हैं. लेकिन वह उसके इस काम का विरोध कभी नहीं किये. शादी के बाद अंकिता परिवार के साथ साथ समाज की सेवा करती है, इससे उन्हें गर्व महसूस होता है.
राज्यपाल कर चुकीं है सम्मानित
अंकित बच्चों में ज्ञान और जागरूकता के साथ-साथ समाज के लिए भी बड़ा काम कर रही है. हर कोई अंकिता के काम की सराहना कर रहे हैं. यही वजह है कि बच्चों के बीच अंकिता के प्रयासों का असर भी नजर आने लगा है. इस पर पिछले दिनों राज्यपाल अनुसुइया उईके ने उन्हें नारी रत्न सम्मान से भी नवाजा था.