बिलासपुर: किसी भी शहर में हो रहे क्राइम के डिटेक्शन में CCTV फुटेज बहुत मायने रखता है. न सिर्फ क्राइम डिटेक्शन और क्राइम कन्ट्रोलिंग के लिए बल्कि यातायात नियंत्रण में भी CCTV कैमरे तिसरी आंख का काम करते हैं. लेकिन प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर में CCTV कैमरों की स्थिति बेहद खराब नजर आती है. लाखों की आबादी वाले इस शहर में सीमित कैमरों की मदद से पूरे शहर की निगरानी की जा रही है.
बिलासपुर शहर में ऐसे 17 प्वाइंट्स पर CCTV लगाए गए हैं, जिन कैमरों पर पुलिस कंट्रोल रूम का सीधा नियंत्रण है. इसके अलावा अगर जिले में कुल CCTV की बात करें तो फिलहाल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में कुल 2 हजार 229 कैमरे लगाए गए हैं. यह आंकड़ा नया जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को मिलाकर है. ये आंकड़ा कोरोना काल शुरू होने से ठीक पहले का है.
जिले में CCTV कैमरों को ए, बी और सी टाइप में बांटा गया है. जिसमें:
- टाइप-ए में बड़े संस्थानों और चौक चौराहों में लगाये गए कैमरे हैं.
- टाइप-बी में प्राइवेट दुकानों और घरों में लगाए गए CCTV कैमरों को रखा गया है.
- टाइप-सी में सरकारी संस्थानों को रखा गया है.
किस कैटेगरी के कितने कैमरें ?
- टाइप A में 271 कैमरे लगे हुए हैं.
- टाइप B में सबसे ज्यादा 1 हजार 326 कैमरे लगे हुए हैं.
- टाइप C में 632 कैमरे लगाए गए हैं.
जिस टाइप A में 271 कैमरे लगाए गए हैं उसमें अलग-अलग चौक-चौराहों में लगे महज 17 कैमरों पर ही पुलिस नियंत्रण कक्ष का कंट्रोल है. ये 17 केंद्र शहर के व्यस्ततम चौक चौराहे हैं. इन केंद्रों का जब ETV भारत ने जायजा लिया तो ये 17 महत्वपूर्ण केंद्रों में फिलहाल तमाम कैमरे चालू स्थिति में दिखे.
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कंट्रोल रूम से नियंत्रित शहर के ये 17 केंद्र
- सत्यम चौक से मसानगंज रोड
- सत्यम चौक से लिंक रोड
- सत्यम चौक से सिविल लाइन
- अग्रसेन चौक से बस स्टैंड रोड
- अग्रसेन चौक से लिंक रोड
- अग्रसेन चौक से सत्यम चौक
- अग्रसेन चौक से मगरपारा रोड
- सीएमडी चौक से लिंक रोड
- सीएमडी चौक से बस स्टैंड
- राजीव गांधी चौक से रायपुर रोड
- राजीव गांधी चौक से इंदु चौक रोड
- राजीव गांधी चौक से मंदिर चौक रोड
- मंदिर चौक से राजीव गांधी चौक रोड
- मंदिर चौक से सिंधी कॉलोनी रोड
- महामाया चौक से नेहरू चौक रोड
- महामाया चौक से सीपत रोड
- महामाया चौक से रतनपुर रोड
कंट्रोल रूम की रहती है निगरानी
मामले में पुलिस अधिकारियों की अपनी दलीलें हैं. पुलिस प्रशासन के मुताबिक शहर के कोने-कोने में CCTV कैमरों पर नियंत्रण करना इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि बड़ी तादाद में लोगों ने घरों में और अपनी दुकानों-संस्थानों में CCTV कैमरे लगाए हैं. जिन प्रमुख चौक चौराहों में कैमरों लगाए गए हैं, उन पर कंट्रोल रूम के जरिए पुलिस की सतत निगरानी बनी रहती है.
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लोगों से अपील
पुलिस अधिकारी ने बताया कि जहां कहीं भी ये कैमरे फंक्शन करना बंद करते हैं तो विभाग जल्द उसे ठीक कराता है. बड़े निजी और सार्वजनिक संस्थानों में संस्था प्रमुख खुद कैमरे लगाते हैं. उन्हें चाहिए कि वो अपने कैमरों पर खुद निगरानी करें. ताकि कभी भी कोई घटना घटती है तो क्रिमिनल डिटेक्शन में पुलिस को मदद मिले. घरों में भी लगने वाले कैमरों के पर घर के प्रमुख की नजर बनी रहनी चाहिए.
क्राइम डिटेक्शन में मिलती है मदद
पुलिस आलाधिकारियों के मुताबिक CCTV फुटेज क्राइम डिटेक्शन में बहुत बड़ा रोल अदा करता है. इसकी भूमिका वर्तमान समय में और ज्यादा बढ़ गई है. कुल मिलाकर पुलिस CCTV कैमरों के नियंत्रण के मामले में बहुत हदतक लाचार नजर आती है और जनसहयोग की अपेक्षा करती है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि शहर में लगातार बढ़ रहे अपराध के मद्देनजर पुलिस की नेक्स्ट प्लानिंग क्या है. क्या पुलिस चंद CCTV कैमरों की मदद से लाखों की आबादी वाले इस शहर की निगरानी कर सकती है. या CCTV कैमरों के नियंत्रण का दायरा और ज्यादा बढ़ाना होगा.