बिलासपुर : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने जल संसाधन विभाग के प्रार्थना सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न संबंधित प्रकरणों को गंभीरता से सुना. दो दिवसीय जन सुनवाई के पहले दिन आयोग के पटल पर 35 प्रकरण रखे गए.जिसमें 32 प्रकरणों को आयोग ने हल कर दिया. वहीं अंतिम दिन गुरुवार को 35 प्रकरणों की सुनवाई हुई. वहीं 11 प्रकरण पर बहस की गई. राज्य महिला आयोग की अध्यक्षता में ये 175वीं जन सुनवाई थी. इस दौरान राज्य महिला आयोग की सदस्य अर्चना उपाध्याय, और डॉक्टर अनीता रावटे भी उपस्थित थी.
बेटी ने मांगा पिता से अपना हक : सुनवाई के दौरान मुंगेली तहसील पथरिया का एक मामला सामने आया.जिसमें एक पिता अपनी बेटी का खर्च नहीं उठा रहा था. बेटी का पिता जूलॉजिकल विषय का प्रोफेसर है. जिसका वेतन 57,000 हजार रुपये प्रतिमाह है. प्रोफेसर ने 2006 को पत्नी समेत अपनी दो साल की बेटी को घर से बाहर निकाल दिया था. पत्नी को सिंकलिन की बीमारी थी.पत्नी इसके बाद अपने माता पिता के पास चली आई और बेटी का भरण पोषण किया. अब बेटी 20 साल की हो चुकी है.वर्तमान में बीबीए सेकेण्ड ईयर की स्टूडेन्ट है. उसे पढ़ाई लिखाई और इलाज के लिये आर्थिक कठिनाईयों सामना करना पड़ता है. इसलिए वह अपने पिता से सम्पति में अपना हक मांग रही है. जिस पर आयोग में सुनवाई हुई.
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तलाक के बाद नहीं निभाई जिम्मेदारी : वहीं दूसरे मामले में एक शख्स ने अपनी पहली पत्नी से बेटा नहीं होने के कारण तलाक ले लिया. इसके बाद दूसरी शादी की.पहली पत्नी से उसे एक बेटी है. वहीं दूसरी पत्नी से भी उसे दो बेटियां हुईं. साल 2011 में शख्स की सरकारी नौकरी लगी थी.लेकिन सरकारी नौकरी के कागजों में उसने ना ही अपनी पत्नी और ना ही बेटी का नाम अंकित कराया था. ऐसे में अब बेटी ने पिता की सपंत्ति में अपना हक मांगा है. बेटी के दादा भी कृषि भूमि में आवेदिका का नाम दर्ज कराना चाहते हैं.साथ ही दूसरी शादी से हुई बेटियों के नाम पर जमीन करना चाहते हैं. आयोग ने इस मामले में कहा कि तलाक पत्नी से हुआ है. ना कि बेटी से.इसलिए बेटी का पिता के जायदाद में बराबर का हक होता है. इस केस की सुनवाई अब आयोग 12 जून को रायपुर में करेगा.