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पट्टा वितरण के मामले में जवाब देने के लिए सरकार ने HC से मांगा हफ्तेभर का समय - भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टे वितरण पर हाईकोर्ट में सुनवाई

भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

bilaspur High Court
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Published : Dec 10, 2019, 4:11 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण के फैसले को मंगलवार को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. शासन ने मामले में जवाब पेश करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांगा है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर 2019 को प्रदेश के भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण करने का फैसला लिया था. यह पट्टा वितरण बाजार मूल्य से 2% से लेकर 102% की दर से वसूल किया जाना था, जिसे मधुकर द्विवेदी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

पढ़ें : HC: दंतेवाड़ा में पुलिस कैंप खोलने के खिलाफ दायर याचिका में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी

याचिकाकर्ता की ओर से अपनी जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार यदि ऐसे पट्टा वितरण करने लगी तो राज्य में सरकारी जमीन नहीं बचेगी, जिन पर लोगों का कब्जा है. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के इस आदेश पर रोक के साथ-साथ इसे निरस्त करने की मांग की गई है.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण के फैसले को मंगलवार को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. शासन ने मामले में जवाब पेश करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांगा है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर 2019 को प्रदेश के भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण करने का फैसला लिया था. यह पट्टा वितरण बाजार मूल्य से 2% से लेकर 102% की दर से वसूल किया जाना था, जिसे मधुकर द्विवेदी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अपनी जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार यदि ऐसे पट्टा वितरण करने लगी तो राज्य में सरकारी जमीन नहीं बचेगी, जिन पर लोगों का कब्जा है. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के इस आदेश पर रोक के साथ-साथ इसे निरस्त करने की मांग की गई है.

Intro:छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भूमिहीन कब्जा धारियों को पट्टा वितरण के फैसले को आज उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई । शासन ने मामले में जवाब पेश करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांग लिया है। Body:बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अक्टूबर 2019 को प्रदेश के भूमिहीन कब्जा धारियों को पट्टा वितरण का फैसला लिया गया था। यह पट्टा वितरण बाजार मूल्य से 2% से लेकर 102% की दर से वसूली कर किया जाना था। जिसे मधुकर द्विवेदी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अपनी जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार यदि ऐसे पट्टा वितरण करने लगी तो राज्य में सरकारी जमीन नहीं बचेगी जिन पर लोगों का कब्जा है। Conclusion:मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के इस आदेश पर रोक के साथ-साथ इसे निरस्त करने की मांग की गई है।मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन और पी.पी. साहू की युगल पीठ ने की।
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