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SPECIAL: सिटी बस सेवा पर कोरोना की मार, आर्थिक संकट से जूझ रहे बस कर्मचारी - बस कर्मी बेरोजगार

लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से सिटी बस सेवा पर बुरा असर पड़ा है. कंडक्टर और ड्राइवर समेत कई कर्मचारियों की आर्थिक हालत खराब हो चली है. इन कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

drivers facing financial problem
बस कर्मी परेशान
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Published : Oct 14, 2020, 6:23 AM IST

बिलासपुर: कोरोना काल में ETV भारत ने हर वर्ग और खासकर सभी कामकाजी वर्ग की वर्तमान स्थिति जानने की कोशिश की है. समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी नौकरी इस बीच छूट गई और वो घर बैठे हुए हैं. इस रिपोर्ट के जरिए ETV भारत की टीम ने बिलासपुर के सिटी बस ड्राइवरों की हालात दिखाने की कोशिश की है. जो महीनों से बेरोजगार बैठे हैं. वे इंतजार कर रहे है कि कब दोबारा बस चलेंगी ताकि उनकी जिंदगी भी जल्द पटरी पर लौट आए.

सिटी बस कर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बिलासपुर-रतनपुर मार्ग में कोनी स्थित बस टर्मिनल प्वाइंट पर खड़ी दर्जनों बसें कभी शहर की लाइफ लाइन हुआ करती थी और शहर के कोने-कोने में ये बसें कभी सरपट दौड़ा करती थी. लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि कोरोना की वजह से महीनों से ये बसें यूं ही डिपो में खड़ी हैं और धीरे-धीरे इन बसों की स्थिति अब कंडम होती जा रही है.

देखरेख के अभाव में ये बसें बेहद खराब स्थिति में आ चुकी है. रखे-रखे ना सिर्फ बसों की स्थिति जर्जर होती जा रही है बल्कि इस बीच बस परिचालन से जुड़े उन स्टाफों की स्थिति भी खराब होती चली गई जो बस चलाने या कंडक्टरी के काम से जुड़े थे. फिलहाल, इनकी आर्थिक स्थिति इस कदर चरमरा गई है कि इन्हें रोजी-रोटी के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना काल में किसी से नहीं मिली मदद

बस चालक कार्तिक नामदेव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान नौकरी जाने की वजह से अब वो बिल्कुल खाली हो चुके हैं और रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. बस चालक दीपक वैष्णव ने बताया कि इस बीच उन्होंने तमाम अधिकारियों और नेताओं के घर के चक्कर भी काटे लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. बचत किए हुए रुपये से जैसे-तैसे घर चला है.

पढ़ें-SPECIAL: बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलेंगे लाखों रुपए, जानिए क्या है सुकन्या समृृद्धि योजना

बस कर्मियों को अब तक नहीं मिला भुगतान

जानकारी मिली है कि अब सिटी बस संचालन के लिए कोई कॉन्ट्रेक्टर तैयार नहीं हो रहा है. वो मोटी रकम मांग रहे हैं ताकि जर्जर हो चुकी बसों को फिर से चलाया जा सके. बस चालकों को लॉकडाउन के शुरुआती महीनों में वेतन भुगतान से भी वंचित रखा गया. जिसे लेकर बस कर्मियों ने कलेक्टर,आईजी और जनप्रतिनिधियों के चक्कर भी लगाए लेकिन आज तक उन्हें भुगतान नहीं मिला.

कांट्रेक्टर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं

बिलासपुर की 50 सिटी बसों के अलावा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव समेत प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में कर्नाटक के एक ठेकेदार को सिटी बस संचालन की जिम्मेदारी मिली थी. बीते दिनों ठेकेदार की मौत हो गई और नए सिरे से बस संचालन के लिए ठेका दिया जाना है. लेकिन अभी तक ना तो कोई सरकारी आदेश आया है और ना ही कोई उपयुक्त कांट्रेक्टर जिम्मेदारी लेने को तैयार है.

पढ़ें-SPECIAL: दो डॉक्टर्स और एक वकील के बीच मरवाही का महासमर

आम जनता को भी बसों के शुरू होने का इंतजार

अब तक बस संचालन की जिम्मेदारी बिलासपुर अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसाइटी के जिम्मे थी. नए सिरे से बस संचालन के लिए पहले लाखों रुपये निवेश करने की आवश्यकता होगी, इन कारणों से भी कोई निजी संस्था फिलहाल, बस संचालन को लेकर रुचि नहीं दिखा रही है. बिलासपुर शहर में वर्ष 2017 से सिटी बसों का संचालन शुरू हुआ था. सिटी बसों के संचालन का सबसे ज्यादा फायदा आम लोगों को मिला. जो सस्ते दर पर शहर और आसपास के कस्बाई इलाकों तक सुविधाजनक तरीके से पहुंच जाते थे. ऐसे में आम जनता को अब बसों के जल्द संचालन शुरू होने का इंतजार है.

जनप्रतिनिधियों ने कहा- बात सीएम तक पहुंचाएंगे

ETV भारत ने निगम महापौर और जिम्मेदार अधिकारियों से भी इस मामले में उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. लेकिन वो कुछ भी कहने से बचते नजर आए. इस पर जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह गम्भीर समस्या है और जल्द सरकार कुछ ना कुछ उपाय ढूंढकर जनहित और बस चालकों के हित में फैसला लेगी. यह मामला तभी सुलझ सकता है जब सरकार कोई पहल करे,लिहाजा हम इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर सीएम तक अपनी मांग पहुंचाएंगे.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने सांसद सुनील सोनी का किया घेराव

जिम्मेदारों से अब तक मिला सिर्फ आश्वासन

बहरहाल, कोरोना काल में सिटी बस चालकों की जमीनी स्थिति को ETV भारत ने सभी के सामने लाने की कोशिश की है. बसकर्मी मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. वहीं जनप्रतिनिधियों ने समस्या के जल्द निराकरण की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. लेकिन सवाल यह उठता है कि कोरोना काल में रोजी-रोटी का संकट झेल रहे बस कर्मियों और उनके परिवार की भूख क्या महज आश्वासन के बूते मिट जाएगी और इस बीच भरण पोषण के लिए जिम्मेदार कोई वैकल्पिक राहत क्यों नहीं दे पाए?

बिलासपुर: कोरोना काल में ETV भारत ने हर वर्ग और खासकर सभी कामकाजी वर्ग की वर्तमान स्थिति जानने की कोशिश की है. समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी नौकरी इस बीच छूट गई और वो घर बैठे हुए हैं. इस रिपोर्ट के जरिए ETV भारत की टीम ने बिलासपुर के सिटी बस ड्राइवरों की हालात दिखाने की कोशिश की है. जो महीनों से बेरोजगार बैठे हैं. वे इंतजार कर रहे है कि कब दोबारा बस चलेंगी ताकि उनकी जिंदगी भी जल्द पटरी पर लौट आए.

सिटी बस कर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बिलासपुर-रतनपुर मार्ग में कोनी स्थित बस टर्मिनल प्वाइंट पर खड़ी दर्जनों बसें कभी शहर की लाइफ लाइन हुआ करती थी और शहर के कोने-कोने में ये बसें कभी सरपट दौड़ा करती थी. लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि कोरोना की वजह से महीनों से ये बसें यूं ही डिपो में खड़ी हैं और धीरे-धीरे इन बसों की स्थिति अब कंडम होती जा रही है.

देखरेख के अभाव में ये बसें बेहद खराब स्थिति में आ चुकी है. रखे-रखे ना सिर्फ बसों की स्थिति जर्जर होती जा रही है बल्कि इस बीच बस परिचालन से जुड़े उन स्टाफों की स्थिति भी खराब होती चली गई जो बस चलाने या कंडक्टरी के काम से जुड़े थे. फिलहाल, इनकी आर्थिक स्थिति इस कदर चरमरा गई है कि इन्हें रोजी-रोटी के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना काल में किसी से नहीं मिली मदद

बस चालक कार्तिक नामदेव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान नौकरी जाने की वजह से अब वो बिल्कुल खाली हो चुके हैं और रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. बस चालक दीपक वैष्णव ने बताया कि इस बीच उन्होंने तमाम अधिकारियों और नेताओं के घर के चक्कर भी काटे लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. बचत किए हुए रुपये से जैसे-तैसे घर चला है.

पढ़ें-SPECIAL: बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलेंगे लाखों रुपए, जानिए क्या है सुकन्या समृृद्धि योजना

बस कर्मियों को अब तक नहीं मिला भुगतान

जानकारी मिली है कि अब सिटी बस संचालन के लिए कोई कॉन्ट्रेक्टर तैयार नहीं हो रहा है. वो मोटी रकम मांग रहे हैं ताकि जर्जर हो चुकी बसों को फिर से चलाया जा सके. बस चालकों को लॉकडाउन के शुरुआती महीनों में वेतन भुगतान से भी वंचित रखा गया. जिसे लेकर बस कर्मियों ने कलेक्टर,आईजी और जनप्रतिनिधियों के चक्कर भी लगाए लेकिन आज तक उन्हें भुगतान नहीं मिला.

कांट्रेक्टर जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं

बिलासपुर की 50 सिटी बसों के अलावा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव समेत प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में कर्नाटक के एक ठेकेदार को सिटी बस संचालन की जिम्मेदारी मिली थी. बीते दिनों ठेकेदार की मौत हो गई और नए सिरे से बस संचालन के लिए ठेका दिया जाना है. लेकिन अभी तक ना तो कोई सरकारी आदेश आया है और ना ही कोई उपयुक्त कांट्रेक्टर जिम्मेदारी लेने को तैयार है.

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आम जनता को भी बसों के शुरू होने का इंतजार

अब तक बस संचालन की जिम्मेदारी बिलासपुर अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसाइटी के जिम्मे थी. नए सिरे से बस संचालन के लिए पहले लाखों रुपये निवेश करने की आवश्यकता होगी, इन कारणों से भी कोई निजी संस्था फिलहाल, बस संचालन को लेकर रुचि नहीं दिखा रही है. बिलासपुर शहर में वर्ष 2017 से सिटी बसों का संचालन शुरू हुआ था. सिटी बसों के संचालन का सबसे ज्यादा फायदा आम लोगों को मिला. जो सस्ते दर पर शहर और आसपास के कस्बाई इलाकों तक सुविधाजनक तरीके से पहुंच जाते थे. ऐसे में आम जनता को अब बसों के जल्द संचालन शुरू होने का इंतजार है.

जनप्रतिनिधियों ने कहा- बात सीएम तक पहुंचाएंगे

ETV भारत ने निगम महापौर और जिम्मेदार अधिकारियों से भी इस मामले में उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. लेकिन वो कुछ भी कहने से बचते नजर आए. इस पर जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह गम्भीर समस्या है और जल्द सरकार कुछ ना कुछ उपाय ढूंढकर जनहित और बस चालकों के हित में फैसला लेगी. यह मामला तभी सुलझ सकता है जब सरकार कोई पहल करे,लिहाजा हम इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेकर सीएम तक अपनी मांग पहुंचाएंगे.

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जिम्मेदारों से अब तक मिला सिर्फ आश्वासन

बहरहाल, कोरोना काल में सिटी बस चालकों की जमीनी स्थिति को ETV भारत ने सभी के सामने लाने की कोशिश की है. बसकर्मी मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. वहीं जनप्रतिनिधियों ने समस्या के जल्द निराकरण की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. लेकिन सवाल यह उठता है कि कोरोना काल में रोजी-रोटी का संकट झेल रहे बस कर्मियों और उनके परिवार की भूख क्या महज आश्वासन के बूते मिट जाएगी और इस बीच भरण पोषण के लिए जिम्मेदार कोई वैकल्पिक राहत क्यों नहीं दे पाए?

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