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विश्वासघाती हैं नंदकुमार साय, उनके जाने से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा: धरमलाल कौशिक - विश्वासघाती हैं नंदकुमार साय

बीजेपी के सीनियर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने सोमवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ले ली. साय ने बीजेपी से जाते ही आरोप लगाए कि" पार्टी में उनकी उपेक्षा की गई". इस मामले में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बयान दिया है. नंदकुमार साय को धरमलाल कौशिक ने विश्वासघाती कहा है. उन्होंने कहा है कि" उनके पार्टी से चले जाने पर पार्टी को फर्क नहीं पड़ने वाला". कौशिक ने कहा कि "नंदकुमार साय अपनी बेटी को जीता नहीं पाए थे और उसके बाद भी पार्टी ने उन्हें बड़ी बड़ी जिम्मेदारी और पदों पर आसीन किया था."

Nandkumar Sai traitor in bilaspur
नंदकुमार साय हैं विश्वासघाती
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Published : May 1, 2023, 8:25 PM IST

धरमलाल कौशिक का नंदकुमार साय पर हमला

बिलासपुर : प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता और भाजपा के वरिष्ठ सदस्य नंद कुमार साय ने बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा दिया.इसके बाद विधिवत कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ले ली. इस मामले में उन्होंने आरोप भी लगाया कि बीजेपी ने उनकी उपेक्षा की है. उन्हें लंबे समय से पार्टी उपेक्षित करती आ रही थी, इसीलिए उन्होंने अपना इस्तीफा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को दे दिया. इस मामले ने अब प्रदेश में राजनीतिक तूल पकड़ लिया है. जहां कांग्रेस के नेता नंद कुमार साय के बीजेपी छोड़ने पर बीजेपी को घेर रहे हैं. वहीं इस मामले में बीजेपी के नेता नंदकुमार साय को विश्वासघाती कह रहे हैं.

भाजपा में लोग आते जाते रहते हैं, लेकिन पार्टी को फर्क नही पड़ता : धरमलाल कौशिक ने नंदकुमार साय के इस्तीफा देने के मामले में कहा कि, "नंदकुमार साय ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है. बीजेपी ने उन्हें हर स्थिति में चाहे वो जीते या हारे पूरा सम्मान दिया. लेकिन उनके बीजेपी छोड़ने और कांग्रेस में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लोग आते जाते रहते हैं, पार्टी स्थाई रहती है. कौशिक ने नंद कुमार साय पर तंज कसते हुए कहा कि, नंदकुमार खुद के ग्राम, जनपद और जिला पंचायत में अपनी बेटी को नहीं जीता सके. ये उनकी ताकत रही है. इसके बाद भी बीजेपी ने उनको पूरा सम्मान दिया. कांग्रेस में जाने के बाद स्वर्गीय करुणा शुक्ला की दुर्गति को हमने देखा है.नंद कुमार के साथ भी वही स्थिति वहां होने वाली है. कांग्रेस में जाने के बाद उनका भविष्य क्या है. यह पहले से तय है. कांग्रेस में रहने के लिए अब उन्हें कांग्रेस की भाषा बोलनी पड़ेगी, तभी वह कांग्रेस में रह पाएंगे."

ये भी पढ़ें- नंदकुमार साय कांग्रेस में कैसे शामिल हुए ये सोचने का विषय: अरुण साव

नंदकुमार साय की राह नहीं आसान : नंदकुमार साय भले ही कांग्रेस में चले गए हो.लेकिन हकीकत ये भी है कि उनके लिए आगे की राह आसान नहीं होगी.क्योंकि यदि कांग्रेस उन्हें किसी बड़े पद से नवाजेगी तो कांग्रेस का एक धड़ा इसका विरोध भी कर सकता है.साथ ही साथ उनके खिलाफ बगावती सुर भी तेज हो सकते हैं.

धरमलाल कौशिक का नंदकुमार साय पर हमला

बिलासपुर : प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता और भाजपा के वरिष्ठ सदस्य नंद कुमार साय ने बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा दिया.इसके बाद विधिवत कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ले ली. इस मामले में उन्होंने आरोप भी लगाया कि बीजेपी ने उनकी उपेक्षा की है. उन्हें लंबे समय से पार्टी उपेक्षित करती आ रही थी, इसीलिए उन्होंने अपना इस्तीफा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को दे दिया. इस मामले ने अब प्रदेश में राजनीतिक तूल पकड़ लिया है. जहां कांग्रेस के नेता नंद कुमार साय के बीजेपी छोड़ने पर बीजेपी को घेर रहे हैं. वहीं इस मामले में बीजेपी के नेता नंदकुमार साय को विश्वासघाती कह रहे हैं.

भाजपा में लोग आते जाते रहते हैं, लेकिन पार्टी को फर्क नही पड़ता : धरमलाल कौशिक ने नंदकुमार साय के इस्तीफा देने के मामले में कहा कि, "नंदकुमार साय ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है. बीजेपी ने उन्हें हर स्थिति में चाहे वो जीते या हारे पूरा सम्मान दिया. लेकिन उनके बीजेपी छोड़ने और कांग्रेस में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लोग आते जाते रहते हैं, पार्टी स्थाई रहती है. कौशिक ने नंद कुमार साय पर तंज कसते हुए कहा कि, नंदकुमार खुद के ग्राम, जनपद और जिला पंचायत में अपनी बेटी को नहीं जीता सके. ये उनकी ताकत रही है. इसके बाद भी बीजेपी ने उनको पूरा सम्मान दिया. कांग्रेस में जाने के बाद स्वर्गीय करुणा शुक्ला की दुर्गति को हमने देखा है.नंद कुमार के साथ भी वही स्थिति वहां होने वाली है. कांग्रेस में जाने के बाद उनका भविष्य क्या है. यह पहले से तय है. कांग्रेस में रहने के लिए अब उन्हें कांग्रेस की भाषा बोलनी पड़ेगी, तभी वह कांग्रेस में रह पाएंगे."

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नंदकुमार साय की राह नहीं आसान : नंदकुमार साय भले ही कांग्रेस में चले गए हो.लेकिन हकीकत ये भी है कि उनके लिए आगे की राह आसान नहीं होगी.क्योंकि यदि कांग्रेस उन्हें किसी बड़े पद से नवाजेगी तो कांग्रेस का एक धड़ा इसका विरोध भी कर सकता है.साथ ही साथ उनके खिलाफ बगावती सुर भी तेज हो सकते हैं.

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