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गंगरेल बांध पीड़ितों को 50 साल बाद राहत, 900 परिवारों को मिलेगा मुआवजा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से गंगरेल बांध पीड़ितों को 50 साल बाद राहत मिली है. कोर्ट के फैसले से तकरीबन 900 परिवारों को लाभ मिलेगा. 1972 में धमतरी के गंगरेल जलाशय में डैम बनाने की योजना बनाई गई थी. इस योजना के तहत 55 गांव डूबान क्षेत्र में आए थे. परिवार के लोगों ने याचिका दायर की थी.

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धमतरी के गंगरेल बांध पीड़ितों को 50 साल बाद HC से मिली बड़ी राहत
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Published : Dec 28, 2020, 10:51 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले से लगभग 50 साल से संघर्ष कर रहे गंगरेल डैम के विस्थापितों को न्याय की आस जगी है. हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाया है. राज्य सरकार को प्रभावितों को मुआवजे के साथ ही जमीन देने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने इसके लिए 3 महीने की समय सीमा राज्य सरकार के लिए तय की है.

धमतरी के गंगरेल बांध पीड़ित 900 परिवारों को मिलेगा मुआवजा

पढ़ें: ई-लोक अदालत के जरिए होगी 14 हजार से ज्यादा केस की सुनवाई

1972 में अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार ने सिंचाई परियोजना के लिए धमतरी के गंगरेल जलाशय में डैम बनाने की योजना बनाई थी. डैम के निर्माण के दौरान आसपास के लगभग 55 गांव परियोजना के तहत डूब गए थे. तब राज्य सरकार ने प्रभावित हो रहे ग्रामीणों को मुआवजा देने का भरोसा दिया था.

पढ़ें: बिलासपुर: HC में नेशनल लोक अदालत का आयोजन, 4 हजार से अधिक मामलों का निराकरण

जबलपुर हाईकोर्ट में मुआवजे की मांग को लेकर याचिका

गंगरेल डैम के विस्थापन में प्रभावितों को उस समय 10 रुपये, 20 रुपये और अधिकतम 250 ही मुआवजा दिया गया था. लेकिन ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया गया. 1000 से ज्यादा परिवारों ने जबलपुर हाईकोर्ट में मुआवजा और विस्थापन की मांग को लेकर याचिका दायर की. याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था.

180 सदस्यों को भूमि आवंटन किया गया

लगभग 20 साल कानूनी लड़ाई के दौरान राज्य सरकार ने 180 सदस्यों को भूमि आवंटन किया. बाकी बचे सदस्यों को आवंटन से वंचित रखा. बाकी बचे सदस्यों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में मुआवजा देने की मांग की. 2007 में याचिका दायर कर दी. याचिका की सुनवाई के दौरान लगभग 2 ऑटो भर कर दस्तावेज जमा किए गए थे. मामला पुराना होने की वजह से कई परिवारों को अपनी 3 पीढ़ियों की जानकारी कोर्ट को देना पड़ा.

900 परिवारों को मिलेगा लाभ

बिलासपुर हाईकोर्ट में जनवरी में ही फैसला रिजर्व रखा गया था, जिसे सोमवार को जारी किया गया है. कोर्ट के फैसले से लगभग 900 सदस्यों को लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले से लगभग 50 साल से संघर्ष कर रहे गंगरेल डैम के विस्थापितों को न्याय की आस जगी है. हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाया है. राज्य सरकार को प्रभावितों को मुआवजे के साथ ही जमीन देने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने इसके लिए 3 महीने की समय सीमा राज्य सरकार के लिए तय की है.

धमतरी के गंगरेल बांध पीड़ित 900 परिवारों को मिलेगा मुआवजा

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1972 में अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार ने सिंचाई परियोजना के लिए धमतरी के गंगरेल जलाशय में डैम बनाने की योजना बनाई थी. डैम के निर्माण के दौरान आसपास के लगभग 55 गांव परियोजना के तहत डूब गए थे. तब राज्य सरकार ने प्रभावित हो रहे ग्रामीणों को मुआवजा देने का भरोसा दिया था.

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जबलपुर हाईकोर्ट में मुआवजे की मांग को लेकर याचिका

गंगरेल डैम के विस्थापन में प्रभावितों को उस समय 10 रुपये, 20 रुपये और अधिकतम 250 ही मुआवजा दिया गया था. लेकिन ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया गया. 1000 से ज्यादा परिवारों ने जबलपुर हाईकोर्ट में मुआवजा और विस्थापन की मांग को लेकर याचिका दायर की. याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था.

180 सदस्यों को भूमि आवंटन किया गया

लगभग 20 साल कानूनी लड़ाई के दौरान राज्य सरकार ने 180 सदस्यों को भूमि आवंटन किया. बाकी बचे सदस्यों को आवंटन से वंचित रखा. बाकी बचे सदस्यों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में मुआवजा देने की मांग की. 2007 में याचिका दायर कर दी. याचिका की सुनवाई के दौरान लगभग 2 ऑटो भर कर दस्तावेज जमा किए गए थे. मामला पुराना होने की वजह से कई परिवारों को अपनी 3 पीढ़ियों की जानकारी कोर्ट को देना पड़ा.

900 परिवारों को मिलेगा लाभ

बिलासपुर हाईकोर्ट में जनवरी में ही फैसला रिजर्व रखा गया था, जिसे सोमवार को जारी किया गया है. कोर्ट के फैसले से लगभग 900 सदस्यों को लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है.

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