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सांवली त्वचा के कारण जीवनसाथी को नहीं दे सकते तलाक, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री पर निशाना

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 22, 2023, 8:20 AM IST

Chhattisgarh High Court On Dark Skin छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सांवली त्वचा के कारण पत्नी से तलाक की अर्जी पर सुनवाई के दौरान फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री को भी टारगेट किया. कोर्ट ने कहा त्वचा के रंग के लिए समाज में बदलाव की जरूरत है जिसकी शुरुआत हमारे घर से होनी चाहिए. Bilaspur News

Chhattisgarh High Court on dark skin
सांवली त्वचा पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार को पति पत्नी के तलाक के मामले में सुनवाई करते हुए ना सिर्फ पति को खरी खोटी सुनाई बल्कि फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री पर भी टिप्पणी की.न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की पीठ ने सुनवाई के दौरान ये बातें कही.

क्या है मामला: कोर्ट में एक आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक के लिए अर्जी दी. पति ने ये दावा किया कि उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी और लाख कोशिशों के बावजूद वह वापस घर लौटने से इंकार कर रही थी. इस पर पत्नी का तर्क था कि उसका पति उससे दुर्व्यवहार करता था. उसे गाली देता था और उसके त्वचा के रंग का मजाक उड़ाकर उसे अपशब्द कहता था. पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि गर्भावस्था के दौरान पति ने उसका शारीरिक उत्पीड़न किया. उसकी सांवली त्वचा के कारण वह बार बार किसी दूसरी महिला से शादी करने का ताना देने का भी आरोप लगाया.

पति की तलाक की अर्जी की खारिज: दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी के आरोपों को ज्यादा ठोस पाया और पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को भी सिर्फ त्वचा के रंग के आधार पर विवाहित जीवनसाथी को छोड़ने की आजादी नहीं है.

फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री पर कोर्ट नाराज: कोर्ट ने त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करने के लिए एक सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि सांवले रंग के लोगों को सौंदर्य प्रसाधन उद्योग भी त्वचा को चमकाने वाले उत्पादों के साथ निशाना बनाता है. उन्हें कम आत्मविश्वासी और असुरक्षित दिखाया जाता है जो गलत है. कोर्ट ने इस भेदभाव के लिए सामाजिक बदलाव की जरूरत बताया.

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क्या है मामला: कोर्ट में एक आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक के लिए अर्जी दी. पति ने ये दावा किया कि उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी और लाख कोशिशों के बावजूद वह वापस घर लौटने से इंकार कर रही थी. इस पर पत्नी का तर्क था कि उसका पति उससे दुर्व्यवहार करता था. उसे गाली देता था और उसके त्वचा के रंग का मजाक उड़ाकर उसे अपशब्द कहता था. पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि गर्भावस्था के दौरान पति ने उसका शारीरिक उत्पीड़न किया. उसकी सांवली त्वचा के कारण वह बार बार किसी दूसरी महिला से शादी करने का ताना देने का भी आरोप लगाया.

पति की तलाक की अर्जी की खारिज: दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी के आरोपों को ज्यादा ठोस पाया और पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को भी सिर्फ त्वचा के रंग के आधार पर विवाहित जीवनसाथी को छोड़ने की आजादी नहीं है.

फेयरनेस क्रीम इंडस्ट्री पर कोर्ट नाराज: कोर्ट ने त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करने के लिए एक सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि सांवले रंग के लोगों को सौंदर्य प्रसाधन उद्योग भी त्वचा को चमकाने वाले उत्पादों के साथ निशाना बनाता है. उन्हें कम आत्मविश्वासी और असुरक्षित दिखाया जाता है जो गलत है. कोर्ट ने इस भेदभाव के लिए सामाजिक बदलाव की जरूरत बताया.

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