बिलासपुर: छत्तीसगढ़ राज्य का पहला कैंसर इंस्टीट्यूट एन्ड रिसर्च हॉस्पिटल राज्य सरकार की अनदेखी से उपेक्षित हो रहा है. कैंसर हॉस्पिटल बनाने के लिए केंद्र सरकार को 60 फीसद और राज्य सरकार को 40 फीसद रकम खर्च करना है. लेकिन राज्य सरकार ने अपने हिस्से का फंड रिलीज नहीं किया. जिसकी वजह से अब अस्पताल बनाने के लिए मिले 51 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार वापस लेने की तैयारी कर रही है. 3 माह के भीतर यदि इसका काम शुरू नहीं हुआ तो केंद्र यह राशि उठाकर अरुणाचल प्रदेश को दे देगी.
राज्य का पहला कैंसर इंस्टिट्यूट एन्ड रिसर्च अस्पताल अब तक कागज से धरातल पर नहीं आ सका है. जिसका कारण है कि, अब तक अपने हिस्से के 46 करोड़ में से एक भी रुपया नहीं दिया गया है. ऐसे में केंद्र सरकार अपने 51 करोड़ रुपए वापस लेने की तैयारी कर रही है. केंद्र ने साफ कह दिया है कि 3 माह के अंदर कैंसर अस्पताल का कार्य शुरू नहीं होता है. वो अपने हिस्से के 51 करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ से वापस ले लेगी
कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल के लिए कोनी के मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ठीक बगल में 1.44 एकड़ भूमि पर राज्य कैंसर इंस्टिट्यूट अस्पताल का निर्माण होना है. 115 करोड़ में बनने वाले इस अस्पताल का 60 फीसद केंद्र और 50 फीसद खर्च राज्य वहन करेगा. केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की रकम 51 करोड़ रुपए दे दिए थे. इसके बाद कागजों में तो कैंसर हॉस्पिटल बनने की तैयारी कर ली गई. लेकिन इसे आज तक धरातल पर नहीं लाया गया. अब तक निर्माण शुरू भी नहीं हो सका है. राज्य सरकार ने अब तक अपने हिस्से के रकम 46 करोड़ में से कुछ भी फंड रिलीज नहीं किया है. इस संबंध में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया. लेकिन उसका असर नहीं हुआ.
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आलम यह है कि अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि 3 माह के भीतर अस्पताल का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो केंद्र सरकार अपने हिस्से के 51 करोड़ रुपए वापस ले जाएगी और अरुणाचल प्रदेश को दे देगी. ऐसे में राज्य का पहला कैंसर इंस्टिट्यूट बनने से पहले ही खत्म हो जाएगा. इस मामले में सिम्स के अधिकारी डॉ आरती पांडेय का कहना है कि, वे कई बार राज्य सरकार के अधिकारियों को इससे अवगत करा चुके हैं. उन्हें आश्वासन मिला है कि जल्द ही राज्य सरकार इसमें आगे कदम उठाकर कार्रवाई शुरू करेगी.
मिलेगी ये सुविधा: राज्य कैंसर इंस्टिट्यूट बनने से कैंस, मुंह के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर,यूट्रस समेत सभी प्रकार के कैंसर का इलाज होगा. इसके अलावा विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम कैंसर पर रिसर्च करती रहेगी. कैंसर मरीजों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. वहीं, निजी अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. कम कीमत में कैंसर पीड़ितों का इलाज इस अस्पताल में किया जाएगा.