ETV Bharat / state

बिलासपुर में छठ घाट हुआ तैयार, कल डूबते हुए सूर्य की होगी पूजा

Chhath Ghat ready in Bilaspur बिलासपुर में छठ पूजा को लेकर अरपा नदी के किनारे छठ घाट तैयार कर लिया गया है. रविवार को संध्या अर्घ्य है. वहीं, सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन हो जाएगा. छठ से पहले अरपा नदी के किनारे बने छठ घाट को सजा दिया गया है. साथ ही सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं.Chhath Puja 2023

Chhath Ghat ready in Bilaspur
बिलासपुर में छठ घाट हुआ तैयार
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2023, 8:13 PM IST

बिलासपुर में अरपा नदी के किनारे छठ घाट तैयार

बिलासपुर: पूरे देश में छठ की तैयारी चल रही है. छठ पूजा के लिए घाटों की सफाई से लेकर सजावट तक के काम को निगम की ओर से किया जा रहा है. कई लोग अपनी मर्जी से भी छठ से पहले घाट की सफाई करते हैं. बिलासपुर में भी छठ घाट पूरी तरह से तैयार हो चुका है. सभी घाटों की सफाई हो चुकी है. बिलासपुर नगर निगम ने अरपा नदी के किनारे स्थायी रूप से छठ घाट का निर्माण कराया है. यहां लगभग 70000 से अधिक व्रतियों के पूजा करने की व्यवस्था की गई है.

बिलासपुर में छठ का घाट हुआ तैयार: बिलासपुर के इस छठ घाट को पाटलिपुत्र विकास समिति, जिला प्रशासन और बिलासपुर नगर निगम की ओर से तैयार किया गया है. साफ-सफाई के साथ आकर्षक लाइटिंग और ट्रैफिक व्यवस्था के साथ ही पूजा करने आने वालों को बेहतर व्यवस्था देने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार इस घाट पर व्रतियों की संख्या अधिक होगी. इसे ध्यान में में रखते हुए पाटलिपुत्र विकास समिति ने नदी के किनारे घाट की लाइन पर भी अस्थाई छठ घाट तैयार किया है. छठ व्रतियों के लिए इस घाट की सफाई के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा गया है. अर्घ्य के लिए दूध, फूल की भी व्यवस्था की गई है. साथ ही भीड़ के दौरान कोई अनहोनी न हो इसका भी ध्यान रखा गया है. पाटलिपुत्र संस्कृति विकास समिति की ओर से पूजा के लिए विशेष प्रसाद ठेकुआ, कचवनिया आदि तैयार करवाया जा रहा है.

छठ व्रतियों की संख्या हर साल बढ़ती है. इसे देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की मदद ली जा रही है. सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यातायात व्यवस्था और अप्रिय घटनाओं के अलावा एनडीआरएफ की टीम को तैनात कर दिया गया है. पूजा के दौरान यदि कोई पानी में फिसल कर गिरता है तो उसे बचाने के लिए होमगार्ड के बोर्ड पहले से ही अलर्ट रहेगी.-सदस्य, पाटलिपुत्र विकास संस्कृति समिति

छठ महापर्व का आज दूसरा दिन, दुर्ग में छठव्रती बना रही हैं खरना का प्रसाद
छठ महापर्व की छठा, जानिए क्यों कहते हैं प्रकृति की उपासना का पर्व
बालोद में इस बार वोटरों ने तोड़ा पिछले चुनाव का रिकॉर्ड, छत्तीसगढ़ी थीम पर बने संगवारी मतदान केंद्रों को लोगों ने खूब किया पसंद

प्रकृति की उपासना का पर्व है छठ: छठ महापर्व प्रकृति की उपासना का पर्व है. इस पर्व में पहले डूबते हुए सूर्य की पूजा होती है. फिर उगते हुए सूर्य की पूजा के बाद व्रत का समापन किया जाता है. ये पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है. इस दिन व्रती सुबह उठकर गंगा में स्नान करती हैं. इसके बाद चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद बनाकर व्रती खाकर व्रत की शुरूआत करती है. इसके दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहती हैं. शाम को व्रती चावल और गन्ने के रस का खीर और रोटी बनाकर छठी मईया को अर्पित करती हैं. इसके बाद से व्रती का निर्जल उपवास शुरू हो जाता है. खरना के बाद का दिन संध्या अर्घ्य कहता है. इस दिन व्रती सुबह से ही ठेकुआ, गुजिया, पुआ, पुड़ी और चावल के लड्डू बनाती हैं. इसके बाद मौसमी फलों से बांस के सूप और दउरा को सजाकर छठ घाट जाकर व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद दूसरे दिन सुबह टोकरी और सूप के फलों और ठेकुआ को बदल दिया जाता है. सुबह-सुबह सूर्योंदय से पहले व्रती घाट पहुंच जाती हैं. फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत पूरा करती हैं. घर आकर पारण करने के बाद इस व्रत का समापन होता है.

बिलासपुर में अरपा नदी के किनारे छठ घाट तैयार

बिलासपुर: पूरे देश में छठ की तैयारी चल रही है. छठ पूजा के लिए घाटों की सफाई से लेकर सजावट तक के काम को निगम की ओर से किया जा रहा है. कई लोग अपनी मर्जी से भी छठ से पहले घाट की सफाई करते हैं. बिलासपुर में भी छठ घाट पूरी तरह से तैयार हो चुका है. सभी घाटों की सफाई हो चुकी है. बिलासपुर नगर निगम ने अरपा नदी के किनारे स्थायी रूप से छठ घाट का निर्माण कराया है. यहां लगभग 70000 से अधिक व्रतियों के पूजा करने की व्यवस्था की गई है.

बिलासपुर में छठ का घाट हुआ तैयार: बिलासपुर के इस छठ घाट को पाटलिपुत्र विकास समिति, जिला प्रशासन और बिलासपुर नगर निगम की ओर से तैयार किया गया है. साफ-सफाई के साथ आकर्षक लाइटिंग और ट्रैफिक व्यवस्था के साथ ही पूजा करने आने वालों को बेहतर व्यवस्था देने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार इस घाट पर व्रतियों की संख्या अधिक होगी. इसे ध्यान में में रखते हुए पाटलिपुत्र विकास समिति ने नदी के किनारे घाट की लाइन पर भी अस्थाई छठ घाट तैयार किया है. छठ व्रतियों के लिए इस घाट की सफाई के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा गया है. अर्घ्य के लिए दूध, फूल की भी व्यवस्था की गई है. साथ ही भीड़ के दौरान कोई अनहोनी न हो इसका भी ध्यान रखा गया है. पाटलिपुत्र संस्कृति विकास समिति की ओर से पूजा के लिए विशेष प्रसाद ठेकुआ, कचवनिया आदि तैयार करवाया जा रहा है.

छठ व्रतियों की संख्या हर साल बढ़ती है. इसे देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की मदद ली जा रही है. सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यातायात व्यवस्था और अप्रिय घटनाओं के अलावा एनडीआरएफ की टीम को तैनात कर दिया गया है. पूजा के दौरान यदि कोई पानी में फिसल कर गिरता है तो उसे बचाने के लिए होमगार्ड के बोर्ड पहले से ही अलर्ट रहेगी.-सदस्य, पाटलिपुत्र विकास संस्कृति समिति

छठ महापर्व का आज दूसरा दिन, दुर्ग में छठव्रती बना रही हैं खरना का प्रसाद
छठ महापर्व की छठा, जानिए क्यों कहते हैं प्रकृति की उपासना का पर्व
बालोद में इस बार वोटरों ने तोड़ा पिछले चुनाव का रिकॉर्ड, छत्तीसगढ़ी थीम पर बने संगवारी मतदान केंद्रों को लोगों ने खूब किया पसंद

प्रकृति की उपासना का पर्व है छठ: छठ महापर्व प्रकृति की उपासना का पर्व है. इस पर्व में पहले डूबते हुए सूर्य की पूजा होती है. फिर उगते हुए सूर्य की पूजा के बाद व्रत का समापन किया जाता है. ये पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है. इस दिन व्रती सुबह उठकर गंगा में स्नान करती हैं. इसके बाद चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद बनाकर व्रती खाकर व्रत की शुरूआत करती है. इसके दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहती हैं. शाम को व्रती चावल और गन्ने के रस का खीर और रोटी बनाकर छठी मईया को अर्पित करती हैं. इसके बाद से व्रती का निर्जल उपवास शुरू हो जाता है. खरना के बाद का दिन संध्या अर्घ्य कहता है. इस दिन व्रती सुबह से ही ठेकुआ, गुजिया, पुआ, पुड़ी और चावल के लड्डू बनाती हैं. इसके बाद मौसमी फलों से बांस के सूप और दउरा को सजाकर छठ घाट जाकर व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद दूसरे दिन सुबह टोकरी और सूप के फलों और ठेकुआ को बदल दिया जाता है. सुबह-सुबह सूर्योंदय से पहले व्रती घाट पहुंच जाती हैं. फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत पूरा करती हैं. घर आकर पारण करने के बाद इस व्रत का समापन होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.