बिलासपुर: शक्ति का पर्व चैत्र नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहा गया है. मां के आगमन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. चैत्र नवरात्र के नौ दिनों तक माता की भक्ति में भक्त लीन रहेंगे. फल, फूल, पूजा सामग्री, चुनरी, भोग-प्रसाद और मंदिरों के रंग-रोगन का काम पूरा हो गया है. पहले दिन मनोकामना ज्योति कलश भी प्रज्ज्वलित किए जा रहे हैं. बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर रतनपुर स्थित आदिशक्ति मां महामाया मंदिर में इस बार भक्तों के 22 हजार ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए जा रहे हैं.
महामाया देवी तीन रूपा में भक्तों को देती है दर्शन: रतनपुर में विराजी मां महामाया की महिमा बड़ी निराली है. महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूपों में यहां पर महामाया देवी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. दुर्गा सप्तशती के साथ ही देवी पुराण में महामाया के बारे में जो कुछ लिखा है, ठीक उन्हीं रूपों के दर्शन रतनपुर में विराजी महामाया के रूप में होती है. महामाया मंदिर में शक्ति के तीनों रूप दिखाई देते हैं. तीनो रूपों में समाहित मां के स्वरूप को महामाया देवी की संज्ञा दी गई है.
पहाड़ों की शृंखला में स्थित है मंदिर: रतनपुर धर्मनगरी है. रतनपुर को देवी और आस्था की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. यहां विराजी मां महामाया देवी पहाड़ों की शृंखला में सिद्ध शक्तिपीठ विराजमान है. देवी आस्था का केंद्र रतनपुर मां महामाया मंदिर में तीनों ही देवियों की पूजा होती है. यह दुनिया एक मात्र एक ऐसा मंदिर है, जहां गर्भ गृह के नीचे महामाया यानी धन की देवी लक्ष्मी विराजमान है, वहीं उनके दाहिने तरफ ऊपर की ओर ज्ञान की देवी मां सरस्वती विराजित हैं.
मंदिर में होगा चंडी यज्ञ और जसगीत: रतनपुर महामाया मंदिर के प्रबंधक अरुण शर्मा ने बताया कि "हर साल की तरह इस साल भी ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किया जा रहा है. कोरोना काल के बाद पहली बार मंदिर में चंडी यज्ञ और जसगीत का आयोजन किया जा रहा है. हजारों लोगों के लिए भंडारे का भी आयोजन होगा, जिसमें भक्त देवी का प्रसाद ग्रहण करेंगे. मंदिर ट्रस्ट के साथ ही जिला प्रशासन और राज्य शासन के नियम और गाइडलाइन के अनुसार भक्तों को सुविधा मुहैया कराई जा रही है."