बिलासपुर: धरती का हर जीव अपने जीवन के लिए अनुकूल वातावरण की तलाश करता है. जब यह तलाश पूरी होती है तो वह उस जगह को अपना बसेरा बनाता है. बात परिंदों की हो तो, ये उन्मुक्त परिंदे भी अपने ठिकाने तलाश ही लेते हैं. ऐसा ही एक जगह है बिलासपुर जिले से लगा हुआ कोपरा जलाशय. कोपरा में सालों से प्रवासी पक्षियों का डेरा लगता आ रहा है. इन पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वन विभाग ने पक्षी महोत्सव का आयोजन किया है.
कोपरा जलाशय बिलासपुर जिले के ग्राम सकरी के पास स्थित है. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोपरा जलाशय की खूबसूरती देखते ही बनती है. जलाशय के आस-पास प्रकृति का नजारा अद्भुत है. यहां दूर-दूर से आये रंग-बिरंगे परिंदों का जमघट लगा रहता है. इन पक्षियों को संरक्षित करने के लिए और पक्षियों के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए कोपरा जलाशय में पक्षी महोत्सव का आयोजन किया गया. यहां हमेशा पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है.
पक्षी महोत्सव के समापन में शामिल हुए सीएम बघेल
महोत्सव में बड़ी तादात में पक्षी प्रेमी शामिल हुए. पक्षियों को लेकर लोगों को जागरूक करने वाले वॉलिंटियर्स से भी मिले. इनका कहना है कि वे लगातार इन पक्षियों पर नजर बनाए हुए हैं. इन पक्षियों को संरक्षित करने की जरूरत है. ये पक्षी जो अभी यहां मौजूद हैं. ये हमारे मेहमान की तरह हैं. प्रवासी पक्षी जहां से आये हैं, वहां बर्फबारी का मौसम है. कोपरा जलाशय क्षेत्र में उन्हें जीवन जीने के लिए अनुकूल वातावरण मिल रहा है. ये पक्षी हमारे मेहमान की तरह है. ये बचेंगे तो हमारा इकोसिस्टम भी बचा रहेगा. इसलिए इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है.
साल 1993 में बना था कोपरा जलाशय
कोपरा जलाशय का निर्माण महानदी बेसिन में साल 1993 में किया गया था. इसका उद्देश्य आसपास के कृषि क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाना था. इस जलाशय में कम गहराई का पानी बत्तख प्रजाति और स्टार्क प्रजाति के पक्षियों के लिए अनुकूल माना जाता है. यहां आसपास के घास क्षेत्र में भी विभिन्न प्रकार के पक्षी मौजूद होते हैं. यह क्षेत्र धान,बबूल,इमली,पलाश,अर्जुन,पीपल,बरगद पेड़ों से परिपूर्ण है. इसलिए यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के अलावा स्थानीय पक्षियों के रहवास के लिए भी उपयुक्त माना जाता है.
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सफल रहा पक्षी महोत्सव
जमीन और पानी की उपलब्धता वाला यह क्षेत्र पक्षियों के रहवास के रूप में सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है. यहां अबतक 150 से ज्यादा प्रकार के पक्षियों की गणना हो चुकी है. यह क्षेत्र फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए खासा बेहतर है. डीएफओ ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए यह आश्वासन दिया कि आने वाले सालों में ऐसे आयोजन होते रहेंगे. पक्षी महोत्सव के रूप में पहला आयोजन काफी सफल रहा. वन विभाग आने वाले दिनों में ऐसे स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित भी करेगा जो पक्षी संरक्षण को लेकर इच्छुक होंगे.
इकोसिस्टम के प्रति जागरुकता की जरुरत
पक्षियों को संरक्षित करने का यह प्रयास काबिल-ए-तारीफ है. जरूरत इस बात की है कि हम पक्षियों के प्रति संवेदनशील बनें. इकोसिस्टम के प्रति जागरुक रहें. ताकि ये पक्षी हमारी जिंदगी का हिस्सा बने रहें और इनकी चहचहाहट कभी खत्म ना हो.