बिलासपुर : भारत माता स्कूल के छात्रों ने अनोखा कृषि यंत्र बनाया है. जो किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है. इस यंत्र की मदद से कम मेहनत में किसान ज्यादा फसल का उत्पादन कर सकते हैं . साथ ही साथ फसल को जानवरों से बचाया भी जा सकता है. इस यंत्र की खास बात ये है कि इससे खेत के गंदे पानी को रिसाइकिल भी किया जा सकता है.
किसान यंत्र से इन क्षेत्रों में मिलेगी मदद ?: भारत माता स्कूल के छात्रों के ग्रुप ने अपने यंत्र का नाम किसान यंत्र रखा है. इस यंत्र को पेटेंट कराने के लिए भारत सरकार के पेटेंट मंत्रालय के पास आवेदन भेजने की तैयारी भी शुरु कर दी है. छात्रों ने इस यंत्र को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मोबिलाइज कृषि प्रबंधन यंत्र के रूप में तैयार किया है. इस यंत्र से दवा के छिड़काव में काफी मदद मिलेगी. किसान यंत्र कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है और खेतों में जमने वाले पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ करके फिर से उपयोग के लायक बना देता है. जिससे खेत से बाहर निकलने वाला पानी बेकार नहीं होता और दूसरे कार्यों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
क्या है कृषि यंत्र की खासियत ? किसान यंत्र से खाद का छिड़काव किया जा सकता. यह ऑटोमेटिक तरीके से खाद का छिड़काव करता है. मशीन में एक सेंसर लगा हुआ है.इसके माध्यम से खाद का उतना ही छिड़काव किया जाएगा जितना उस मिट्टी को जरुरत होगी. इस यंत्र में बच्चों सहित मेंटर ने एनिमल ग्रेडिंग सिस्टम से फसल बर्बाद होने से रोकने का तरीका भी डाला है. अक्सर जानवर खेत में घुसकर फसल को बर्बाद कर देते हैं. इसीलिए चारों तरफ फेंसिंग करके उसमें यंत्र के माध्यम से हल्का करंट प्रवाहित किया जाता है. यह करंट जानवरों की जान नहीं लेता, बल्कि उन्हें हल्का सा झटका देता है, जिससे जानवर तार से दूर हो जाते हैं. और खेत के अंदर नहीं आते, जिससे फसल बर्बाद नहीं होती.
मेंटर एंथनी की माने तो उनकी टीम ने रिसर्च करके किसान यंत्र तैयार किया है. यह यंत्र रिमोट से चलता है.ऐसी जगह पर काम कर सकता है. जहां नेटवर्क नहीं मिलता. किसानों को जिससे पानी का नुकसान होता है. फसलों का नुकसान होता है.उन सब माध्यमों को दिमाग में रखते हुए टीम ने सोचा क्यों ना सेंसर को यूज करके ऐसा कुछ बनाएं जिससे नेटवर्क ना रहने पर भी काम लिया जा सके.
कैसे आया यंत्र बनाने का ख्याल ? : भारत माता स्कूल के छात्रों ने किसान यंत्र बनाने से पहले खेतों का दौरा किया.इसके बाद किसानों को होने वाली समस्याओं को जाना.सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद छात्रों की टीम ने काम करना शुरु किया. टीम मेंबर सौभिक करमाकर ने बताया कि अपनी टीम के साथ सबसे पहले यह एनालाइज किया था कि हमारे यहां सबसे ज्यादा प्रगति किस चीज से होती है. जिससे सबसे ज्यादा पैसा आता है वो है किसानी क्षेत्र ,लेकिन उसमें ही घाटा हो रहा था. इसलिए हमने सोचा कि किसानों को किस तरह से मदद पहुंचाई जाए.
ग्लोबल प्रतियोगिता में जीता इनाम : भारत माता स्कूल के टीचर पानू हालदार के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष एमटीएम कम्युनिटी चैलेंज प्रतियोगिता होती है. कई देशों से एंट्री आती है. जिसमें इस बार 6 देश सेलेक्ट हुए थे. इस प्रतियोगिता में हर बार एक अलग विषय दिया जाता है. इस बार का विषय था, जनसामान्य के लिए जलवायु परिवर्तन का सामना कैसे करे. प्रतियोगिता में 6 देश में हमारा किसान यंत्र ग्लोबल स्तर पर चौथा और भारत में पहला स्थान प्राप्त किया है. प्रतियोगिता में ग्रेडिंग के रूप में 5000 यूएस डॉलर का पुरस्कार भी दिया गया है.जिससे यंत्र को और भी ज्यादा डेवलेप किया जाएगा.
किसान यंत्र को पेटेंट करने की तैयारी : पानू हालदार ने बताया कि नीति आयोग ने बच्चों के इस कार्य की सराहना भी की है. भारत सरकार के पेटेंट मंत्रालय में भी इसे पेटेंट कराने के लिए मार्च महीने में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसका एप्लीकेशन पेटेंट मंत्रालय को भेज दिया गया है. जल्द ही किसान यंत्र पेटेंट हो जाएगा.इसके बाद कंपनियों से बात करके मार्केट में कम से कम कीमत पर इसे किसानों तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.