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जमीन आवंटन केस: हाईकोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जिलेवार रिपोर्ट मांगी

भूमि आवंटन केस में बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में बुधवार को सुनवाई हुई. राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ पेश 4 जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जिलेवार रिपोर्ट चार हफ्ते में पेश करने को कहा है.

Bilaspur High Court
बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Jun 16, 2021, 10:28 PM IST

बिलासपुर: राज्य शासन द्वारा सरकारी जमीनों के आवंटन के खिलाफ 4 जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य शासन को पूरे प्रदेश में आवंटित की गई कुल जमीन, कितने लोगों को दी गई, संंबंधित हितग्राहियों की पूरी सूची चार हफ्ते में कोर्ट में पेश करने को कहा है.

सरकारी भूमि आवंटन केस में सरकार से जवाब

याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला ने कहा कि वे चुनौती किसी को नहीं दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ याचिका लगाते हुए कहा था कि प्रदेश में वैसे भी सरकारी जमीन की कमी है. सरकार के इस फैसले से प्रदेश में भू-माफिया और भूमि-उद्योग से संबंधित लोगों को संरक्षण मिलेगा. इसपर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में जिलेवार भूमि से संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

बिना मुआवजा दिए जमीन का अधिग्रहण करना मौलिक अधिकारों का हननः HC

क्या पूरा मामला ?
राज्य शासन ने 11 सितंबर 2019 को एक आदेश जारी कर 7500 वर्ग फुट सरकारी जमीन आवंटन का अधिकार कलेक्टरों को दिया था. इसके तहत कलेक्टर बिना किसी नीलामी के प्राप्त आवेदन पर भूमि आवंटित कर सकते हैं. इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला, मधुसूदन द्विवेदी, मार्कण्डेय एवं अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर शासन के इस आदेश को गलत करार दिया है.

हाईकोर्ट में याचिका में मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारती उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन 2011 में पारित निर्णय का हवाला देते हुए राज्य ने 7500 वर्ग फुट तक की भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने को अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय के अनुसार राज्य शासन के 11 सितंबर 2019 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है.

सरोज पांडे के निर्वाचन को चुनौती का मामला, वकील ने 2 साल बाद गवाही की सूची कोर्ट में प्रस्तुत की

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याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला ने कहा कि वे चुनौती किसी को नहीं दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ याचिका लगाते हुए कहा था कि प्रदेश में वैसे भी सरकारी जमीन की कमी है. सरकार के इस फैसले से प्रदेश में भू-माफिया और भूमि-उद्योग से संबंधित लोगों को संरक्षण मिलेगा. इसपर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में जिलेवार भूमि से संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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राज्य शासन ने 11 सितंबर 2019 को एक आदेश जारी कर 7500 वर्ग फुट सरकारी जमीन आवंटन का अधिकार कलेक्टरों को दिया था. इसके तहत कलेक्टर बिना किसी नीलामी के प्राप्त आवेदन पर भूमि आवंटित कर सकते हैं. इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला, मधुसूदन द्विवेदी, मार्कण्डेय एवं अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर शासन के इस आदेश को गलत करार दिया है.

हाईकोर्ट में याचिका में मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारती उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन 2011 में पारित निर्णय का हवाला देते हुए राज्य ने 7500 वर्ग फुट तक की भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने को अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय के अनुसार राज्य शासन के 11 सितंबर 2019 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है.

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