बिलासपुर: राज्य शासन द्वारा सरकारी जमीनों के आवंटन के खिलाफ 4 जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य शासन को पूरे प्रदेश में आवंटित की गई कुल जमीन, कितने लोगों को दी गई, संंबंधित हितग्राहियों की पूरी सूची चार हफ्ते में कोर्ट में पेश करने को कहा है.
याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला ने कहा कि वे चुनौती किसी को नहीं दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ याचिका लगाते हुए कहा था कि प्रदेश में वैसे भी सरकारी जमीन की कमी है. सरकार के इस फैसले से प्रदेश में भू-माफिया और भूमि-उद्योग से संबंधित लोगों को संरक्षण मिलेगा. इसपर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में जिलेवार भूमि से संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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क्या पूरा मामला ?
राज्य शासन ने 11 सितंबर 2019 को एक आदेश जारी कर 7500 वर्ग फुट सरकारी जमीन आवंटन का अधिकार कलेक्टरों को दिया था. इसके तहत कलेक्टर बिना किसी नीलामी के प्राप्त आवेदन पर भूमि आवंटित कर सकते हैं. इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला, मधुसूदन द्विवेदी, मार्कण्डेय एवं अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर शासन के इस आदेश को गलत करार दिया है.
हाईकोर्ट में याचिका में मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारती उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन 2011 में पारित निर्णय का हवाला देते हुए राज्य ने 7500 वर्ग फुट तक की भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने को अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय के अनुसार राज्य शासन के 11 सितंबर 2019 के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है.
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