बिलासपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले संत कालीचरण की जमानत (bail petition of Sant Kalicharan) याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस याचिका में कहा गया है कि राजद्रोह के मामले में राज्य शासन को केस दर्ज कराना था. लेकिन संत कालीचरण के खिलाफ राजद्रोह का केस एक नागरिक ने दर्ज कराया है. जबकि दर्ज रिपोर्ट में सरकार की परमिशन की जरूरत होती है. लेकिन संत कालीचरण के खिलाफ राजद्रोह के मामले के लिए राज्य शासन से परमिशन नहीं ली गई है.
याचिका में कालीचरण के खिलाफ रिमांड और कार्रवाई को चुनौती दी गई. कोर्ट ने अब इस मामले में राज्य सरकार से केस डायरी मांगी (Chhattisgarh High Court sought case diary) है.
कालीचरण के वकील ने याचिका में कहा कि उसे मध्यप्रदेश के खजुराहो से पकड़ा गया है. उस दौरान छत्तीसगढ़ की पुलिस ने अरेस्ट मेमो भी नहीं बनाया. लोकल पुलिस के साथ ही कोर्ट को भी अवगत नहीं कराया गया है. रिपोर्ट में किन दो समुदायों के बीच लड़ाई कराने की कोशिश हुई. ये स्पष्ट नहीं किया गया है. वकील ने याचिका के जरिए सवाल उठाया कि कालीचरण का वीडियो पहले ही वायरल हो गया था. फिर पूछताछ के लिए कुछ भी नहीं बचा है, तो पुलिस क्यों रिमांड ले रही है. आपको बता दें कि संत कालीचरण को रायपुर की अदालत ने 25 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है.
अभी वह जेल में बंद हैं .रायपुर में 25 और 26 दिसंबर को धर्म संसद का आयोजन किया गया था. इस धर्म संसद में कई साधु संत शामिल हुए थे. इस आयोजन में 26 दिसंबर को महाराष्ट्र के अकोला निवासी कालीचरण महाराज ने भरे मंच से महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द का प्रयोग किया था. साथ ही उन्होंने राष्ट्रपिता की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का भरे मंच से महिमामंडन किया.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने 30 दिसंबर 2021 संत कालीचरण को मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया था. उसके बाद इस मामले में एमपी और छत्तीसगढ़ सरकार में सियासी बयानबाजी का दौर चला. एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई पर एतराज जताया. सीएम भूपेश बघेल ने इस कार्रवाई को जायज ठहराया. फिर कालीचरण को रायपुर पुलिस रायपुर लेकर आई और उसी दिन उसे कोर्ट में पेश किया गया. जहां से कालीचरण को पुलिस रिमांड और फिर बाद में न्यायिक रिमांड पर भेजा गया.