बेमेतरा: परपोड़ी नगर पंचायत 2012 में बेमेतरा जिले में शामिल हुई है. इससे पहले परपोड़ी नगर पंचायत दुर्ग जिले में आती थी. परपोड़ी जिले को सबसे प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता है, जो कभी गोंड वंशी राजाओं की नगरी हुआ करती थी, बाद में यहां जमींदारी प्रथा भी चली. बताते हैं यहां आज भी गोंड वंशी राजा के वंशज रहते हैं. परपोड़ी नगर पंचायत लौह अयस्क के लिए भी जानी जाती है. 1990 में भारत सरकार ने यहां भूमि परीक्षण कराया था, जिसमें इलाके में लौह अस्यक के भंडार होने की बात सामने आई थी.
स्थानीय बताते हैं, परपोड़ी नगर का नामकरण यहां के अंतिम जमींदार लाल राजेंद्र सिंह की बुआ परमेश्वरी देवी के नाम पर रखा गया है. राजनांदगांव रियासत के तहत छत्तीसगढ़ में 33 जमींदारों में से एक जमींदारी का केंद्र परपोड़ी भी रहा है. बताते हैं, यहां कभी कोर्ट कचहरी से संबंधित आम फैसलों की सुनवाई होती थी. जहां आज भी प्राचीन रजवाड़े के क्षेत्र को कचहरी चौक कहते हैं. 1940 के दशक में नगर के पश्चिम मार्ग पर बना राम जानकी मंदिर यहां की स्थानीय संस्कृति, सभ्यता और परंपरा को दर्शाता है.
- परपोड़ी नगर पंचायत के रूप में 28 मई 2003 को अस्तित्व में आई.
- परपोड़ी नगर साजा विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है.
- यहां शुरू से कांग्रेस का दबदबा रहा है.
- परपोड़ी को नगर पंचायत बनने के बाद कांग्रेस के दिलीप जैन यहां से पहले अध्यक्ष चुने गए.
- वर्तमान में भी दिलीप जैन ही यहां से अध्यक्ष हैं. हालांकि 2008 में बीजेपी के सीताराम निषाद अध्यक्ष बने थे.
- नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं.
- जिसमें कुल 2954 मतदाता हैं. इसमें 1427 महिला और 1527 पुरुष मतदाताओं की संख्या है.
नगर में ज्यादातर किसान रहते हैं. नगर जितना ऐतिहासिक है, यहां की समस्यायें उतनी ही पुरानी हैं. शहर में साफ-सफाई का अभाव है. शहर की ज्यादातर गलियां संकरी है, जिसके कारण साफ-सफाई में परेशान होती है. शहर में नाले नहीं या जर्जर होने के कारण पानी निकासी की समस्या बनी रहती है. शहर में एकमात्र खेल मैदान जो अस्त-व्यस्त है.