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नगर सरकार: राजाओं की नगरी में बिजली, पानी और सड़क के लिए तरस रहे हैं लोग - नगर सरकार

परपोड़ी नगर जितना ऐतिहासिक है, यहां की समस्याएं उतनी ही पुरानी हैं. शहर में साफ-सफाई का अभाव है. शहर की ज्यादातर गलियां संकरी हैं, जिसके कारण साफ-सफाई में परेशान होती है. शहर में नाले नहीं या जर्जर होने के कारण पानी निकासी की समस्या बनी रहती है.

parpodi nagar panchayat
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Published : Oct 11, 2019, 11:46 PM IST

बेमेतरा: परपोड़ी नगर पंचायत 2012 में बेमेतरा जिले में शामिल हुई है. इससे पहले परपोड़ी नगर पंचायत दुर्ग जिले में आती थी. परपोड़ी जिले को सबसे प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता है, जो कभी गोंड वंशी राजाओं की नगरी हुआ करती थी, बाद में यहां जमींदारी प्रथा भी चली. बताते हैं यहां आज भी गोंड वंशी राजा के वंशज रहते हैं. परपोड़ी नगर पंचायत लौह अयस्क के लिए भी जानी जाती है. 1990 में भारत सरकार ने यहां भूमि परीक्षण कराया था, जिसमें इलाके में लौह अस्यक के भंडार होने की बात सामने आई थी.

राजाओं की नगरी में बिजली, पानी और सड़क के लिए तरस रहे हैं लोग

स्थानीय बताते हैं, परपोड़ी नगर का नामकरण यहां के अंतिम जमींदार लाल राजेंद्र सिंह की बुआ परमेश्वरी देवी के नाम पर रखा गया है. राजनांदगांव रियासत के तहत छत्तीसगढ़ में 33 जमींदारों में से एक जमींदारी का केंद्र परपोड़ी भी रहा है. बताते हैं, यहां कभी कोर्ट कचहरी से संबंधित आम फैसलों की सुनवाई होती थी. जहां आज भी प्राचीन रजवाड़े के क्षेत्र को कचहरी चौक कहते हैं. 1940 के दशक में नगर के पश्चिम मार्ग पर बना राम जानकी मंदिर यहां की स्थानीय संस्कृति, सभ्यता और परंपरा को दर्शाता है.

  • परपोड़ी नगर पंचायत के रूप में 28 मई 2003 को अस्तित्व में आई.
  • परपोड़ी नगर साजा विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है.
  • यहां शुरू से कांग्रेस का दबदबा रहा है.
  • परपोड़ी को नगर पंचायत बनने के बाद कांग्रेस के दिलीप जैन यहां से पहले अध्यक्ष चुने गए.
  • वर्तमान में भी दिलीप जैन ही यहां से अध्यक्ष हैं. हालांकि 2008 में बीजेपी के सीताराम निषाद अध्यक्ष बने थे.
  • नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं.
  • जिसमें कुल 2954 मतदाता हैं. इसमें 1427 महिला और 1527 पुरुष मतदाताओं की संख्या है.

नगर में ज्यादातर किसान रहते हैं. नगर जितना ऐतिहासिक है, यहां की समस्यायें उतनी ही पुरानी हैं. शहर में साफ-सफाई का अभाव है. शहर की ज्यादातर गलियां संकरी है, जिसके कारण साफ-सफाई में परेशान होती है. शहर में नाले नहीं या जर्जर होने के कारण पानी निकासी की समस्या बनी रहती है. शहर में एकमात्र खेल मैदान जो अस्त-व्यस्त है.

बेमेतरा: परपोड़ी नगर पंचायत 2012 में बेमेतरा जिले में शामिल हुई है. इससे पहले परपोड़ी नगर पंचायत दुर्ग जिले में आती थी. परपोड़ी जिले को सबसे प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता है, जो कभी गोंड वंशी राजाओं की नगरी हुआ करती थी, बाद में यहां जमींदारी प्रथा भी चली. बताते हैं यहां आज भी गोंड वंशी राजा के वंशज रहते हैं. परपोड़ी नगर पंचायत लौह अयस्क के लिए भी जानी जाती है. 1990 में भारत सरकार ने यहां भूमि परीक्षण कराया था, जिसमें इलाके में लौह अस्यक के भंडार होने की बात सामने आई थी.

राजाओं की नगरी में बिजली, पानी और सड़क के लिए तरस रहे हैं लोग

स्थानीय बताते हैं, परपोड़ी नगर का नामकरण यहां के अंतिम जमींदार लाल राजेंद्र सिंह की बुआ परमेश्वरी देवी के नाम पर रखा गया है. राजनांदगांव रियासत के तहत छत्तीसगढ़ में 33 जमींदारों में से एक जमींदारी का केंद्र परपोड़ी भी रहा है. बताते हैं, यहां कभी कोर्ट कचहरी से संबंधित आम फैसलों की सुनवाई होती थी. जहां आज भी प्राचीन रजवाड़े के क्षेत्र को कचहरी चौक कहते हैं. 1940 के दशक में नगर के पश्चिम मार्ग पर बना राम जानकी मंदिर यहां की स्थानीय संस्कृति, सभ्यता और परंपरा को दर्शाता है.

  • परपोड़ी नगर पंचायत के रूप में 28 मई 2003 को अस्तित्व में आई.
  • परपोड़ी नगर साजा विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है.
  • यहां शुरू से कांग्रेस का दबदबा रहा है.
  • परपोड़ी को नगर पंचायत बनने के बाद कांग्रेस के दिलीप जैन यहां से पहले अध्यक्ष चुने गए.
  • वर्तमान में भी दिलीप जैन ही यहां से अध्यक्ष हैं. हालांकि 2008 में बीजेपी के सीताराम निषाद अध्यक्ष बने थे.
  • नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं.
  • जिसमें कुल 2954 मतदाता हैं. इसमें 1427 महिला और 1527 पुरुष मतदाताओं की संख्या है.

नगर में ज्यादातर किसान रहते हैं. नगर जितना ऐतिहासिक है, यहां की समस्यायें उतनी ही पुरानी हैं. शहर में साफ-सफाई का अभाव है. शहर की ज्यादातर गलियां संकरी है, जिसके कारण साफ-सफाई में परेशान होती है. शहर में नाले नहीं या जर्जर होने के कारण पानी निकासी की समस्या बनी रहती है. शहर में एकमात्र खेल मैदान जो अस्त-व्यस्त है.

Intro:एंकर-जिके का नगर पंचायत परपोड़ी 2012 में जिले में शामिल हुए यह पहले दुर्ग जिले में आता था परपोड़ी नगर राजनांदगांव जिले की सीमा पर है । परपोड़ी प्राचीन नगर है जो गोड वंशी राजाओ की नगरी थी जो बाद जमींदार भी कहलाये आज भी राजा के वंशज यहाँ रहते है जीर्ण किला प्राचीन मंदिर प्राचीन कुवा इसके प्रमाण है। 1990 में यहां भारत सरकार द्वारा भूमि परीक्षण किया गया था जिसमे लौह अस्यक के भंडार बताये गए है ।
Body:प्राचीन किवंदती के अनुसार परपोड़ी नगर का नामकरण अंतिम जमीदार लाल राजेंद्र सिंह की बुआ परमेश्वरी देवी के नाम पर हुआ है राजनांदगांव विरासत के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में 33 जमीदारी में से एक जमीदारी केंद्र राजा परपोड़ी रहा है तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्थाओं के अनुसार यहां कभी कोर्ट कचहरी से संबंधित आम फैसलों की सुनवाई की जाती थी जहां आज भी प्राचीन रजवाड़े के क्षेत्र को कचहरी चौक कहते हैं 1940 के दशक में निर्मित नगर में पश्चिम मार्ग में राम जानकी मंदिर का वैभव संपूर्ण अंचल को अपने प्राकृतिक अवस्थाओं में समेटता है। इस नगर में आने वाला हर शख्स राजवाड़ा मंदिर के अवश्य दर्शन करता है यहां शिव एवम राम जानकी विराजमान है।Conclusion: परपोड़ी नगर पंचायत के रूप में 28 मई 2003 को अस्त्तिव में आया परपोड़ी साजा विधानसभा के अंतर्गत आता है लिहाजा यहाँ काँग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है परपोड़ी नगर पंचायत में कांग्रेस के दिलीप जैन पहले अध्यक्ष बने और वर्तमान में वे ही अध्यक्ष है 2008 में हुए चुनाव में भाजपा के सीताराम निषाद अध्यक्ष बने । 15 वार्ड वाले परपोड़ी में कुल 2954 मतदाता है जिसमे 1427 महिला 1527 पुरुष है।
नगर में मुलतः कृषक वर्ग ज्यादा है नगर में संकरी गली है चारो ओर गंदगी का आलम है साफ सफाई का अभाव है संकरी गली है जिसका अब तक उद्धार नही हो पाया है बच्चो के लिए एकमात्र खेल मैदान अस्त व्यस्त है।
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