बेमेतरा: 'हरिहर छत्तीसगढ़' की अपार सफलता के बाद नरवा प्रोजेक्ट लांच किया गया है. माना जा रहा इससे गांव की तस्वीर बदलेगी. बेमेतरा जिला बनने के बाद जिले में हुए पौधरोपण कि यदि जांच हो तो बेजुबान पत्थर भी बोलना शुरू कर देंगे. आलम यह है कि लाखों रुपए बर्बाद करने के बाद भी बेमेतरा को हरियर बानने की संकल्पना पूरी नहीं हो पाई है और नर्सरी बनाकर रोपे गए पौधे बदहाली के आंसू रो रहे हैं. ग्राम धनगांव में साल 2017-18 में 8 लाख की लागत से बनी नर्सरी में 1 पौधे भी पेड़ नहीं बन पाए हैं. वहीं एक बार फिर गांव में पौधरोपण के लिए 5 लाख 85 हजार रुपये जारी किये गए हैं.
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ग्राम धनगांव में मनरेगा के घोटाले को संरक्षित करके विभाग नए कारनामें सार्वजनिक कर रहा है. इस पंचायत से तालाब, सड़क, शौचालय के बाद पौधरोपण का कारनामा सामने आया है. धनगांव से चमारी मार्ग पर झाझा नाले में के पास साल 2017-18 में 8 लाख की कुल लागत से 1,250 पौधे रोपे गए. जिसमें 5 लाख 99 हजार हजार रुपये की मजदूरी भुगतान, 1 लाख 89 हजार की सामग्री व्यय से पौधे झाझा नाले के निकट रोपे गए थे.
नई नर्सरी बनाने की तैयारी
आंवला, चीकू, नीलगिरी, नीम सहित विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाए गए. 1,250 में कितने पौधे जीवित हैं, इस बात की विभाग को भी खबर नहीं है. इस नर्सरी में केवल खंभे और तार ही बाकी हैं. 8 लाख स्वाहा करने के बाद अब हाफ नदी और टेढ़ी नाला प्रोजेक्ट के बीच नरुवा गरुवा घुरवा बारी के तहत 5 लाख 85 हजार की लागत से पौधे रोपने के लिए गड्ढे किए जा रहे हैं.
20 वर्ष में हरियाली लाने के लिए हुए करोड़ों खर्च
मनरेगा, पंचायत हरेली योजना, हरियर योजना, वन विभाग की योजना न जाने कितने योजना चले और भ्रष्टाचार ने एक भी पौधे को पेड़ नहीं बनने दिया. उद्यानिकी विभाग के करोड़ों रुपए खप गए वन विभाग तालाबंदी की ओर चला गया, लेकिन 20 साल में जिला हरिहर नहीं हो सका.