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बेमेतरा: बदहाली पर आंसू बहा रही 'हाईटेक नर्सरी', कोई नहीं सुध लेने वाला

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Published : Jun 16, 2020, 1:53 AM IST

Updated : Jun 16, 2020, 6:53 AM IST

बेमेतरा के धनगांव में 68 लाख रुपए की लागत से हाईटेक नर्सरी बनाई गई थी, लेकिन नर्सरी इन दिनों बदहाली की आंसू बहा रही है. वन विबाग के मिताबिक नर्सरी को सरकारी फंड नहीं मिलने के कारण कबाड़ में तब्दील हो गई है. साथ ही विभागीय देख-रेख के अभाव में पूरी तरीके से बंजर में बदल चुकी है.

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धनगांव में बनी 'हाईटेक नर्सरी' बदहाल

बेमेतरा: जिले में 68 लाख रुपए की लागत से बनाई गई हाईटेक नर्सरी बदहाली की आंसू बहा रही है. नर्सरी पूरी तरीके से बंजर में तब्दील हो चुकी है. यह नर्सरी पडकीडीह और धनगांव के बीचो-बीच 10 एकड़ में फैली है, जो सरकारी फंड के अभाव में बर्बाद हो गई है. नर्सरी से आज तक न वन विभाग को फायदा हुआ और न ही इलाके के लोगों को कोई रोजगार मिला है, जिससे ग्रामीणों में भी खासी नाराजगी है.

'हाईटेक नर्सरी' बदहाल

दरअसल, वन विभाग ने 2013 में राज्य कैम्पा योजना के तहत धनगांव में 10 एकड़ के प्लाट में हाईटेक नर्सरी बनाई थी, जिससे लोगों को नर्सरी से लाभ हो, लेकिन नर्सरी बंजर में तब्दील हो चुकी है. नर्सरी में किस्म-किस्म के पेड़ पौधे रोपने थे, लेकिन सरकारी फंड नहीं मिलने के कारण नर्सरी में न पौधे लगाए गए और न ही देखभाल की गई. आलम यह है कि नर्सरी का दरवाजा तक रस्सी से बंधी हुआ है, जहां कोई भी कभी आ सकता है. नर्सरी में चौकीदार तक नहीं है, जिससे ग्रीन हाउस शेड भी सूना पड़ा है.

Hitech nursery of 68 lakhs turned into junk
सूना पड़ा ग्रीन हाउस शेड

बेमेतरा: कलेक्टर ने ली आपदा प्रबंधन के लिए बैठक, अधिकारियों ने शिवनाथ नदी में की मॉक ड्रिल

नर्सरी से ग्रामीणों को नहीं हुआ फायदा
ग्रामीणों का कहना है हाईटेक नर्सरी से आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ, न ही ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिल पाए हैं. नर्सरी में गांव के जो मजदूर काम करने आते थे, उन्हें वर्षों से मजदूरी नहीं मिली है, जिससे वह परेशान होकर काम छोड़ दिए हैं. वहीं बालोद जिले से आने वाले मजदूर पलायन कर गए हैं, जो मेहनताना नहीं मिलने से काम पर नहीं आ रहे हैं. वहीं वन विभाग के अधिकारी भी नर्सरी को तैयार करने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Hitech nursery of 68 lakhs turned into junk
बदहाली पर आंसू बहा रही 'हाईटेक नर्सरी'

मंत्री अनिला भेड़िया ने ली बैठक, विभागीय योजनाओं और कोरोना रोकथान पर विस्तार से चर्चा

पानी सिंचाई के अभाव में सूखे हजारों पेड़
मजदूरों के काम छोड़ने के बाद पानी के अभाव में नर्सरी में 'साल' और 'सागवन' सहित कई अन्य हजारों पेड़ सूख कर मर गए हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. एक बार आगजनी हो जाने के कारण भी कई पेड़ नष्ट हो गए थे, लेकिन नर्सरी में दोबारा किसी ने पौधा नहीं लगाया.

Hitech nursery of 68 lakhs turned into junk
रस्सी से बांधा नर्सरी का दरवाजा

कलेक्टर डीएफओ से लेंगे नर्सरी की जानकारी

बता दें कि वन विभाग अगर नर्सरी को अच्छे से विकसित करें, तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही नर्सरी से वन विभाग को लाखों की आमदनी भी होगी, लेकिन वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं मामले में कलेक्टर शिव अनंत तायल का कहना है वन विभाग के डीएफओ से चर्चा कर नर्सरी के बारे में जानकारी ली जाएगी.

बेमेतरा: जिले में 68 लाख रुपए की लागत से बनाई गई हाईटेक नर्सरी बदहाली की आंसू बहा रही है. नर्सरी पूरी तरीके से बंजर में तब्दील हो चुकी है. यह नर्सरी पडकीडीह और धनगांव के बीचो-बीच 10 एकड़ में फैली है, जो सरकारी फंड के अभाव में बर्बाद हो गई है. नर्सरी से आज तक न वन विभाग को फायदा हुआ और न ही इलाके के लोगों को कोई रोजगार मिला है, जिससे ग्रामीणों में भी खासी नाराजगी है.

'हाईटेक नर्सरी' बदहाल

दरअसल, वन विभाग ने 2013 में राज्य कैम्पा योजना के तहत धनगांव में 10 एकड़ के प्लाट में हाईटेक नर्सरी बनाई थी, जिससे लोगों को नर्सरी से लाभ हो, लेकिन नर्सरी बंजर में तब्दील हो चुकी है. नर्सरी में किस्म-किस्म के पेड़ पौधे रोपने थे, लेकिन सरकारी फंड नहीं मिलने के कारण नर्सरी में न पौधे लगाए गए और न ही देखभाल की गई. आलम यह है कि नर्सरी का दरवाजा तक रस्सी से बंधी हुआ है, जहां कोई भी कभी आ सकता है. नर्सरी में चौकीदार तक नहीं है, जिससे ग्रीन हाउस शेड भी सूना पड़ा है.

Hitech nursery of 68 lakhs turned into junk
सूना पड़ा ग्रीन हाउस शेड

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नर्सरी से ग्रामीणों को नहीं हुआ फायदा
ग्रामीणों का कहना है हाईटेक नर्सरी से आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ, न ही ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिल पाए हैं. नर्सरी में गांव के जो मजदूर काम करने आते थे, उन्हें वर्षों से मजदूरी नहीं मिली है, जिससे वह परेशान होकर काम छोड़ दिए हैं. वहीं बालोद जिले से आने वाले मजदूर पलायन कर गए हैं, जो मेहनताना नहीं मिलने से काम पर नहीं आ रहे हैं. वहीं वन विभाग के अधिकारी भी नर्सरी को तैयार करने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.

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मंत्री अनिला भेड़िया ने ली बैठक, विभागीय योजनाओं और कोरोना रोकथान पर विस्तार से चर्चा

पानी सिंचाई के अभाव में सूखे हजारों पेड़
मजदूरों के काम छोड़ने के बाद पानी के अभाव में नर्सरी में 'साल' और 'सागवन' सहित कई अन्य हजारों पेड़ सूख कर मर गए हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. एक बार आगजनी हो जाने के कारण भी कई पेड़ नष्ट हो गए थे, लेकिन नर्सरी में दोबारा किसी ने पौधा नहीं लगाया.

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रस्सी से बांधा नर्सरी का दरवाजा

कलेक्टर डीएफओ से लेंगे नर्सरी की जानकारी

बता दें कि वन विभाग अगर नर्सरी को अच्छे से विकसित करें, तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही नर्सरी से वन विभाग को लाखों की आमदनी भी होगी, लेकिन वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं मामले में कलेक्टर शिव अनंत तायल का कहना है वन विभाग के डीएफओ से चर्चा कर नर्सरी के बारे में जानकारी ली जाएगी.

Last Updated : Jun 16, 2020, 6:53 AM IST
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