बेमेतराः जिले में बहने वाली जीवनदायिनी हाफ नदी के तट के दोनों को ओर गन्ने की खेती की जा रही है और राहगीर इन दिनों सोंधी खुशबू से ठिठकने को मजबूर हो रहे हैं. हरियाणा के किसान जिले में पिछले 15 साल से बड़े तदात में गन्ने की खेती करते आ रहे हैं. वहीं अब छत्तीसगढ़ के किसान भी गन्ने की खेती में रुचि लेने लगे हैं.
छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी अपने खेतों में गुड़ की फैक्ट्रियां डालना शुरू कर दिया है और उत्तरप्रदेश के एक्सपर्ट की मदद से गुड़ बनवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ गन्ने के उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण वाला प्रदेश माना जाता है. जिले में हरियाणा और छतीसगढ़ के किसान 3 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती कर रहे है.
प्रति एकड़ फसल से 30 से 40 क्विंटल बना रहे गुड़
किसान अपने फॉर्म हाउस में खुद के कोल्हू लगाकर गुड़ बनवा रहे हैं. जिसमें छोटे पीस और बाल्टी की साइज के गुड़ बनाए जाते हैं. जो बेमेतरा मंडी में थोक में 28 से 30 किलो बिक रहा है और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. प्रति एकड़ 30 से 40 किलो गुड़ बन जाता है. किसानों ने बताया कि खर्च रख-रखाव के बाद बचत भी हो जाती है, जो धान और सोयाबीन के मुकाबले कहीं बेहतर है.
छतीसगढ़ के किसान भी ले रहे रुचि
धान और सोयाबीन में लगातार हो रही हानि और हरियाणा के किसानों की सफलता को देखते हुए छत्तीसगढ़ के किसान भी गन्ना उत्पादन में रुचि लेने लगे हैं. किसान अब अपने खेतों में ही कुल्लू लगाने लगे है और उत्तर प्रदेश से कारीगर बुलवाकर गुड़ बनवा रहें है. इससे कारीगरों को भी स्थायी रोजगार मिल रहा है.