बेमेतरा: मौसम में लगातार हो रहे बदलाव की वजह से धान और सोयाबीन की फसलों में फफूंद जनित बीमारी और कीट प्रकोप ने अपना डेरा डाल लिया है. जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं. लगातार हो रहे मौसम में बदलाव से कृषि रासायनिक दवाओं का फसलों पर असर होता नजर नहीं आ रहा है. जिससे किसानों को दोबारा मेहनत करनी पड़ रही है.
प्रदेश में अपनी उन्हारी उत्पादन के लिए पहचान रखने वाला बेमेतरा जिले में किसानों की चना फसल बेमौसम पानी से बर्बाद हो गई थी. अब सोयाबीन की फसल भी पूरी तरह से तबाह हो गई है. फसलों में लगने वाले कीट के लिए किसान फफूंदनाशक और कीटनाशक दवाओं का लगातार छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन मौसम में हो रहे लगातार बदलाव से इन दवाओं का फसलों पर किसी भी तरह का असर होता दिखाई नहीं दे रहा है. जिससे किसानों को दोबारा दवाईयों का छिड़काव करना पड़ रहा है.
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उत्पादन पर पड़ेगा असर
जिले में रुक-रुक कर हो रही बारिश और मौसम बदलने से फसलों में कीट और बीमारियों का का खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण फसल बर्बाद हो रही है. अभी धान गर्भावस्था में है. जिसमें माहू (रसचुसक किट) का प्रकोप है. जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा. जिले में हुई अच्छी बारिश वरदान की जगह अभिशाप बनते नजर आ रही है.
लॉकडाउन में 6 से 11 खुलेंगी कृषि केंद्र की दुकान
फसलों में बीमारी और कीटों के खतरे को देखते हुए बेमेतरा कलेक्टर शिव अनंत तायल ने कृषि विभाग के सुझाव के बाद लॉकडाउन की अवधि में कृषि केंद्रों के संचालन का समय तय कर दिया है. कलेक्टर के आदेश के बाद अब सुबह 6 से 11 बजे तक किसानों को कृषि दवाई मिल सकेगी. साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ एकता ताम्रकर ने किसानो को हर 15 दिनों में फफूंदनाशक दवाओ का छिड़काव करने की सलाह दी है.