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धान की फसलों पर माहू कीड़े का प्रकोप, मौसम बदलने से दवाईयां भी बेअसर

मौसम में बदलाव होने के कारण किसानों की मेहनत बर्बाद हो रही है. फसलों पर कीटों का खतरा मंडरा रहा है. इसके लिए किसानों की ओर से किए जा रहे उपाए भी फेल साबित हो रहे हैं.

Crop are being destroyed due to changing weather
धान की फसलों में माहू का प्रकोप
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Published : Sep 28, 2020, 4:18 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 4:27 PM IST

बेमेतरा: मौसम में लगातार हो रहे बदलाव की वजह से धान और सोयाबीन की फसलों में फफूंद जनित बीमारी और कीट प्रकोप ने अपना डेरा डाल लिया है. जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं. लगातार हो रहे मौसम में बदलाव से कृषि रासायनिक दवाओं का फसलों पर असर होता नजर नहीं आ रहा है. जिससे किसानों को दोबारा मेहनत करनी पड़ रही है.

धान की फसलों में माहू का प्रकोप

प्रदेश में अपनी उन्हारी उत्पादन के लिए पहचान रखने वाला बेमेतरा जिले में किसानों की चना फसल बेमौसम पानी से बर्बाद हो गई थी. अब सोयाबीन की फसल भी पूरी तरह से तबाह हो गई है. फसलों में लगने वाले कीट के लिए किसान फफूंदनाशक और कीटनाशक दवाओं का लगातार छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन मौसम में हो रहे लगातार बदलाव से इन दवाओं का फसलों पर किसी भी तरह का असर होता दिखाई नहीं दे रहा है. जिससे किसानों को दोबारा दवाईयों का छिड़काव करना पड़ रहा है.

लॉकडाउन इफेक्ट्स: खेतों में बर्बाद हो रही फसल, सरकार से मदद की गुहार

उत्पादन पर पड़ेगा असर

जिले में रुक-रुक कर हो रही बारिश और मौसम बदलने से फसलों में कीट और बीमारियों का का खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण फसल बर्बाद हो रही है. अभी धान गर्भावस्था में है. जिसमें माहू (रसचुसक किट) का प्रकोप है. जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा. जिले में हुई अच्छी बारिश वरदान की जगह अभिशाप बनते नजर आ रही है.

लॉकडाउन में 6 से 11 खुलेंगी कृषि केंद्र की दुकान

फसलों में बीमारी और कीटों के खतरे को देखते हुए बेमेतरा कलेक्टर शिव अनंत तायल ने कृषि विभाग के सुझाव के बाद लॉकडाउन की अवधि में कृषि केंद्रों के संचालन का समय तय कर दिया है. कलेक्टर के आदेश के बाद अब सुबह 6 से 11 बजे तक किसानों को कृषि दवाई मिल सकेगी. साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ एकता ताम्रकर ने किसानो को हर 15 दिनों में फफूंदनाशक दवाओ का छिड़काव करने की सलाह दी है.

बेमेतरा: मौसम में लगातार हो रहे बदलाव की वजह से धान और सोयाबीन की फसलों में फफूंद जनित बीमारी और कीट प्रकोप ने अपना डेरा डाल लिया है. जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं. लगातार हो रहे मौसम में बदलाव से कृषि रासायनिक दवाओं का फसलों पर असर होता नजर नहीं आ रहा है. जिससे किसानों को दोबारा मेहनत करनी पड़ रही है.

धान की फसलों में माहू का प्रकोप

प्रदेश में अपनी उन्हारी उत्पादन के लिए पहचान रखने वाला बेमेतरा जिले में किसानों की चना फसल बेमौसम पानी से बर्बाद हो गई थी. अब सोयाबीन की फसल भी पूरी तरह से तबाह हो गई है. फसलों में लगने वाले कीट के लिए किसान फफूंदनाशक और कीटनाशक दवाओं का लगातार छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन मौसम में हो रहे लगातार बदलाव से इन दवाओं का फसलों पर किसी भी तरह का असर होता दिखाई नहीं दे रहा है. जिससे किसानों को दोबारा दवाईयों का छिड़काव करना पड़ रहा है.

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उत्पादन पर पड़ेगा असर

जिले में रुक-रुक कर हो रही बारिश और मौसम बदलने से फसलों में कीट और बीमारियों का का खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण फसल बर्बाद हो रही है. अभी धान गर्भावस्था में है. जिसमें माहू (रसचुसक किट) का प्रकोप है. जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा. जिले में हुई अच्छी बारिश वरदान की जगह अभिशाप बनते नजर आ रही है.

लॉकडाउन में 6 से 11 खुलेंगी कृषि केंद्र की दुकान

फसलों में बीमारी और कीटों के खतरे को देखते हुए बेमेतरा कलेक्टर शिव अनंत तायल ने कृषि विभाग के सुझाव के बाद लॉकडाउन की अवधि में कृषि केंद्रों के संचालन का समय तय कर दिया है. कलेक्टर के आदेश के बाद अब सुबह 6 से 11 बजे तक किसानों को कृषि दवाई मिल सकेगी. साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ एकता ताम्रकर ने किसानो को हर 15 दिनों में फफूंदनाशक दवाओ का छिड़काव करने की सलाह दी है.

Last Updated : Sep 28, 2020, 4:27 PM IST
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