जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को अब कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में प्रदेश की राजनीति में अब आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा इन दिनों बस्तर दौरे पर हैं. बस्तर प्रवास के दौरान आबकारी मंत्री ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया है.
लखमा ने भाजपा को घेरा: मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि "कांग्रेस सरकार के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में पूरे बस्तर संभाग में एक भी धर्मांतरण का मामला सामने नहीं आया है. यदि 1 भी मामला सामने आता है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. ग्रामीणों के शव दफन को लेकर भाजपा और विभिन्न संगठन के लोग मौत पर भी गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं. बस्तर में लगातार माहौल खराब कर रहे हैं. ग्रामीणों के मौत पर उनके शव में एक मुट्ठी मिट्टी और उन्हें कपड़ा दान किया जाता है. लकड़ी भी दान की जाती है. लेकिन भाजपा और कुछ संगठन के लोग ग्रामीणों के मौत पर भी राजनीति कर रहे हैं."
"मैंने विधानसभा और विधानसभा के बाहर भी कहा था कि अगर बस्तर में एक भी धर्मांतरण का मामले सामने आता है, तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा और राजनीति छोड़ दूंगा. गांव में बुजुर्गों के मौत होने पर उनके शव को दफन करने नहीं होने देना यह भाजपा के लोगों की ओछी राजनीति को दर्शाता है." -कवासी लखमा, आबकारी मंत्री
बस्तर में भाई भाई को लड़ा रही भाजपा: मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि "भाजपा बस्तर में भाई-भाई को लड़ाने और आदिवासियों समूह के बीच आपस में खोट डालने का काम कर रही है. नारायणपुर में भी चर्च में तोड़फोड़ और हिंसक लड़ाई में भाजपा के जिला अध्यक्ष का ही नाम सामने आया था. इसलिए कानून ने सजा सुनाया और अब भाजपा बस्तर जिले में ग्रामीणों के मौत पर राजनीति कर रही है. तोकापाल, डिलमिली, भेजरीपदर, लौहण्डीगुड़ा और मालगांव में हुए ग्रामीणों के मौत के बाद उनके शव को गांव में दफन करने का विरोध करना ओझी राजनीति को दर्शाता है. इस गंदी राजनीति को बस्तर के लोग बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे."
बस्तर में धर्मांतरण न होने का दावा : मंत्री लखमा ने कहा कि "बस्तर में धर्मांतरण नहीं हो रहा है. लेकिन ग्रामीणों के मरने के बाद उनके मौत पर भाजपा जरूर राजनीति कर रही है. उनके परिवार वालों के दुख की घड़ी में उनके साथ शामिल होने की बजाय शव दफन को लेकर विरोध कर रहे हैं और बस्तर के गांव गांव का माहौल खराब कर रहे हैं."
छत्तीसगढ़ में अब विधानसभा के चुनाव को 6 महीने से भी कम समय बचा हुआ है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर राजनीतिक हमला करना शुरू कर दिया है. इन दिनों एक दूसरे पर आरोप लगाने की दोनों पार्टियों में होड़ चल रही है.