जगदलपुर: नक्सल प्रभावित बस्तर में कभी खौफ का दूसरा नाम माने जाने वाली 127 युवाओं ने अपनी जिंदगी को नया सवेरा दिया है. संगठन से जुड़कर जवानों के खिलाफ हथियार उठाने वाले हाथों ने अब नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की ठानी है. 11 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद इन जवानों ने देश सेवा की महाशपथ ली है और निकल पड़े हैं अपनी धरती की जिम्मेदारी संभालने. अब ये सरेंडर नक्सली नहीं बल्कि डीआरजी जवान कहे जाएंगे. बस्तर पुलिस ने सरेंडर नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत पुलिस में नौकरी मिली है.
हाल ही में बोधघाट पीसीएस में ऐसे जवानों को जो पहले नक्सलियों के संगठन में शामिल थे, उन्हें 11 महीनों की कड़ी ट्रेनिंग देने के बाद उनके मूल स्थान पर पदस्थापना की गई है. अब यह जवान बस्तर संभाग की अपने-अपने जिलों में पुलिस बल में तैनात हो गए हैं और बकायदा नक्सल ऑपरेशन में भी जा रहे हैं.
सरेंडर नक्सलियों को किया गया ट्रेंड
बस्तर पुलिस ने बस्तर संभाग के सातों जिलों में सरेंडर किए नक्सलियों में से ऐसे नौजवान जो पुलिस में नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें बोधघाट पीटीएस में 11 महीनों तक कड़ी ट्रेनिंग दी, जिसमें सरेंडर नक्सलियों को पूरी तरह से मैदान में उतारने के लिए ट्रेंड किया गया. लगभग 11 महीने तक चले ट्रेनिंग के बाद 127 सरेंडर नक्सली, जिसमें 58 हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं उन्हें अपने-अपने जिलों में पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा पदस्थापना भी कर दी गई है.
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परिवार के साथ खुशहाल जीवन गुजार रहे जवान
सरेंडर नक्सली और अब निरीक्षक बने जवान ने बताया कि उन्होंने 2013 में पुलिस के समक्ष सरेंडर किया. नक्सलियों की प्रताड़ना से तंग आकर और ग्रामीणों पर नक्सलियों द्वारा किये जा रहे अत्याचार को देखते हुए उसने मुख्यधारा से जुड़ने का मन बनाया और जिसके बाद उसे पुलिस में नौकरी मिली और रहने को सरकार की ओर से घर मिला और वह अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन गुजार रहे हैं.
नक्सलियों से सरेंडर करने की अपील
जवान ने कहा कि वह अपने इलाके में एरिया कमांडर था. अब लगातार नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में नक्सलियों को मार गिराने में सफलता हासिल करने के बाद पुलिस प्रशासन ने उन्हें पदोन्नत कर निरीक्षक बनाया है. उन्होंने नक्सलियों से अपील की है कि वे भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर सरकार की मुख्यधारा से जुड़ कर अपनी आगे की भविष्य उनकी तरह उज्जवल करें.
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सरकार मुहैया करा रही सभी सुविधाएं
इस जवान की तरह सैकड़ों नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है और इनमें से कई नौजवानों को पुलिस में नौकरी दी गई है और अब तो वे ट्रेनिंग के बाद अत्याधुनिक हथियार लेकर नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैयार हैं. सरेंडर नक्सलियों का कहना है कि वे मुख्यधारा से जुड़कर एक सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. उनका परिवार उनके साथ है और सरकार उन्हें सभी सुविधा मुहैया करा रही है.
'नक्सलियों के गोली का जवाब गोली से देंगे'
सरेंडर नक्सलियों ने अपने नक्सली साथियों से अपील की है कि वह भी आत्मसमर्पण कर सरकार की मुख्यधारा से जुड़े और पुनर्वास नीति योजना का लाभ लें, ताकि जल्द से जल्द में नक्सलवाद खत्म हो और सभी ग्रामीण अंचलों के ग्रामीण एक सामान्य जिंदगी जी सकें. बस्तर और छत्तीसगढ़ का विकास हो सके. सरेंडर नक्सलियों ने यह भी कहा है कि बस्तर के सभी इलाकों में सक्रिय नक्सली जल्द से जल्द मुख्यधारा में लौटे वरना वे नक्सलियों की गोली का जवाब गोली से देंगे.
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ऐसे तैयार किए गए जवान-
- सरेंडर करने वाले नक्सलियों में से लगभग 127 नक्सलियों को पिछले 2 साल से बोधघाट पीटीएस में रखा गया.
- नक्सल ऑपरेशन में जाने के साथ ही कानूनी जानकारी और मानव अधिकार के अलावा ऐसे सभी ट्रेनिंग को शामिल किया गया, जिससे सरेंडर नक्सली जो कि अब पुलिस जवान बन गए हैं वे अपना मनोविकास कर सकें.
- हाल ही में दीक्षांत समारोह में सभी 127 सरेंडर नक्सली जवानों को प्रमाण पत्र देकर उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए उनकी प्रशंसा भी की गई.
- अब उन सभी ट्रेनिंग प्राप्त किए नक्सलियों को जिन जिलों में वे कभी नक्सली बनकर उत्पात मचाते थे उन्हें उसी जिले के थानों, कैंपों में पदस्थापना की गई है. जिले की लोकल पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ नक्सल ऑपरेशन में जाएंगे.
- इन 127 जवानों में से 38 जवान दंतेवाड़ा जिले के हैं, दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि बोधघाट पीटीएस में ट्रेनिंग करने के बाद सभी 38 जवान वापस लौट गए हैं और उन्हें जिले के अलग-अलग स्थानों में तैनात किया गया है.
लोन वर्राटू अभियान से भी मिल रही सफलता
एसपी ने बताया कि ऐसे पुराने जवान जो सरेंडर कर पुलिस में नौकरी कर रहे हैं, उनमें से कई जवानों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पदोन्नत भी किया गया है. वहीं लोन वर्राटू अभियान के तहत भी पिछले 6 महीनों में ढाई सौ से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है. उन्होंने कहा कि आगे भी जो युवा पुलिस में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें भी आने वाले दिनों में ट्रेनिंग दी जाएगी और बेहतर प्रदर्शन करने वाले सरेंडर नक्सलियों को नक्सल अभियान के तहत मैदान में उतारा जाएगा. वहीं अन्य सरेंडर नक्सलियों को गोपनीय सैनिक और पुलिस सहायक के रूप नौकरी दी जाएगी.